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नई दिल्ली, 4 मार्च 2022.

यूक्रेन पर पुतिन के हमले के मामले में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में बार—बार मतदान से बाहर रहना भारत की जनता की अपेक्षाओं के विपरीत है. जनता चाहती है कि यूक्रेन पर थोपा गया अन्यायी युद्ध बंद हो, वहां शांति स्थापित हो और युद्ध के बीच में फंसे भारतीयों, जो भयानक असुरक्षा और नस्लीय भेदभाव झेल रहे हैं, को अपने देश में सुरक्षित वापस लाया जाय. संयुक्त राष्ट्र में बारबार मतदान से बाहर रह कर भारत सरकार पुतिन द्वारा थोपे गये युद्ध का गोलमोल तरीके से अनुमोदन कर रही है जोकि संम्भवत: संघ ब्रिगेड द्वारा पुतिन को 'सख्त नेता' के रूप में दिखाने और युक्रेन में हो रहे अतिक्रमण को भारत—पाकिस्तान संम्बंधों के लिए आदर्श उदाहरण बताने की सोच से निर्देशित है.

जिस प्रकार आम रूसी जनता इस युद्ध का विरोध कर रही है और पुतिन की दादागिरी व युद्धोन्माद को रूस के ​हितों के लिए घातक मान कर वहां विरोध किया जा रहा है, उसी प्रकार भारतीय जनता को भी मोदी सरकार द्वारा छलावे वाली भाषा में किये जा रहे पुतिन के अतिक्रमणकारी युद्ध के अपरेाक्ष समर्थन के खिलाफ खड़े होना होगा.

हम सभी भारतीयों से यूक्रेन के साथ एकजुटता में और दुनिया भर में हो रहे युद्ध विरोधी प्रदर्शनों, खासकर रूस में हो रहे युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के प्रति, एकजुटता जाहिर करते हुए पुतिन के इस युद्ध के विरुद्ध सभी जगह विरोध प्रदर्शन जारी रखने की अपील करते हैं.

— भाकपा माले केन्द्रीय कमेटी