वर्ष - 28
अंक - 32
27-07-2019

रांची के अल्बर्ट एक्का चैक पर सोनभद्र में आदिवासियों के जनसंहार के खिलाफ आल इंडिया पीपुल्स फोरम के आह्वान पर 22 जुलाई 2019 को विभिन्न सामाजिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने नागरिक प्रतिवाद किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने सोनभद्र आदिवासी जनसंहार कांड को देश के संविधान और लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा कि वर्तमान सत्ताधारी दल के शासन में आदिवासियों और उनके जल-जंगल-जमीन के अधिकारों पर हमले बढ़े हैं. वर्तमान सरकार व उसके नेता जहां एक ओर आदिवासी प्रेम का ढोंग रचते हैं वहीं दूसरी ओर खुद इनके अधिकारों पर हमले करते हैं. उनके जंगल-जमीन की लूट को इन सरकारों ने बेलगाम बना दिया है. सोनभद्र कांड और इस पर देश के गृह मंत्री तथा आदिवासी मामलों के मंत्री की चुप्पी इसका खुला उदाहरण है. कार्यक्रम के माध्यम से सोनभद्र जनसंहार के ज़िम्मेवार सभी दोषियों को सजा देने, आदिवासियों को उनकी परंपरागत ज़मीनों का कानूनी पट्टे दिये जाने, आदिवासियों के अधिकारों पर हमले बंद किए जाने व विकास के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ना बंद करने की मांगें की गईं.

नागरिक प्रतिवाद में वरिष्ठ अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, फोरम से जुड़े आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के प्रेमचंद मुमूु व क्लेमेन टोप्पो, वरिष्ठ एक्टिविस्ट लेखक विनोद कुमार, कवियित्री जशिंता केरकेट्टा, भाकपा(माले) नेता भुवनेश्वर केवट, झारखंड जन संस्कृति मंच के संयोजक ज़ेवियर कुजूर, विस्थापन विरोधी जन आंदोलन के दामोदर तुरी, एआईपीएफ से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्त्ता आलोका, ऐपवा नेता ऐति तिर्र्की व सिनगी खल्को, झामस के सुदामा खल्को, ऐडवा की वीणा लिंडा, आदिवासी अधिकार मंच के सुखनाथ लोहरा, सुषमा बिरुली, एआईपीएफ के अधिवक्ता सीमा संगम व राजदेव राजू तथा बहुजन समाज पार्टी के विद्याधर महतो व राज्य सचिव जितेंद्र बहादुर, जगमोहन महतो तथा अन्य लोगों ने भाग लिया.

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गढ़वा में 21 जुलाई को प्रतिवाद मार्च निकाल कर सोनभद्र आदिवासी जनसंहार का विरोध और जिले की चरमराई बिजली व्यवस्था में सुधार करने तथा पलामू प्रमंडल को अकाल क्षेत्र घोषित कर राहत कार्य चालू करने की मांग की गई. यह मार्च शहर के बालिका हाई स्कूल मैदान से अस्पताल होते हुए इंदिरा  गांधी पार्क (रंका मोड़) पहुंचा. जितेंद्र मेहता के संचालन में वहां आयोजित सभा को संबोधित करते हुए जिला सचिव का. कालीचरण मेहता ने सोनभद्र (उप्र) में हुए अदिवासी जनसंहार के लिए जिसमें 10 लोगों की जानें गई ओर दर्जनों लोग घायल हैं, योगी सरकार को सीधा जिम्मेवार ठहराया. उन्होंने दलित-आदिवासियों को जमीन से बेदखली पर रोक लगाने, प्रत्येक पीड़ित परिवार को 20 लाख रु. मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.  

सभा को जिला कमिटी सदस्य कामेश्वर विश्वकर्मा, सूर्यदेव चौधरी, गणेश बैठा, हीरा चौधरी, सोबरन मेहता, संतोष चौधरी, राजकुमार मेहता, किशोर कुमार, प्रेम विश्वकर्मा, रामधार महतो, जाटा भुंईया, सुरेन्द्र सिंह, राजेन्द्र विश्वकर्मा, राजू विश्वकर्मा, लक्ष्मण सिंह, नान्हू सिंह, दुबराज सिंह, राजेश्वर रजक, रावुफ अंसारी आदि लोगों ने संबोधित किया. वक्ताओं ने कहा कि भाजपा राज  में झारखंड में भी लोग सुरक्षित नहीं है. लगातार हो रही माॅब लिंचिंग की घटनाओं में निर्दाेष अल्पसंख्यक लोग मारे जा रहे हैं. इन घटनाओं ने पूरी दुनिया में हमारा सिर झुका दिया है. हर क्षेत्र में सरकार द्वारा पैदा की गई अराजकता से व्यापक लोग परेशान हें. भूमि विवाद विकराल रूप धारण कर चुका है. समय पर बारिश नहीं होने से पूरा पलामू प्रमंडल अकाल के चपेट में है. गढ़वा जिला में बिजली व्यवस्था लगभग घ्वस्त है जिससे जनता का हर तबका परेशान है. सरकार पलामू प्रमंडल को ‘अकाल क्षेत्र’ घोषित कर तुरंत राहत कार्य शुरू करे और न्यूनतम 20 घंटा बिजली मुहैया कराये.