वर्ष - 29
अंक - 19
02-05-2020

वाम दलों ने प्रवासी मजदूरों से घर पहुंचाने के एवज में उनसे पैसा वसूलने के सरकार के आदेश की कड़ी निंदा की है और इसे मजदूर और मानवता विरोधी कदम बताते हुए इसके खिलाफ 5 मई को लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए धरना देने का आह्वान किया है. यह धरना दिन में 11 बजे से 3 बजे तक होगा जिसमें एक जगह जमा नहीं होना है और शारीरिक दूरी बनाकर रखना है.

बिहार के पांच वाम दलों – भाकपा(माले), भाकपा, माकपा, आरएसपी व फारवर्ड ब्लाॅक के राज्य सचिवों – का. कुणाल, सत्यनारायण सिंह, अवधेश कुमार, वीरेंद्र ठाकुर व अमीरक महतो ने इसकी घोषणा करते हुए अन्य लोकतांत्रिक-प्रगतिशील शक्तियों से इस कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की है.

नेताओं ने कहा कि बहुसंख्यक गरीब ही भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस रोग के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. देशव्यापी विरोध के बाद अंततः सरकार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने पर सहमत हुई है. लेकिन , केन्द्र सरकार ने अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए ट्रेन किराया राज्यों से वसूलने को कहा है. इधर बिहार सरकार ने किराया देने से इन्कार करते हुए इसे मजदूरों से वसूलने की घोषणा की है. विडंबना यह है कि पीएम केयर फंड में करोड़ों-अरबों रुपए जमा हैं और प्रधानमंत्री मोदी इसे मजदूरों पर खर्च करना नहीं चाहते. केन्द्र और राज्य सरकार के बीच जिम्मेवारियों को फेंका-फेंकी के इस खेल में पूरा बोझ भुखमरी-बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों पर ही डाला जा रहा है.

अस्पताल में सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के बजाए केन्द्र सरकार सेना के विमान से अस्पताल आदि जगहों पर फूल बरसाने जैसी दिखावे-बाजी के कार्यक्रम में देश के धन का दुरुपयोग कर रही है. 6800 करोड़ रूपये के दो विषेष विमान की खरीद घोर निंदनीय है. इतना ही नहीं, एक ओर पूरे देश में मजदूरों के सामने घोर संकट है तो दूसरी ओर नया पार्लियामेंट भवन बनाने और प्रधानमंत्री आवास बनवाने की भी योजना बना रही है. यह बेहद हास्यास्पद है.

कोरोना के नाम पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन की जबरन कटौती की जा रहे है. वहीं काॅरपोरेटों पर कोई लगाम नहीं है और सरकार उन्हें छूट पर छूट दिए जा रही है. बैंक से कारपोरेटों द्वारा लिए गए पैसों को वसूलने की बजाय डूबने वाले खाते में डालकर एक तरह से माफ कर दिया गया है.

नेताओं ने डबल इंजन की तथाकथित बिहार सरकार से पूछा है कि जब दिल्ली-पटना में भाजपा-जदयू की ही सरकार है, तो प्रवासी मजदूरों को वापस लाने में देरी क्यों हो रही है? नीतीश कुमार और सुशील मोदी इसका जवाब दें.

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बहुसंख्यक गरीब ही इस रोग के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. कोरोना लाॅकडाउन के दरम्यान घर लौटने के दौरान रास्ते में भूख, आत्महत्या, दुर्घटना, भीड़ हिंसा आदि में अनेक लोगों को जान गंवानी पड़ी है. ऐसे तमाम मृतक मजदूरों के परिवारों को पीएम केअर फण्ड से 20-20 लाख रु. के मुआवजे देना चाहिए. यह मौत नहीं हत्या है जिसके लिए सरकार जिम्मेवार है.

वाम दलों ने प्रवासी मजदूरों को 10 हजार रु. का लाॅक डाउन भत्ता, बिना राशन कार्ड वाले सहित सभी गरीबों को 3 माह का राशन, मारे गए मजदूरों को 20 लाख रु. का मुआवजा तथा मुफ्त में सुरक्षित घर वापसी की गारंटी करने की मांग की है.