वर्ष - 29
अंक - 12
14-03-2020

-- इस्मत शाहजहां

हम जब्र का निजाम गिराने वाले हैं
हम एक नया समाज बनाने वाले हैं
हम पेदरशाही राज गिराने वाले हैं
हम एक नया समाज बनाने वाले हैं
हम इंकलाब हैं, हम इंकलाब हैं
हम किसी की जागीर नहीं, इंकलाब हैं
हम ज़ुल्म की तसवीर नहीं, इंकलाब हैं
हम जिरगा-ओ-जागीर को भी ढाने वाले हैं
औरत की आजादी का अलम वाले हैं
घर-बाहर की तकसीम को रद्द करने वाले हैं
मेहनत के नये कायदे बनाने वाले हैं
हम इंकलाब हैं, हम इंकलाब हैं
हम जब्र-ओ-तशद्दूद से भी अब लड़ने वाले हैं
नया निसाब-ए-इश्क भी बनाने वाले हैं

 

जिस छत के नीचे कातिल साथ रहते हों
अब उन छतों को हम गिराने वाले हैं
हम इंकलाब हैं, हम इंकलाब हैं
हम जंगी इक़्तिसार को गिराने वाले हैं
अलम-ओ-अमन का गीत गाने वाले हैं
हम तब्काकी तकसीम को भी ढाने वाले हैं
हम समाजी इंसाफ को लाने वाले हैं
हम कौमी ऊंच-नीच को बदलने वाले हैं
कौमी बराबरी को हम लाने वाले हैं
मेहनतकशों के राज को बनाने वाले हैं
हम इंकलाब जिंदाबाद गाने वाले हैं
हम इंकलाब हैं, हम इंकलाब हैं
हम किसी की जागीर की तस्वीर नहीं, इंकलाब हैं
हम इंकलाब हैं, हम इंकलाब हैं

(औरत आजादी मार्च-2020 के मौके पर विमेन्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, पाकिस्तान का तराना)