स्तंभकार के रूप में आरएसएस-भाजपा के नेता

(मिड डे में प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार अजाज अशरफ के लेख का हिंदी अनुवाद)

आउटलुक, जहां मैंने 12 वर्षों तक काम किया, उसपर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा डाले गए आयकर के छापों के बाद, विनोद मेहता ने संपादक के तौर पर एक नयी रणनीति अख्तियार कर ली. उन्होंने पहले की अपेक्षा ज्यादा जल्दी-जल्दी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- भाजपा के लेखकों के लेख छापने शुरू कर दिये. जैसा कि उन्होंने हमें बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा था ताकि सरकार के साथ अपरिहार्य टकरावों के दौरान, पत्रिका की रक्षा करने वाले भाजपा के लोग उनके पास हों.

संकट में मोदी-अडानी माॅडल

-- अरिंदम सेन

मोदी सरकार को अडानी घोटाले के अपराधियों के नाम खोलने होंगे और उन्हें दंडित करना पड़ेगा

24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने जो विस्फोट किया, उससे न केवल उसके निशाने के परखचे उड़ गए, बल्कि अन्य अनेक व्यावसायिक इकाइयों और शेयर बाजार के छोटे खिलाड़ियों पर भी सिलसिलेवार नुकसानदेह असर पड़ा है, और उसने वित्तीय व राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है.

बिहार: अतीत और वर्तमान पर एक नजर

– प्रो. ओ. पी. जायसवाल

बिहार विरोध, असहमति और अनास्तिकों की एक अनूठी भूमि रही है. इस क्षेत्र में आर्यों का आगमन काफी विलंब से हुआ था, इसीलिए वैदिक साहित्य में मगध की चर्चा नहीं मिलती है. सत्पथ ब्राह्मण में वर्णित विदेह माधव की कथा बताती है कि सरस्वती की भूमि से आए ब्राह्मणों ने मिथिला वंश की स्थापना की थी. अथर्ववेद से हमें जानकारी मिलती है कि व्रात्य लोग आर्य ब्राह्मणवाद के दायरे से बाहर ही रहते थे. मगध् में बहुतेरे घुमक्कड़ भौतिकवादी कट्टर वैदिक जीवन शैली के विरोधी थे – वे सभी अनास्तिक थे.

असमानता जानलेवा है : अमीरों पर टैक्स लगाओ, गरीबों पर नहीं

ऑक्सफैम द्वारा 16 जनवरी, 2023 को जारी वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022 का शीर्षक “सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट” है.  ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम’ में दुनियाभर के रईसों और ताकतवर लोगों के होने वाले सालाना जलसे के समय आयी यह रिपोर्ट इस तथ्य का खुलासा करती है कि रईसों की बढ़ती आय और लोगों के बीच धन की असमानता कोविड-19 महामारी के दौरान खतरनाक रूप से बढ़ी है. नवउदारवादी जमाने की प्रतिगामी टैक्सों के जरिये ऐसे हालात कायम कर दिए गए हैं कि जहां गरीबों पर भारी टैक्स का बोझ डाल दिया गया है, वहीं अमीरों से बहुत कम टैक्स वसूला जा रहा है.

भय और झूठ के शासन को खत्म करें ! आजादी और अधिकार के गणतंत्र को पुनस्र्थापित करें !!

कोविड-19 वैश्विक महामारी के घातक विस्फोट के तीन वर्ष बाद अभी तक दुुनिया इसके विनाशकारी परिणामों से निकलने की कोशिश कर रही है. संयोगवश, किसी भी जगह से ज्यादा चीन से यह महामारी शुरू हुई थी और आज भी वह देश इस महामारी के नतीजे झेल रहा है, और यहां तक कि महामारी की रोकथाम के नाम पर राज्य के उत्पीड़नकरी कदमों के खिलाफ वहां बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रतिवाद भी देखे गए हैं. दुनिया के अन्य भागों में कोविड महामारी दब जाने के बावजूद, जनता के विशाल तबके इसकी वजह से हुई आर्थिक गिरावट, और खासकर बड़े पैमाने पर रोजगार के नुकसान व मजदूरी में कटौती से परेशान हैं.

उत्तर प्रदेश में ऐक्टू का बढ़ता काम

आशा कर्मियों की यूनियन का फैलाव व पार्टी निर्माण की एक कोशिश

ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष रहे कामरेड हरि सिंह की निधन के बाद उत्तर प्रदेश में ऐक्टू के काम को संगठित करने व उसे बढाने की चुनौती को नए नेतृत्व ने आगे बढ़ कर उठाया. उत्तर प्रदेश में कताई मिल मजदूरों के बीच कताई मिल मजदूर महासंघ बनाकर प्रदेश की लगभग सभी मिलों मे उसका विस्तार कर एक सेक्टर में ही सही संगठन के व्यापक प्रभाव, नेतृत्व की लोकप्रियता, जन गोलबंदी की ताकत और जुझारू संघर्ष ने प्रदेश में ऐक्टू को शुरुआती दिनों में  पहचान दी थी.