वर्ष - 28
अंक - 39
14-09-2019

कोलकाता में सम्पन्न राष्ट्रीय कन्वेंशन के बाद अगस्त और सिंतबर माह के पहले सप्ताह तक गिरिडीह के बगोदर विधानसभा अंतर्गत बगोदर प्रखंड में 42, सरिया प्रखंड में 43, बिरनी प्रखंड में 32 और विष्णुगढ़ प्रखण्ड में 3 पंचायतों में यानी कुल 120 ग्रामसभाएं की गई. जन संवाद के रूप में आयोजित इन अधिकतर ग्राम सभाओं में पूर्व विधायक और भाकपा(माले) केंद्रीय कमिटी के सदस्य का. विनोद कुमार सिंह शामिल रहे.

इन ग्राम सभाओं में अपेक्षा से अधिक उत्साह देखा जा रहा है और हमारे कामकाज के कमजोर गांवों/पंचायतों में भी ग्रामीण महिलाओं-पुरुषों की अच्छी तादाद इनमें शामिल हो रही है. इनमें भाजपा शासन के ‘सबका साथ, सबका विकास’ का खोखलापन उजागर हो रहा है. तकरीबन 50 से 60 प्रतिशत ग्रामीण गरीब लोगों को अभी भी राशन कार्ड नही मिला है. विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन की भी यही स्थिति है. आधे से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर और गैस चूल्हा नहीं मिलने से वे नाराज हैं.

घूस का पैसा वापस करवाया गया

जन संवाद के तहत बगोदर प्रखण्ड के तिरला पंचायत के डोरियो गांव में आयोजित ग्राम सभा में ग्रामीणों ने स्थानीय डीलर द्वारा राशन कार्ड बनवाने के नाम पर एक हज़ार रुपये  से लेकर साढ़े छह हजार रुपये रिश्वत लेने की बात कही. उक्त ग्राम सभा में पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह भी मौजूद थे. पार्टी की उल्लेखनीय पहलकदमी और भारी जन दबाब के चलते एक सप्ताह के भीतर आरोपित स्थानीय डीलर को रिश्वत में लिए गए डेढ़ दर्जन ग्रामीणों के कुल 36,200/-रुपये ग्राम सभा आयोजित कर वापस करना पड़ा. घुस का पैसा वापस करवाने के पार्टी की उक्त पहल की चहुंओर चर्चा का है. मौके पर झामस महासचिव परमेश्वर महतो, प्रखंड प्रमुख मुश्ताक अंसारी, जिला परिषद सरिता महतो, महरु अंसारी व अन्य मौजूद थे. झामस महासचिव परमेश्वर महतो ने बताया कि भाजपा के शासन में राशन कार्ड बनवाने के नाम पर बड़े पैमाने पर कालाबाजारी का खेल चल रहा है.

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बड़ा डैम बनाने पर जनता ने रोक लगा दी

बीते 25 अगस्त को बगोदर के पोखरिया गांव में ग्राम सभा में उल्लेखनीय गोलबंदी हुई. गौरतलब यह है कि बगोदर और डुमरी प्रखंड के सीमावर्ती इलाके के आधे दर्जन से अधिक गांवों के तकरीबन 800 हेक्टेयर से अधिक भू-खंडों को मिलाकर बड़े डैम बनाने का सरकार का प्रस्ताव है. डैम के बनने से सीधे प्रभावित किसानों से बगैर कोई बातचीत किये जांच/सर्वे करने के काम को ग्रामीणों ने बीते 2 अगस्त को रोक दिया और 25 अगस्त को पोखरिया गांव में तीन सौ से अधिक ग्रामीण जुटे. डैम निर्माण से संबंधित पदाधिकारियों को किसी भी सूरत में डैम नहीं बनने देने का निर्णय सुनाया। ग्राम सभा में बगोदर के पूर्व माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि जब सरकार किसानों से कोई राय-शुमारी करना उचित नही समझती है तो भाकपा(माले) किसानों के निर्णय के साथ ही खड़ी रहेगी.

भाजपा विधायक के खिलाफ जनाक्रोश

शहीद कामरेड महेंद्र सिंह तीन बार और कामरेड विनोद कुमार सिंह दो बार बगोदर के विधायक रहे। वे अपने कार्यकाल में बगोदर विधानसभा के समुचित विकास के लिए प्रयासरत रहे. इसी वजह से 95 प्रतिशत से अधिक गांवों को सड़कों और पुल-पुलियों से जोड़कर आवागमन को सुगम किया गया  था. पर बर्ष 1990 के बाद, पांच टर्म के विधानसभा के बाद बर्ष 2015 से, बीते पांच साल से बगोदर में भाजपा का विधायक है. केंद्र-राज्य और बगोदर में भाजपा के शासन के बाबजूद नयी सड़कों का निर्माण तो दूर , कई जरूरी जर्जर ग्रामीण सड़कों की मरम्मती तक बीते पांच साल में नहीं हो पायी है. इसमें बगोदर प्रखण्ड में जीटी रोड से धरगुल्ली पथ, जीटी रोड मंझिलाडीह से अमनारी पथ, हरिहरधाम से बराय, नौवाडीह पथ, जीटी रोड से तिरला, बालक, अलगडीहा पथ, जीटी रोड गोपालडीह से बेको, चौधरीबांध, कुसमरजा, तिरला मोड पथ आदि समेत अनेको प्रमुख रोड शामिल हैं. ग्रामीण सड़को की आवश्यक मरम्मती नही होने से ग्रामीणों में भाजपा विधायक के खिलाफ काफी रोष है. ग्राम सभाओं में जर्जर ग्रामीण सड़कों की स्थिति मुख्य एजेंडे के रूप में चिन्हित की जा रही है.

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बगोदर के प्रवासी मजदूरों के दयनीय हालात

अलग राज बनने के बाद भी राज्य के अन्य इलाकों की तरह बगोदर व आस-पास के इलाकों से नौजवानों का परिवार के भरण-पोषण के लिए देश -विदेश के विभिन्न हिस्सों में खासकर ट्रांसमिशन लाइन के काम में व्यापक पलायन बदस्तूर जारी है. निजी कंपनियों की अमानवीय व असंवेदनहीन हरकतें रही हैं. दुर्घटनावश या अन्य वजहों से प्रवासी मजदूरों की मौतों पर न कंपनियां जिम्मेवारी लेती है और न ही झारखण्ड सरकार. पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह और पार्टी की उल्लेखनीय धारावाहिक पहलकदमी से संबंधित कंपनियों पर भारी जन दबाव के कारण प्रभावित प्रवासी मजदूरों के परिजनों को मुआवजा और अन्य सुविधाएं अविश्वसनीय तौर पर मिल पायी थीं.

बगोदर के जरमुने पश्चिमी और बगोदर पश्चिमी पंचायत के तीन मजदूर अफगानिस्तान में विगत 17 महीनों से अपहृत हैं. जरमुने, सोनतुरपी और घाघरा गांव के ग्राम सभाओं में अपहृत मजदूरों की रिहाई न होने से जनता न सिर्फ खासी परेशान थी, बल्कि प्रचंड रूप से आक्रोशित भी थी. गौरतलब हो कि कंपनी के बुलावे पर दिल्ली गए अपहृत मजदूरों में से एक घाघरा निवासी प्रकाश महतो के मां-पिताजी और पत्नी दो बच्चों के साथ पिछले छह महीने से लापता हैं. लिहाज़ा न कंपनी और न ही सरकार, अपहृत मजदूरों  के आधिकारिक अद्यतन स्थिति बताने को उपलब्ध है. पार्टी द्वारा बगोदर, गिरिडीह, धनबाद व रांची से लेकर राजधानी दिल्ली तक धारावाहिक कार्यक्रम और विरोध प्रदर्शन किए गए. नतीजतन, भारी दबाव के कारण तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अपहृत मजदूरों के परिजनों से 15 जून 2018 को दिल्ली में मिलने को बाध्य होना पड़ा था. हालांकि नतीजा सिफर रहा. प्रवासी मजदूरों के हितार्थ पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह की आन्दोलनात्मक संवेदनशीलता और पार्टी की पहलकदमी का बगोदर के गांव-जवार में व्यापक और जीवंत प्रभाव महसूस किया जा सकता है. अपहृत मजदूरों की रिहाई के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर भारी दबाव बनाने के बजाय भाजपा विधायक नागेंद्र महतो झारखण्ड सरकार के द्वारा सिर्फ एक लाख रुपये की सहायता राशि बांटकर पल्ला झाड़ लिया गया, जिससे उनको परिजनों द्वारा भारी गुस्से का सामना करना पड़ा. वहीं हास्यापद तरीके से भाजयुमो ने अपने सरकार की कोशिशों पर सवाल न खड़ा करके हरिहरधाम में रिहाई हेतु हवन कार्यक्रम आयोजित किया.

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अनुमंडल तो बना लेकिन अनुमंडल भवन नहीं

बगोदर में बीते पांच साल में अनुमंडल भवन का न बनना यहां के लोगों को अखरता है. ज्ञात हो कि बगोदर को अनुमंडल बनाने को लेकर 2014 के शुरुआती महीनों में पार्टी द्वारा उल्लेखनीय और ऐतिहासिक आन्दोलनात्मक पहलकदमी ली गयी थी. अनुमंडल भवन को लेकर ग्राम सभाओं में भाजपा विधायक और झारखण्ड की रघुवर सरकार की खूब आलोचना हो रही है.

कोनार नहर: उद्घाटन के साथ ही घ्वस्तउतरी छोटानागपुर की बहुप्रतीक्षित कोनार नहर सिचाई परियोजना का झारखंड मुख्यमंत्री रघुवर दास और भाजपा मंत्रियों-विधायकों द्वारा बड़े ताम-झाम के साथ 29 अगस्त को उदघाटन किया गया. परन्तु उदघाटन के दस घंटे के बाद ही बगोदर के कुसमरजा गांव के समीप यह नहर टूट गयी जिससे किसानों की सैकड़ो एकड़ में लगी धान वगैरह की फसल बर्बाद हो गयी. खेतों में दूर-दूर तक और भारी मात्रा में भर आयी पानी और मिट्टी ने किसानों की सारी खुशियां लील लीं.

42 साल के बाद 2200 करोड़ रुपये से अधिक की सिचाई योजना के मात्र 60 प्रतिशत काम पूरा होने और बड़े पैमाने पर भाजपा राज में लूट की वजह से ऐसा हुआ. पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह घटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचे और उन्होंने बताया कि नहर का उद्घाटन आनन-फानन में सिर्फ चुनावी फायदे के लिए किया गया. 22 सौ करोड़ की योजना से किसानों को 22 रुपये का लाभ भी नही मिला जबकि उनकी लाखों रुपये की फसल चौपट हो गयी. नहर निर्माण में भारी लूट को छुपाने की कोशिश में बगोदर के भाजपा विधायक नागेंद्र महतो और सरकार ने पहले नहर टूट के लिए चूहों को कारण बताया और बाद में विपक्ष को इसके लिए जिम्मेवार बता दिया गया.

नहर टूट के लिए भाकपा(माले) ने नहर निर्माण अधूरा रहने, निर्माण में व्यापक लूट किये जाने और चुनावी लाभ के लिए आनन-फानन में बगैर आवश्यक इंतेजाम किये पानी छोड़ने के लिए भाजपा शासन और सरकार को दोषी ठहराया है और किसानों को धान, मकई वगैरह फसल और खेतों में मिट्टी और पानी भर जाने से हुए भारी नुकसान के लिए अविलम्ब मुआवजा की मांग की है.

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किसानों की रायशुमारी के बगैर बना विशाल डैम

बिरनी के बरहमसिया पंचायत में किसानों से बगैर राय मशविरा किये सरकार द्वारा विशाल डैम बनाने को लेकर ग्रामीण उद्वेलित हैं. ग्राम सभा में भीे यह मुद्दा छाया रहा. बहरहाल बिरनी में माॅडल डिग्री कालेज के निर्माण के चार साल होने के बाद भी उदघाटन न होना, भरकट्ठा में पानी टंकी का अधूरा रहना, सरिया में पावर ग्रिड निर्माण का पूरा न होना, राजधानी रांची और उप राजधानी दुमका के पथ पर सरिया में रेल ओवरब्रिज के न बनने, पोलीटेक्निक कालेज, बगोदर का उदघाटन व पठन-पाठन चालू न होने, अटका आईटीआई कालेज में शिक्षकों की घोर कमी, बिजली-पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं का भगवान भरोसे रहना, स्वीकृत ट्रामा सेंटर का निर्माण करने में भाजपा शासन के विपफल रहने जैसे कई जवलंत सवाल बगोदर विधानसभा में तथाकथित अच्छे दिन को मुंह चिढ़ा रहे हैं.

जीटी रोड किनारे के गांवों के जन संवाद में जीटी रोड सिक्स लेन कार्य से प्रभावित किसानों को आवासीय भूमि का मुआवजा कृषि भूमि दर से मिलने तथा गैर मजरुआ जमीन का मुआवजा न देने और गैस पाइप लाइन का काम करनेवाली गेल कंपनी द्वारा मुआवजा भुगतान में मनमानी करने को लेकर आम किसानों में भारी रोष है। पार्टी द्वारा धारावाहिक कार्यक्रम से उसकी विश्वसनीयता बनी है.

जनता का कुछ और शिकायतें भी है

भाजपा शासन में प्रखंड और अंचल कार्यालयों में व्यापक लूट और भष्र्टाचार बढ़ने और उसके खिलाफ पार्टी द्वारा कोई आक्रामक पहलकदमी न लेने की शिकायत जन संवाद में बड़ा मुद्दा रहा है.

बहरहाल समूची पार्टी कतारों और नेतृत्वकारी साथियों को भाजपा शासन के विक्षोभ को केंद्र कर व्यापक मुहिम चलाया जाना हमारे लिए चुनौती बनी हुई है. अभी तक एक तिहाई गांवों में ही ग्राम सभा हो पाई है. एक महीने के भीतर दो तिहाई शेष गांवों में ग्राम सभाओं का आयोजित करना भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इस साल के अंत तक विधान सभा के चुनाव होने वाले हैं. आनेवाले दिनों में 15 सिंतबर के बाद प्रखंड स्तर पर आए जनमुद्दों को लेकर खासकर राशन कार्ड, विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, गैर मजरूआ जमीन की जमाबंदी और लैंड बैंक का विरोध में प्रखंड/अंचल कार्यालयों में व्यापक भ्रष्टाचार और भाजपा के सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति के खिलाफ प्रखंड स्तरीय आंदोलनात्मक पहलकदमी लिया जाना  बाकी है.

बहरहाल, विधानसभा चुनाव की पूर्व बेला में, जन विक्षोभ, जनमुद्दों और जनता की समस्याओं को केंद्र कर एक बड़े दूरगामी और निर्णायक फासीवाद विरोधी जन आंदोलन की शुरुआत बगोदर विधानसभा से करने की एक अलग अहमियत है. यह पूरे झारखंड के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है. इसके मद्देनजर पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओ की व्यापक पहलकदमी और पेशेवर मानसिकता को उन्नत करना होगा. साथ ही साथ जनांदोलनों को पार्टी की दिशा के अनुकूल फासीवाद विरोधी राजनीतिक आंदोलन रुप में विकसित करने के लिए व्यापक ग्रामीण गरीबों की वाम राजनीतिक चेतना को उन्नत करना होगा व जिम्मेदार नागरिक बोध यानी देश के भाग्य विधाता बन जाने की भावना तक ऊंचा उठाने की मौजूदा चुनौती पर अवश्य ही खरा उतरना होगा.

– हेमलाल महतो