वर्ष - 33
अंक - 12
16-03-2024

वकील हसन उन 12 श्रमिकों की टीम का हिस्सा थे जिन्होंने पिछले साल नवंबर में उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाया था. उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ सुरंग ढ़हने पर फंसे साथी श्रमिकों को बचाने के लिए अथक प्रयास किया था और बचाव अभियान से लौटने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने साथी श्रमिकों के लिए यह जोखिम उठाया था. लोगों की जान बचाने के उनके वीरतापूर्ण प्रयासों के बावजूद, दिल्ली के खजूरी खास में हसन के घर को बिना किसी पूर्व सूचना के ध्वस्त कर दिया गया, जिससे उनका परिवार संकट में पड़ गया है.

उनका निस्वार्थ कार्य उनके साथी कार्यकर्ताओं और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की भावना से प्रेरित था. हालांकि, केंद्र सरकार की एजेंसी, डीडीए ने हसन के वीरतापूर्ण कार्यों के लिए कोई सम्मान नहीं दिखाया जब उन्होंने 28 फरवरी को उसके घर पर बुलडोजर चलाया.

उनके घर का विध्वंस जबरदस्ती और अवैध तरीके से किया गया. डीडीए और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बिना उचित स्पष्टीकरण या उचित प्रक्रिया के हसन और उसकी पत्नी को हिरासत में लिया. हसन के विरोध के बावजूद कि वे घर के जायज मालिक हैं और वे एक दशक से अधिक समय से वहां रह रहे हैं, उनकी दलीलों को अनसुनी करके बुलडोजर से उनके घर को जमींदोज कर दिया गया.

भाकपा(माले), ऐक्टू , आइसा और आइलाज  की एक टीम कामरेड सुचेता डे और अन्य सदस्यों के नेतृत्व में उनसे मिली और इस इस घोर अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए लड़ने का संकल्प लिया.

हसन के घर पर बुलडोजर चलाना उन कई उदाहरणों में से एक है जहां मोदी सरकार के हमलावर रवैये के कारण निर्दाष नागरिकों का विस्थापन हुआ है. पूरी दिल्ली भर में गरीब बस्तियों के वाशिंदों को उचित नोटिस दिए बिना या उनके अधिकारों की परवाह किए बिना विध्वंस का निशाना बनाया गया है. शहरी विकास की आड़ में गरीब बस्तियों और आजीविकाओं का व्यवस्थित विनाश एक भयावह प्रवृत्ति है जिस के खिलाफ मुकम्मल लड़ाई की जरूरत है.

हसन के घर के विध्वंस के विरोध में ट्रेड यूनियनोंने एकजुट होकर उनके घर के पुनर्निर्माण और हुए नुकसान के मुआवजे की मांग की है. उन्होंने डीडीए अधिकारियों की कार्रवाई को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और गैरकानूनी विध्वंस के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की.

भाकपा(माले) वकील हसन के घर को तोड़े जाने की कड़ी निंदा करती है और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग करती है. सरकार को इस गैरकानूनी कृत्य की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हसन और उसके परिवार को उनके नुकसान की भरपाई की जाए. यह घटना अपने नागरिकों के बलिदान और योगदान के प्रति सरकार की उपेक्षा की कड़ी याद दिलाती है.

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