वर्ष - 30
अंक - 12
20-03-2021

 

18 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के राज्यस्तरीय आह्वान पर धरना-प्रदर्शन और मार्च निकाल कर मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने का कार्यक्रम आयोजित हुआ.

रायबरेली में आशा कर्मियों ने बकाया मानदेय भुगतान व 18000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर विकास भवन में धरना दिया. धरने को सम्बोधित करते हुये उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की जिला अध्यक्ष अनीता मिश्रा ने कहा कि आशा वर्कर्स से जान लेवा काम लेने के बावजूद उन्हें उनके श्रम का प्रतिफल नहीं दिया जा रहा है. उनको मिलने वाला मानदेय दैनिक मजदूरी से भी कम है और उसकेजरिये जीवन चलाना मुश्किल है. उनको कोविड सर्वे, कोविड टीकाकरण और दस्तक जैसे कार्याे का परितोषिक भी नहीं दिया गया. यूनियन की महामंत्री सावित्री देवी ने कहा कि जिले भर की माताओं और शिशुओं की हिफाजत करने वाली आशा मातृत्व काल मे भी काम करने को बाध्य हैं. उनके काम को न तो सम्मानजनक प्रतिफल मिलता है और न ही समय से कोई भुगतान.

रोशन आरा ने कहा कि देश के कई हिस्सों में आशा वर्कर्स को 10 हजार से 18 हजार रु. तक का मानदेय मिल रहा है जबकि हमें 2 हजार रु. में बेहद कइिन काम करना पड़ रहा है जो गुलामी की तरह ही है. सुनीता यादव ने कहा कि हमारा कोई सेवा अभिलेख निर्मित नहीं किया जाता और न ही हमारे काम की कोई सीमा तय की गई है.

धरना के बाद जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाल कर मुख्यमंत्री को सम्बोधित मांग पत्र दिया गया जिसमें मानदेय व पारितोषिक नहीं, न्यूनतम वेतन 18000 रु. दिये जाने, मातृत्व अवकाश सुनिश्चित करने, कोविड सर्वे व टीका करण, दस्तक सहित अन्य कार्यों का तत्काल भुगतान किये जाने व सभी आशा कर्मियो का सेवा अभिलेख निर्मित किये जाने की मांग की गई. प्रदर्शन मे प्रतिभा तिवारी, सविता देवी, उर्मिला मौर्य, गीतांजलि, कुसुम देवी, चन्द्रावती देवी, उषा पाल, शिवबाला, रेनू गुप्ता, सन्नो, वंदना, संगीता देवी आदि शामिल थीं.

18 मार्च 2021 को फुलपुर (इलाहाबाद) में भी उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के राज्यस्तरीय आह्वान पर आशा कर्मियों ने फुलपुर सीएचसी पर लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया.

धरने को सम्बोधित करते हुये उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन, इलाहाबाद की जिला संयोजक पुष्पा देवी ने कहा कि आशा कर्मियों ने रात दिन जान जोखिम में डालकर कोरोना संकट में काम किया. सरकार हमारी मेहनत से अपनी पीठ भी ख़ूब थपथपा रही है, लेकिन हमें स्थाई करना तो छोड़िए, जीवन जीने लायक मानदेय तक नहीं दे रही है. इसलिए हम मांग करते है कि सरकार कोरोना वरियर्स आशा कर्मियों को स्थाई करे,

फुलपुर प्रखंड की संयोजक मंजू देवी ने कहा कि कोविड सर्वे कोविड टीकाकरण, नवविवाहित जोड़े की जानकारी इकट्ठा करना, उन तक किट पहुचना, गर्भवती महिलाओं की देखभाल करना इत्यादि जैसे कार्याे का परितोषिक भी नहीं दिया गया. जो कुछ देने की बात भी की गई, वह भी समय से कभी नही मिला. हमारा नारा है -- ‘दिल्ली-लखनऊ खोलो कान, आशा कर्मियों को 18,000 रु. वेतनमान’.

मंजू वर्मा ने कहा कि हमारे कामकाज रिकार्ड कहीं नहीं रखा जाता है. जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल-जबाब करने पर आये दिन शासन-प्रशासन की तरफ से निकाल दिए जाने की धमकी मिलती रहती है. शिवानी ने आशा कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने, उनके काम को सम्मान और ससमय उचित मेहनताने के भुगतान का सवाल उठाया.

आशा कर्मियों के धरने का समर्थन करते हुए ऐक्टू जिला सचिव डाॅ. कमल उसरी ने कहा कि सच्चे कोरोना वैरियर्स तो आशा वर्कर्स ही हैं सरकार इन्हें स्थाई करे. सीएचसी पर आशा कर्मियों के लिए अलग रूम की व्यवस्था करे जहां आशा कर्मी आराम कर सकें व नित्य कर्म कर सकें. आशाओं के सुरक्षा की गारंटी की जाये. सरकार उन्हें स्मार्ट मोबाईल, टार्च, दस्ताना इत्यादि दे, उन्होंने कहा कि ऐक्टू द्वारा पूरे देश में आशा कर्मियों को संगठित करने व उनके हित में संघर्ष करने से उनके आंदोलन को राष्ट्रीय पहचान बना है. इलाहाबाद में भी आशाओ के संघर्ष को हम पूरा सहयोग करेंगे, प्रदर्शन मे मंजू देवी, मंजू वर्मा, शिवानी, उर्मिला, संगीता देवी, निर्मला, संजू, पुष्पा, बसंती, निशा यादव, शेषमा आदि शामिल रही.

ASHA movement in Uttar Pradesh