काॅरपोरेट लूट और सांप्रदायिक जहर के जुड़वां रोग से भारतीय अर्थतंत्र को बचाएं

2014 से ही हम भाजपा की चुनावी रैलियों में प्रायः ‘डबल इंजन की सरकार’ का जुमला सुनते रहे हैं. यह मोेदी-शाह की सर्वप्रिय उपमा है जिसके जरिये वे केंद्र की सत्ता पर भाजपाई नियंत्रण के आधार पर राज्यों में वोट बटोरना चाहते हैं. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) ने अब अर्थतंत्र का वर्णन करने के लिए एक विमानन शब्द का प्रयोग किया है. सीईए वी. अनंत नागेश्वर के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था अब ऑटो-पायलट मोड’ में आ गयी है, और वह 2030 तक लगातार 6.5-7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करती रहेगी! मोदी सरकार के 9 वर्षों के अधिकांश समय में हमलोगों ने दीर्घकालिक गतिरुद्धता और गिरावट देखी है.

चक्कों पर कब्रगाह ? – बालासोर दुर्घटना रेलवे सुरक्षा के प्रति मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही का नतीजा है

ओडिशा में भद्रक जिले का एक बूढ़ा आदमी एक स्कूल कैंपस में रखे सैकड़ों शवों के बीच घूम रहा है. एक एक करके वह उन शवों का चेहरा देखने के लिए उनपर ढंका कपड़ा उठाता है. वह किसे ढूंढ रहा है, पूछने पर वह रोता आदमी टूटी आवाज में कहता है, “मैं अपने बेटे को खोज रहा हूं जो कोरोमंडल एक्सप्रेस में था, लेकिन उसे नहीं देख पा रहा हूं.” उसकी कहानी उन सैकड़ों लागों की कहानियों जैसी है, जिनके परिजन या दोस्त 2 जून की शाम में ओडिशा के बालासोर (बालेश्वर) जिले में भयावह दुर्घटना की शिकार हुई दो रेलगाड़ियों में सवार थे.

कर्नाटक का जनादेश 2023 : संदेश और सबक

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे उनलोगों के लिए भी एक सुखद आश्चर्य के बतौर आए हैं जो भाजपा की हार की उम्मीद कर रहे थे. कर्नाटक जनादेश का असर कांग्रेस की भारी जीत, भाजपा की उतनी ही भारी पराजय और जिन परिस्थितियों में ये नतीजे आए, उसमें स्पष्ट दिखता है.

भाजपा-शासित मणिपुर में जनजातीय असुरक्षा और नृ-जातीय हिंसा

जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक के मतदाताओं को चेतावनी दे रहे थे कि उस राज्य में कांग्रेस की जीत से दंगे होने लगेंगे, उसी समय भाजपा-शासित मणिपुर में भयानक नृ-जातीय हिंसा भड़क उठी जिसमें संगठित दंगे के सभी चिन्ह दिख रहे थे. भाजपा-शासित राज्यों के लिए हमेशा ‘डबल इंजन की सरकार’ शब्द का इस्तेमाल करने वानी केंद्र सरकार ने धारा 355 का इस्तेमाल कर डबल इंजन-चालित मणिपुर की सत्ता हथिया ली और ‘देखते ही गोली मार देने’ का आदेश जारी कर दिया.

कर्नाटक चुनाव फासिस्टों को निर्णायक चोट दे !

महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव, 2024 के पहले इस वर्ष छह और विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिसकी शुरूआत 10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव से होगी. पिछले कुछ दशकों से कर्नाटक इस फासिस्ट ब्रिगेड के दक्षिणी अभियान के लिए मुख्य प्रयोगस्थली के बतौर उभरा है. 2014 में केंद्र की सत्ता पर मोदी के काबिज होने के बाद इन फासिस्ट शक्तियों का मनोबल काफी बढ़ा है और उन्हेंने प्रख्यात तर्कवादी चिंतक एमएम कलबुर्गी तथा कार्यकर्ता पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या करके अपनी मंशा को उजागर कर दिया है.

शिक्षा के नाम पर प्रचार : एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों पर निरंतर हमला

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने इतिहास पाठ्यपुस्तक के ‘थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री - पार्ट 2’ से ‘किंग्स एंड क्रोनिकल्स : मुगल दरबार (16वीं और 17वीं शताब्दी)’ वाले अध्याय को हटा दिया है. यह बदलाव काफी दुखद है क्योंकि मुगल प्रशासकीय एकीकरण ने भारत के भौगोलिक और सांस्कृतिक नक्शा –  जैसा कि आज हमारे सामने है –  को शक्ल देने में मुख्य भूमिका निभाई थी.

रामनवमी हिंसा: धार्मिक उत्सवों को वोट बटोरने वाले सांप्रदायिक नफरत के मंच में तब्दील करने की भाजपाई साजिश को शिकस्त दें!

एक बार फिर, रामनवमी उत्सव के मौके पर राज्य-दर-राज्य मुस्लिमों को निशाना बनाकर हिंसा और तोड़फोड़ की कार्रवाइयां की गईं. हिंसा की बड़ी घटनाओं की रिपोर्ट भाजपा-शासित राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और चुनाव की तैयारी कर रहे कर्नाटक से तथा बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा राज्यों से आई हैं. जिन उत्सवों को शांति, सामंजस्य और हर्ष के माहौल में मनाया जाना चाहिए, उन्हें लगातार तोड़फोड़ और हिंसा के अखाड़े में तब्दील कर दिया जा रहा है और उसका निशाना भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिमों को बनाया जा रहा है.

लोकतंत्र पर मोदी निजाम के सर्जिकल स्ट्राइक को शिकस्त दें !

विपक्ष के खिलाफ मोदी सरकार का अभियान भारतीय संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ तीखे होते युद्ध की शक्ल लेता जा रहा है. जहां अडानी घोटाले की जांच करने के लिए विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग उठाई है और राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं मोदी सरकार विपक्ष को निशाना बनाकर अंधाधुध बदले की कार्रवाई कर रही है.

मोदी, अडानी, किरण पटेल: ‘गुजरात माॅडल’ का खुलता खेल

ढिंढोरा पीटे गए ‘गुजरात माॅडल’ की कहानी ज्यादा से ज्यादा अजीबोगरीब बनती जा रही है, और 2023 की शुरूआत से इसके यात्रा-पथ में जो घुमाव आ रहे हैं, वे भी कम सनसनीखेज नहीं हैं.