वर्ष - 29
अंक - 13
21-03-2020

16 वीं बिहार विधानसभा का आखिरी बजट सत्र कोरोना वायरस के कारण 31 मार्च की बजाए 16 मार्च को ही समाप्त हो गया. इसके कारण बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा नहीं हो सकी. बावजूद, मौजूदा सत्र में भाकपा(माले) विधायकों की पहलकदमियां व सटीक रणनीति से एक तरफ जहां सत्ता पक्ष दबाव में रहा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भीे एकताबद्ध रहा. पटना से निकलने वाले एक दैनिक अखबार ने माले विधायकों की इन पहलकदमियों और उनके द्वारा विधानसभा के पोर्टिकों में प्रत्येक दिन किए गए प्रदर्शन की तख्तियों का कोलाज बनाते हुए विशेष खबर बनायी.

बीते सत्र में बिहार विधानसभा से एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जाना एक बड़ी सफलता रही. भाकपा(माले) विधायकों ने 25 फरवरी को (राजद विधायकों के साथ मिलकर) सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया था. अंदर व बाहर के दबाव में नीतीश कुमार को एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना पड़ा.

विधानसभा सत्र के दौरान जो दूसरी महत्वपूर्ण घटना हुई कि माले विधायकों ने बिहार में भूमि के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के असली चेहरे को सामने ला दिया. उनके सवालों से तिलमिलाये नीतीश ने कहा कि बिहार में अब जमीन है ही नहीं. फिर उन्होंने माले के नेतृत्व में चलने वाले जमीन के आंदोलनों को ‘बकवास’ कहा. इसका जोरदार प्रतिवाद करते हुए खुद नीतीश कुमार द्वारा गठित भूमि सुधार आयोग (बंद्योपाध्याय आयोग) की रिपोर्ट पर चर्चा कराने की चुनौती दी गई तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था.

माले विधायकों ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवाने, हड़ताली शिक्षकों की मांगें मानते हुए उनकी हड़ताल को अविलंब समाप्त करवाने, एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट को नौकरशाही से मुक्त करने और प्राथमिक विद्यालयों के विलोपीकरण पर अविलंब रोक लगाने की मांग की और प्रश्न किया कि जब आज बिहार में डबल इंजन की सरकार है, तब पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा क्यों नहीं मिल रहा है? हड़ताली शिक्षकों पर दमनात्मक कार्रवाई का उन्होंने लगातार विरोध किया.

उन्होंने सोन नहर प्रणाली सहित बिहार की सभी नहर प्रणालियों के आधुनिकीकरण करने, इंद्रपुरी जलाशय का अविलंब निर्माण करवाने, बटाईदार किसानों को पहचान पत्र देने, धान खरीद घोटाले की जांच कराने, रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आने तक गायघाट में बागमती पर तटबंध निर्माण पर रोक लगाने और सभी नलकूपों को चालू करने और किसानों के धान की खरीददारी के सवाल को भी उठाया.

पटना में जल जमाव के मुख्य जिम्मेवार नगर विकास मंत्री को बर्खास्त करने, 30 हजार सफाईकर्मियों की बर्खास्तगी व पद समाप्ति का “फैसला वापस लेने तथा नगर निगमों में आउटसोर्सिंग बंद करने की मांग की गई. सत्र के दौरान सीपीआई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कन्हैया कुमार व अन्य नेताओं पर से देशद्रोह का फर्जी मुकदमा वापस लेने और देशद्रोह कानून के खिलाफ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव लेने की भी मांग उठाई गई.