वर्ष - 30
अंक - 7
13-02-2021


किसान आंदोलन पर बर्बर दमन, किसान नेताओं व पत्रकारों को झूठे मुकदमे में फंसाने तथा काले कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के समर्थन में आइसा ने विगत 6 फरवरी 2021 को मुजफ्फरपुर (बिहार) में ‘छात्र-नौजवान मार्च’ निकाला.

मार्च के दौरान ‘देश में कंपनी राज नहीं चलेगा’, ‘मोदी सरकार होश में आओ – किसान आंदोलन पर दमन बंद करो’, ‘किसान नेताओं और पत्रकारों को झूठे मुकदमे में फंसाना बंद करो’, ‘गिरफ्तार किसान नेताओं व पत्रकारों को रिहा करो’, ‘काले कृषि कानूनों को वापस लो’, ‘खेत-खेती व उद्योग-धंधों का निजीकरण बंद करो’, ‘लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बंद करो’ जैसे नारे लगाए गए. मार्च हरिसभा के मुखर्जी सेमिनरी लेन स्थित भाकपा(माले) कार्यालय से निकला. इसमें आइसा के राज्य पार्षद दीपक कुमार, विकाश कुमार, मो. शाहनवाज, सौरभ कुमार, फैजान अख्तर, विकास रंजन, राघवेंद्र कुमार, आदिल हुसैन, मो. इस्माईल, मो. जियालुद्दीन, इंकलाबी नौजवान सभा के नागेंद्र कुमार राय, इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष फहद जमां सहित अन्य छात्र-नौजवान शामिल थे.

इस दौरान छात्र-नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन देश पर काॅरपोरेट कंपनी राज थोपने के खिलाफ अभूतपूर्व जन आंदोलन है. देश को बचाने के लिए पूरे देश के छात्र-नौजवान भी किसान आंदोलन के साथ हैं. यह बहुत ही खतरनाक है कि मोदी सरकार अन्नदाता आंदोलनकारी किसानों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है और उन्हें आतंकवादी कह रही है. दिल्ली बोर्डर पर पानी-बिजली और इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. रास्ते को कंटीले तारों-कांटों से घेर दिया गया है. किसान नेताओं के साथ पत्रकारों को भी फर्जी मुकदमों में फंसा कर गिरफ्तार किया जा रहा है. यह मोदी सरकार की तानाशाही है. लोकतंत्र पर हमला है. लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए देश पर थोपे जा रहे काॅरपोरेट कंपनी राज के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन जारी है. किसान आंदोलन को दुनिया के विभिन्न हिस्सों से समर्थन मिल रहा है. हम छात्र-नौजवान भी किसान आंदोलन के साथ हैं.