त्रिपुरा में किसी तरह सत्ता बचा लेने के बाद मोदी सरकार ने अब सड़क की ताकत, प्रचार और राज्य सत्ता की मिलीजुली शक्तियों के सहारे विपक्ष के खिलाफ चौतरफा आक्रमण छेड़ दिया है, और यह इस फासिस्ट शासन का प्रतीक-चिन्ह बन गया है. त्रिपुरा में सापेक्षिक रूप से शांतिपूर्ण चुनावों के बाद संघ ब्रिगेड ने उस राज्य में अब आतंक, बदले की कार्रवाई और हिंसा की नई मुहिम छेड़ दी है और वह विपक्षी पार्टियों, उनके मतदाताओं और यहां तक कि वामपंथी व कांग्रेसी सांसदों व विधायकों के जांच दल को भी अपना निशाना बना रहा है जो उस आतंक-प्रभावित राज्य में दौरा करने गया था.