वर्ष - 30
अंक - 1
01-01-2021


25 दिसंबर को भाकपा(माले) विधायक व किसान नेता का. सुदामा प्रसाद व का. रामबली यादव तथा युवा किसान नेता का. राजू यादव व जनगायक का. कृष्ण कुमार निर्माेही दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बार्डर पर पहुंचे.

अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले जुलूस निकालकर तथा किसान-विरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए नारा लगाते हुए वे लोग टिकरी-बार्डर पर लगे सभा मंच के पास पहुंचे. उन्होंने बिहार की ओर से बार्डर पर डटे किसानों को संबोधित किया. उन्होंने बताया कि किसान  हिमालय की तरह अडिग हैं, वे काले कानूनों को मोदी सरकार से रद्द कराकर ही वापस जाएंगे.

28 दिसंबर तक वे विभिन्न बोर्डर पर किसानों के साथ रहे जहां उन्होंने लगातार किसान धरना को संबोधित किया. 29 दिसंबर को राजधानी पटना में आयोजित किसानों के राजभवन मार्च में शामिल होने के लिए वे पटना लौटे.

झारखंड के खेत मजदूर नेता का. पूरन महतो और पंजाब किसान-मजदूर मुक्ति मोर्चा के नेता भगवंत सिंह व हरविन्दर सिंह समाओं भी टिकरी बोर्डर पर पहुंचे हैं.

इस बीच, अखिल भारतीय किसान महासभा ने 30 दिसंबर को किसान संगठनों के साथ केंद्र सरकार की सातवें दौर की बातचीत में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिजली बिल और वायु प्रदूषण कानून को बदलने की सहमति को किसान आंदोलन के दबाव का नतीजा बताया है.

किसान महासभा के नेता का. पुरूषोत्तम शर्मा ने कहा कि किसानों के प्रतिरोध के कारण हरियाणा सरकार बंधक सी बन गई है. देश के अन्य राज्यों में दसियों हजार किसान सड़कों पर उतर रहे हैं. दिल्ली के चारों बार्डरों पर आंदोलनकारी किसानों की संख्या में एक माह में ढाई गुना की वृद्धि हो चुकी है. यही वह पृष्ठभूमि है कि केंद्र सरकार को अपने अड़ियल रवैये से पीछे हटने को मजबूर हुई है.

किसान महासभा दिल्ली के चारों बार्डरों पर मजबूती से डटी है और लगातार किसानों और उनके संगठनों से आंदोलन की इस ताकत, अनुशासन और अपनी चट्टानी एकता को बनाए रखने का आह्वान कर रही है.