वर्ष - 29
अंक - 12
14-03-2020

विगत 6 मार्च 2020 को झुंझुनू (राजस्थान) में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले चेतावनी रैली निकाली गई जिसमें झमाझम हो रही बारिश से बेपरवाह सेकड़ों किसानों ने गांधी चौक से कलेक्ट्रेट तक किसान महासभा के झंडे हाथ में लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए मार्च किया. रैली में शामिल किसानों का जोश देखते ही बनता था.

किसान चेतावनी रैली की प्रमुख मांगों में बिजली दरों की बढ़ोत्तरी को जनहित में वापस लेने, कृषि कनेक्शनों को मिलने वाली 1666 रुपये प्रति बिल सब्सिडी को, जिसे बंद कर दिया गया है, पुनः जारी करने, हर रोज हो रही ओलावृष्टि से फसलों की तबाही का सही आकलन कर मुआवजा देने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसल की लागत का डेढ़ गुणा दाम देने, किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, कृषि बीमा नीति में खेत को इकाई मानते हुए किसानों के हित में फसल बीमा नीति बनाने, वीसीआर के नाम पर लूट बंद करने, वीसीआर में वास्तविक लोड के बजाय ज्यादा लोड दर्शाना बंद करने, सेटलमेंट कमेटी में न्याय के नाम पर मजाक बंद करने, आवारा पशुओं का प्रबंध कर किसानों की फसल बचाने, किसानों को प्रति माह बिना शर्त पांच हजार रुपये वृद्धावस्था पेंशन देने, कृषि कुओं के मनमाने तरीके से बढ़ाये गये लोड की जांच करने व उसे वापस लेने, एक सौ मीटर तक घरेलू कनेक्शनों में सर्विस डोरी की बजाय विद्युत लाइनों को खड़ा कर कनेक्शन देने, नवलगढ़ क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने, गैर-आबादी व जोहड़ों में बसे सभी लोगों को घरेलू विद्युत कनेक्शन देने आदि मांगें शामिल थीं. चेतावनी रैली की ओर से मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को 16 सूत्री मांगों का ज्ञापन दिया गया. जिला कलेक्टर ने ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों के सही-सही निर्धारण के लिए तहसीलदारों को जिम्मेवार बनाने की बात बताई.

जिला कलेक्ट्रेट पर सेवा निवृत्त अध्यापक लक्ष्मण सिंह भुकाना की अध्यक्षता में आयोजित किसानों की सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड फूलचंद ढेवा ने कहा कि गहलौत सरकार हठधार्मिता छोड़ किसानों की जायज मांगें मान ले, अन्यथा उसे सन् 2002-03 जैसे किसान आंदोलन का सामना करना होगा. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने पर 300 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा करती है और दूसरी तरफ राजस्थान में, जहां उसी कांग्रेस की सरकार है, बिजली दरों में डेढ़ गुना बढ़ोतरी कर जनता पर भारी बोझ लाद दिया गया है. कृषि विद्युत कनेक्शनों की 1666 रुपये प्रति बिल जारी सब्सिडी को बंद कर दिया गया है. राज्य का किसान यह भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेगा. जिला अध्यक्ष कामरेड ओमप्रकाश झारोडा ने कहा कि ओलावृष्टि से जिले के कई गांवों की फसलें पहले ही बरबाद हो चुकी हैं. आज तहसील बुहाना, खेतङी व चिड़ावा के कई गांवों की फसलें भी ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गईं. ऐसी हालत में भी राजस्व विभाग कम नुकसान दर्शा कर किसानों के साथ क्रूर मजाक कर रहा है. सभा को जिला उपाध्यक्ष का. इंद्राज सिंह चारावास, स्वराज अभियान के जिला संयोजक कैलाश यादव, सूबेदार पोकर सिंह, का. दुर्गा राम तिलोटिया, सही राम जाखड़, कमला देवी, सभाचंद ढाका, कामरेड प्रेम सिंह नेहरा, का. सूरजभान, सहीराम महला, हरी राम शीथल, रोतास काजला आदि ने संबोधित किया.

सभा में किसान नेताओं ने घोषणा की कि जिला कलेक्टर के वादे के अनुसार जिले के तहसीलदारों द्वारा फसलों के नुकसान का सही आकलन नहीं किया गया तथा गहलोत सरकार द्वारा किसानों की जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो शीघ्र ही एक बड़े आंदोलन की तैयारी की जायेगी.

अखिल भारतीय किसान महासभा ने चेतावनी रैली से पहले भी बिजली की बढ़ी दरें वापस लेने, कृषि कनेक्शनों की बंद सब्सिडी को बिलों में जारी करने सहित 15 सूत्री मांगों को लेकर 25 फरवरी से 2 मार्च तक जिला कलेक्ट्रेट पर धरना दिया था.

– रामचंद्र कुलहरि