प्रशांत भूषण पर अवमानना की कार्यवाही लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ

मशहूर वकील और मानव अधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण पर ट्विटर की गई टिप्पणियों के लिए अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का फैसला अफसोसनाक है. लोकतांत्रिक चेतना से लैस किसी भी व्यक्ति के लिए ये खबर परेशान करने वाली और चिंताजनक है. यह उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी तरफ से पहल करते हुए कार्रवाई शुरू की है. इसमें न्यायालय ने असामान्य तत्परता दिखाई. इसके लिए तीन जजों की बेंच गठित की गई. बेंच पहली नजर में इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ट्विटर पर की गई उल्लिखित टिप्पणियों से न्याय प्रक्रिया का अपमान हुआ है.

28 जुलाई की शपथ

28 जुलाई 2020 को भाकपा(माले) के संस्थापक महासचिव कॉमरेड चारु मजूमदार की शहादत के 48 साल पूरे हो रहे हैं. 1970 के दशक के शुरुआती वर्षों में हमारे आंदोलन और पार्टी को लगे धक्के के बाद पार्टी के पुनर्गठन की भी यह 46वीं वर्षगांठ है. इस ऐतिहासिक अवसर पर हम कॉमरेड चारु मजूमदार, अपने पार्टी और कम्युनिस्ट आंदोलन के सभी शहीदों व दिवंगत नेताओं को क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. हम उनके अधूरे मिशन और वास्तविक आजादी और सच्चे लोकतांत्रिक भारत के  निर्माण के सपने को पूरा करने की प्रतिज्ञा करते हैं.  

मजदूरों की मदद में आगे आयें किसान

अखिल भारतीय किसाना महासभा ने देश के किसानों से यह अपील की है:

“किसान साथियो, सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण डेढ़ दशक से आत्महत्या को मजबूर देश के किसानों के सामने इस कोरोना संकट के समय तबाही का एक नया दौर आ खड़ा हुआ है.

कार्ल मार्क्‍स का 202 वां जन्‍मदिन: कोविड-19 के संकट के बहाने तानाशाही और नियंत्रण की कोशिशों का विरोध करो! इस संकट को सामूहिक प्रतिरोध और सामाजिक बदलाव के अवसर में बदल दो!

मार्क्‍स पूरी तरह से क्रांतिकारी यथार्थवादी थे। उनके लिए बुनियादी पदार्थ ही यथार्थ था। गति पदार्थ के अस्तित्‍व का रूप है। उनके चिंतन की जड़ें ठोस सामाजिक यथार्थ में धंसी हुई थीं। लेकिन यथार्थ को स्‍वीकार करने का अर्थ यथास्थितिवाद को जायज ठहराना कतई नहीं था। उनके लिए यथार्थ को स्‍वीकार करने का मतलब सामाजिक यथार्थ में आमूल बदलाव और गुलामी से मुक्ति का हर संभव प्रयास करना था। लेकिन आज जब हमें लग रहा है कि सब कुछ ठहर सा गया है, पूरी दुनिया लॉकडाउन में है, जब एक-दूसरे से दूर रहना ही स्‍वाभाविक हो गया है और अभिव्‍यक्ति का आम माध्‍यम डिजिटल हो गया है तब मार्क्‍स को उनके

22 अप्रैल 2020: महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य का संदेश – बराबरी की दुनिया बनाने के लिये हम लेनिन के सपनों को फिर से याद करें

22 अप्रैल हमारी पार्टी भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) का स्थापना दिवस है. इस साल हमारी पार्टी 51 साल पूरे कर रही है. साथ ही कामरेड लेनिन के जन्म के 150 साल भी पूरे हो रहे हैं. लेकिन आज जो समय है, यह बहुत ही कठिन दौर है. हम एक महामारी से जूझ रहे हैं और लाॅकडाउन भी चल रहा है. इस महामारी और लाॅकडाउन के कठिन दौर में आप सभी के लिये हमारे मन में शुभकामनाएं हैं. आप स्वस्थ रहें और इस पूरे लाॅकडाउन के दौर में भी आगे बढ़ते रहें, कोरोना को पीछे छोड़ते हुए.

डा. भीमराव अंबेदकर जयंती भाकपा(माले) समेत 5 वाम दलों का आह्वान

वामपंथी पार्टियां जनता का आह्वान करती हैं कि वे लाॅकडाउन की पाबंदियों के दायरे में रहते हुए 14 अप्रैल को शाम पांच बजे निम्नलिखित मुद्दों पर संकल्प लेकर अम्बेदकर जयंती का पालन करें.

22 अप्रैल को भाकपा (माले) के 51वें पार्टी स्‍थापना दिवस के अवसर पर संकल्‍प

कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन के इस दौर में देश के सामने स्‍वास्‍थ्‍य, भोजन और जीविका का भीषण संकट खड़ा हो गया है। गरीब और प्रवासी मजदूर इससे सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए हैं। हम कॉमरेड चारू मजूमदार के इस आह्वान पर खरा उतरने का संकल्‍प लेते हैं कि ''जनता का स्‍वार्थ ही पार्टी का स्‍वार्थ है''। हम इस महामारी से प्रभावित लोगों के साथ दृढ़ता से खड़े रहने का संकल्‍प लेते हैं। भूख मिटाओ! कोरोना भगाओ!   

22 अप्रैल को भाकपा (माले) के 51वें पार्टी स्‍थापना दिवस के अवसर पर संकल्‍प

1. कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन के इस दौर में देश के सामने स्‍वास्‍थ्‍य, भोजन और जीविका का भीषण संकट खड़ा हो गया है। गरीब और प्रवासी मजदूर इससे सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए हैं। हम कॉमरेड चारू मजूमदार के इस आह्वान पर खरा उतरने का संकल्‍प लेते हैं कि ''जनता का स्‍वार्थ ही पार्टी का स्‍वार्थ है''। हम इस महामारी से प्रभावित लोगों के साथ दृढ़ता से खड़े रहने का संकल्‍प लेते हैं। भूख मिटाओ! कोरोना भगाओ!