वर्ष - 29
अंक - 13
21-03-2020

वामपंथी पार्टियों ने 23 मार्च 2020 को भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का शहादत दिवस मनाने का फैसला लिया है ताकि सीएए / एनपीआर / एनआरसी प्रक्रिया के विरोध को सुदृढ़ किया जा सके और आधुनिक समावेशी भारत के उस सपने को सामने लाया जा सके जिसके बारे में भगत सिंह ने लिखा, उसके लिए काम किया और अपनी जिंदगी कुर्बान की.

भाजपा शासन के अंतर्गत उसके सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को आगे बढ़ाने तथा शांतिपूर्ण प्रतिवाद संगठित करने के जनता के अधिकारों पर हमला तेज करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जा रहा है. पुलिस संरक्षण में मास्कधारी गुंडों द्वारा जेएनयू पर हमले के बाद जामिया मिलिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में खुल्लमखुल्ला हमले हुए हैं और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, अन्य भाजपा-शासित राज्यों और दिल्ली में भी शातिराना हमले किए गए. देश की राजधानी को हिला देने वाली हाल की सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 53 (नवीनतम सरकारी आंकड़ा) लोग मारे गए, जबकि यह आंकड़ा इससे भी पार करने की चर्चा चल रही है. सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. करोड़ों रुपये की संपत्ति लूट ली गई. सबसे बुरी बात तो यह कि इस हिंसा के पीड़ितों पर पुलिस आरोप भी लगा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस ने अधिक से अधिक खामोश दर्शक की ही भूमिका निभाई और समय-समय पर इस हिंसा को चलते रहने दिया. वामपंथी पार्टियां इसकी भर्त्सना करती हैं और इस हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग करती हैं.

वामपंथी पार्टियां हालिया बजट प्रस्तावों के प्रति कड़ा विरोध जाहिर करती हैं. यह बजट धनिकों और काॅरपोरेटों को और ज्यादा राहत व छूट देने के साथ जनता की आजीविका पर कड़े हमले कर रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े पैमाने पर निजीकरण के जरिये यह बजट राष्ट्रीय संपत्ति को बेच डालने का प्रस्ताव कर रहा है. यह बजट हमारे आर्थिक बुनियाद को बुरी तरह क्षतिग्रस्त करता है और इसी के साथ, जनता के दुख तकलीफों को कई गुना बढ़ा कर उन पर अभूतपूर्व बोझ लाद रहा है.

हमारी तमाम इकाइयां राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों में संयुक्त रूप से कार्यक्रम संगठित करेंगी. विभिन्न हिस्सों से मार्च निकाले जाएंगे जो किसी केंद्रीय स्थल पर आकर मिलेंगे जहां राजनीतिक नेता, सांस्कृतिक हस्तियां, बुद्धिजीवी गण और जन आन्दोलनों के लोग सार्वजनिक सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम करेंगे. कार्यक्रम के समापन पर ये लोग संलग्न शपथ भी लेंगे.

सीताराम येचुरी, महासचिव, माकपा
डी. राजा, महासचिव, भाकपा
दीपंकर भट्टाचार्य, महासचिव, भाकपा(माले)
देवव्रत विश्वास, महासचिव, एआइएफबी
मनोज भट्टाचार्य, आएसपी