विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर 9 अगस्त 2018 को भाकपा(माले) रांची नगर कमेटी ने ‘आदिवासी अधिकार रैली’ निकाली. रैली में जंगल जमीन की रक्षा के लिए पारम्परिक हथियारों से लैस आकर्षक झांकी भी निकाली गयी. भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल रद्द करने, 5वीं अनुसूची को सख्ती से लागू करने, आदिवासी अधिकारों पर हमले बंद करने के जोरदार नारों के साथ राज्य कार्यालय से रैली निकाली जो मेन रोड सर्जना चौक, शहीद चौक होकर अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची, जहाँ सभा की गई. सभा को संबोधित करते हुए माले नेता जगरनाथ उरांव ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी अधिकारों की रक्षा का संकल्प दिवस है. आदिवासी सिर्फ नाच-गान और मनोरंजन के प्रतीक नहीं बल्कि आदिवासियों की पहचान इतिहास में संघर्षों से है, हमारे संघर्षों से ही झारखण्ड की जंगल जमीन और खनिज सुरक्षित है. सरकार आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा अक्षुण्ण रखने के बजाय नष्ट करने में तुली हुई है, माले जिला कमेटी सदस्य सुदामा खलखो ने कहा कि आदिवासी दिवस पर आदिवासियों में जश्न और खुशी के बजाय आक्रोश और निराशा है. रघुवर सरकार आदिवासियों के बजाय कंपनियों के लिए ज्यादा चिंतित है. भूमि लूट का अभियान इसी रफ्तार से चलता रहा तो आदिवासियों का अस्तित्व ही मिट जायेगा. बिरसा के सपनों का झारखण्ड के रास्ते संघर्ष जारी रहेगा. माले जिला सचिव भुवनेश्वर केवट ने राज्य की सरकारी योजनाओं एवं सरकार द्वारा दिए जाने वाले सभी पुरस्कारों को झारखण्ड के शहीदों से नामकरण करने की मांग रखी. विश्व आदिवासी दिवस पर संघर्ष के संकल्प के साथ सबों को धन्यवाद दिया. सभा को महावीर मुंडा, बुधवा उरांव, पंकज तिग्गा, प्रकाश उरांव, रोबिन तिर्की, आयति तिर्की, मंजू, हिंदिया उरांव, अमित पाण्डेय, एनामुल हक़ आदि मुख्य रूप से मौजूद थे.