वर्ष - 28
अंक - 31
20-07-2019

भाकपा(माले) की पचासवीं वर्षगांठ और पार्टी के संस्थापक महासचिव कामरेड चारु मजुमदार की जन्मशती मनाने के क्रम में भाकपा(माले) की दार्जिलिंग जिला कमेटी ने गत 13 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में “फासीवाद का उत्थान और वामपंथ के समक्ष चुनौतियां” विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया जिसके मुख्य वक्ता भाकपा;मालेद्ध महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य थे.

सेमिनार से पहले आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए का. दीपंकर ने हाल के चुनाव में पश्चिम बंगाल में वामपंथी वोटों के बड़े हिस्से के भाजपा के पक्ष में चले जाने की परिघटना पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए भाकपा(माले) की ओर से फासीवादी उत्थान के खिलाफ और बड़ी वामपंथी एकता कायम करने का आह्वान किया. इसके लिये उन्होंने वामपंथ के परम्परागत मतदाताओं के साथ और घनिष्ठ सम्पर्क बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का उसी तीव्रता से विरोध करने के साथ-साथ भाजपा को बंगाल में एक नम्बर “राजनीतिक दुश्मन” मानना होगा.

उन्होंने कहा कि हाल के चुनाव में पश्चिम बंगाल में वामपंथी वोटों के बड़े हिस्से का भाजपा की ओर खिसकना शर्म और बेहद चिंता की बात है. तृणमूल कांग्रेस के अत्याचारी और दमनकारी तौर-तरीकों से छुटकारा पाने के लिये भाजपा कत्तई कोई विकल्प नहीं हो सकती. इसके लिये भाजपा को चुनना आत्मघाती गलती होगी. बिल्कुल उल्टी विचारधारा वाली पार्टी होने के बावजूद भाजपा की ओर वामपंथी कतारों की फिसलन बेहद खतरनाक है. हम परिस्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और अन्य वामपंथी पार्टियों के साथ केन्द्र एवं राज्य स्तर पर हमने इस विषय पर चर्चा करना शुरू कर दिया है. हमें यकीन है कि और बड़ी वामपंथी एकता वक्त की जरूरत को पूरा करेगी और हम भाजपा के खिलाफ जमीनी स्तर पर एक शक्तिशाली आंदोलन खड़ा करेंगे.

का. दीपंकर ने बताया कि वामपंथी पार्टियों को मिलने वाले वोटों का अंश 23 प्रतिशत गिरा है और 16-17 प्रतिशत वोट भाजपा की ओर खिसक गये हैं. हमारी पहली प्राथमिकता परम्परागत वामपंथी मतदाताओं तक पहुंचना होनी चाहिये जिन्होंने भाजपा को वोट दिया है और उन्हें परिस्थिति के बारे में, भाजपा की जन-विरोधी नीतियों, कारपोरेट-परस्त आर्थिक नीतियों तथा अन्य मुद्दों के बारे में असलियत को महसूस कराना होगा, ताकि भाजपा को वोट देना उनकी आदत न बन जाये. साथ ही तृणमूल कांग्रेस के जुल्मी शासन के खिलाफ हमारा संघर्ष उसी तीव्रता के साथ बरकरार रखना होगा, मगर भाजपा को एक नम्बर राजनीतिक दुश्मन मानते हुए.

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए का. दीपंकर ने कहा कि पिछले साल सम्पन्न हुए पार्टी के दसवें महाधिवेशन में फासीवाद के खिलाफ बड़ी वामपंथी एकता कायम करने का प्रस्ताव ग्रहण किया गया था और इसके लिये प्रयास भी किये गये थे. मौजूदा समय में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के फासीवादी शासन का विभिन्न मंचों पर पर्दाफाश करने का व्यापक अभियान चलाना जरूरी है. भाजपा समाज को साम्प्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश कर रही है और उसके हमले के खिलाफ एकताबद्ध प्रतिरोध होना चाहिये. उन्होंने कहा कि हालांकि भाजपा दार्जिलिंग से लोकसभा सीट 2009 से जीतती रही है मगर उसने जनता को धोखा दिया है और पर्वतीय अंचल की जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करने में नाकाम रही है. उन्होंने अमर्त्य सेन का हवाला देते हुए कहा कि ‘जय श्री राम’ बंगाली परम्परा में इस्तेमाल होने वाला नारा नहीं रहा है, यह हाल में आयातित नारा है. केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा इस नारे से विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. और दूसरी ओर यही नारा लगवाने के लिये गिरोहबंद भीड़ लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर रही है.

उन्होंने हाल में संसद में पेश किये गये गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) विधेयक और एनआईए (संशोधन) विधेयक जैसे अत्याचारी कानून लाने की कोशिशों के लिये भाजपा की भर्त्सना की और कहा कि वे देश को ‘पुलिस राज्य’ में तब्दील करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा और भी अधिक सीटों के साथ सरकार में आई है. लेकिन वे जनादेश का गलत अर्थ निकाल रहे हैं कि वे मनमानी कर सकते हैं. उन्होंने पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिये, अब वे रेलवे का निजीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि देश पर वे ‘एक देश एक चुनाव’ की प्रणाली को थोप देना चाहते हैं. भाजपा-नीत राजग सरकार के शासन में लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला जा रहा है और गौरक्षा के नाम पर लोगों की पीटकर हत्या की जा रही है. यह एक खतरनाक स्थिति है और इसका मुकाबला समूचे देश के पैमाने पर शक्तिशाली जन आंदोलनों के जरिये करना होगा.

उन्होंने भारतीय वन अधिनियम (आईएफए), 1927 में संशोधन लाकर एक करोड़ आदिवासियों को उनकी परम्परागत वासभूमि वनों से उजाड़ने की निंदा की. उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के बुनियादी ढांचे में भी आई चरम गिरावट, पर्यावरण विनाश और जल संकट के लिये भी सरकार को दोषी ठहराया. उन्होंने बताया कि बिहार में चमकी बुखार (इन्सेफलाइटिस) से बच्चे मर रहे हैं और आयुष्मान भारत योजना जनता के कोई काम नहीं आ रही.

का. दीपंकर के अलावा सेमिनार को बुद्धिजीवी एवं सामाजिक कार्यकर्ता अजित राय ने सम्बोधित करते हुए फासीवाद का प्रतिरोध तथा शक्तिशाली फासीवाद-विरोधी आंदोलन खड़ा कर पाने में वामपंथी पार्टियों की कमजोरी की चर्चा की और कहा कि इसके लिये उपयुक्त रणनीति का अभाव रहा. केवल चुनाव के पहले ही संश्रय कायम करने की बात क्यों आती है? इससे फासीवाद के खिलाफ लड़ने में गंभीर रुख का अभाव दिखता है. एक अन्य बुद्धिजीवी एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता संजीवन दत्ता रे ने कहा कि पार्टी को नक्सलबाड़ी आंदोलन के रचयिता चारु मजुमदार की मृत्यु की समुचित रूप से जांच कराने की मांग करनी चाहिये. सेमिनार में समाज के विभिन्न तबकों व पेशों के लोग, नाट्य कलाकार, कवि साहित्यकार, अधिकार आंदोलनों के कार्यकर्ता और भाकपा(माले) लिबरेशन के कार्यकर्ता शामिल थे. सेमिनार में उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों के पार्टी नेता भी शामिल थे. सेमिनार को पश्चिम बंगाल के भाकपा(माले) राज्य सचिव का. पार्थ घोष, पोलितब्यूरो सदस्य का. कार्तिक पाल, दार्जिलिंग जिला सचिव का. अभिजित मजुमदार एवं राज्य स्थयी कमेटी के सदस्य का. बासुदेव बोस ने भी सम्बोधित किया.

siliguri conv