भाकपा(माले) की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई ने मिर्जापुर में लालगंज इलाके के कोलहा गांव में 10 अगस्त 2018 को दलितों पर दबंगों द्वारा फायरिंग व जानलेवा हमले की जांच के लिए भेजे अपने तीन सदस्यीय दल की जांच रिपोर्ट 12 अगस्त को लखनऊ में जारी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच दल के सदस्यों ने घटनास्थल का शनिवार 11 अगस्त को दौरा करने के बाद गांव की दलित बस्ती के परिवारों और सदर अस्पताल में भर्ती घायलों से 12 अगस्त को सुबह भेंट की. पूरा मामला दलितों की पुश्तैनी और सीलिंग की पट्टे में मिली जमीनों पर सवर्ण दबंगों द्वारा कब्जे का है. निहत्थी दलित महिलाओं ने जब खेतों पर कब्जे का विरोध किया, तो दबंगों ने प्रशासन की मौजूदगी में उनपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया. हमले में एक दलित महिला का गर्भपात हो गया. दबंगों ने फायरिंग की. एक दलित को दबंगों ने पकड़ लिया और अपने घर उठा ले गये, जहां हुई बर्बर पिटाई के बाद वह मौत से जूझ रहा है. गंभीर रूप से घायल दलित महिला-पुरुष मिर्जापुर के सदर अस्पताल में भर्ती हैं. जांच दल का कहना है कि दलितों पर हमला सुनियोजित था और यह सबकुछ प्रशासन के संरक्षण में दबंगों द्वारा किया गया.

घटना का विवरण देते हुए राज्य सचिव का. सुधाकर यादव ने कहा कि हलिया थानाक्षेत्र के उक्त गांव में सीलिंग से निकली 60 बीघा जमीन का तहसील प्रशासन ने 14 दलित परिवारों को पट्टा किया था. पट्टे की इस जमीन समेत दलित परिवारों की लगभग 35 बीघा पुश्तैनी खतौनी की जमीन पर गांव के ही सैकड़ों बीघा के मालिक व दबंग किस्म के अम्बिका प्रसाद पांडेय ने अधिकारियों से मिलीभगत करके लंबे समय से कब्जा किया हुआ है. उक्त गांव तीन वर्षों से चकबन्दी में चल रहा है. चकबन्दी आने के बाद दलितों ने अपनी जमीनों पर पांडेय द्वारा खेती करने का विरोध शुरू किया. प्रशासन तीन सालों से फसल को जब्त कर पाण्डेय को सौंप देता रहा है. जांच दल को गांव के रामकृपाल ने बताया कि इस पर विवाद चल ही रहा था कि पांडेय ने घटना से पहले वाली रात को चार सौ से ऊपर हथियारबंद लोगों को इकट्ठा कर लिया. 10 अगस्त को तहसीलदार व पुलिस की मौजूदगी में दलितों की जमीनों पर दबंगों ने दर्जनों ट्रैक्टरों से जुताई शुरू कर दी, जिसका विरोध करने वाली कुछ दलित महिलाओं को ट्रैक्टरों से रौंद दिया गया.

इतना सब होने के बाद भी पुलिस ने दलितों का एफआईआर तक नहीं लिखा है. पांच दलित घायल हैं. अभी भी दबंगों के घरों पर सैकड़ों हथियारबंद लोग रुके हुए हैं. इससे गांव के दलितों में दहशत का माहौल है. प्रशासन दर्शक की मुद्रा में है. समाचार माध्यमों से एकतरफा और भ्रामक खबर फैलाई जा रही है, जिसमें दलितों को हमलावर बताया जा रहा है, जबकि तथ्य इसके उलट है. माले जांच दल में राज्य स्थायी समिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा की राष्ट्रीय पार्षद जीरा भारती और पार्टी की राज्य समिति के सदस्य नंदलाल शामिल थे.

दलितों पर हमले की घटना के विरोध में 13 अगस्त को  मिर्जापुर कलेक्ट्रेट पर पार्टी की जिला इकाई ने धरना देकर पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की. इस धरने को किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, घटनास्थल का दौरा करने गए राज्य स्तरीय पार्टी जांच दल के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, खेग्रामस राष्ट्रीय परिषद की सदस्य जीरा भारती, पार्टी जिला सचिव नंदलाल बियार व अन्य नेताओं ने संबोधित किया.

जनदबाव में संसद से एससी-एसटी ऐक्ट की पुनर्बहाली का बिल पारित होने के बाद, संघियों द्वारा दिल्ली में भारत का संविधान सार्वजनिक रूप से जलाने, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में लालगंज इलाके के कोलहा गांव में सवर्ण सामंती दबंगों द्वारा गिरोहबंद होकर दलितों-महिलाओं पर जुल्म करने और जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर दिल्ली में जानलेवा हमले के खिलाफ भाकपा(माले) ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को उत्तर प्रदेश में राज्यव्यापी प्रदर्शन किया.

14 अगस्त को राजधानी लखनऊ में हजरतगंज चौराहे पर अम्बेडकर प्रतिमा के नीचे दिए गए धरने का नेतृत्व राज्य सचिव सुधाकर यादव ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने मिर्जापुर की घटना में पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में हथियारबन्द सामंती ताकतों द्वारा दलितों की पट्टे की जमीन कब्जाने के लिए उनके ऊपर फायरिंग व जानलेवा हमले की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि योगी राज में दलितों-गरीबों के ऊपर हमले तेज हुए हैं. अपराधमुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त, भयमुक्त प्रदेश बनाने का वादा करके सत्तासीन हुए मुख्यमंत्री योगी के शासन में कानून-व्यवस्था चौपट है. महिलाओं, बच्चियों से रेप व हत्या, लूट, डकैती से आम आदमी बुरी तरह भयभीत है. भ्रष्टाचार चरम पर है, भीड़ हत्या और पुलिस दमन से दलितों और मुसलमानों में भय व्याप्त हो गया है. दबंग सामंती ताकतों का मनोबल बढ़ा हुआ है. आम जनता का जीना दूभर है. मिर्जापुर में दलित उत्पीड़न की घटना का जिक्र करते हुए इस जालिम सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए मेहनतकशों को लड़ाई और तेज करनी होगी. धरने को पार्टी के लखनऊ प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, जसम के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, निर्माण यूनियन के नौमी लाल, आइसा के शिवा रजवार और खेग्रामस (फैजाबाद) के अखिलेश चतुर्वेदी ने सम्बोधित किया. संचालन ऐपवा की जिला संयोजक मीना ने किया.

लखनऊ के अलावा विरोध प्रदर्शन गोरखपुर, बनारस, गाजीपुर, मऊ, बलिया, भदोही, चंदौली, सीतापुर, पीलीभीत, जालौन, इलाहाबाद आदि जिलों में हुए. कुछ जिलों में पार्टी प्रतिनिधिमंडलों ने कलेक्ट्रेट जाकर जिला प्रशासन को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा.

राज्यव्यापी प्रदर्शन के जरिये मांग की गई कि भारत का संविधान जलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाये. मिर्जापुर में दलितों-महिलाओं पर जानलेवा हमले की एफआईआर दर्ज हो. हमला करने वाले दबंगों को जेल भेजा जाए व संरक्षण देने वाले प्रशासन-पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई हो. दलितों की जमीन वापस दिलायी जाये. दिल्ली में उमर खालिद के हमलावरों को गिरफ्तार किया जाए.