वर्ष - 30
अंक - 11
13-03-2021

 

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने ‘बराबरी, इंसाफ, आजादी अधिकार हमारा’ नारे के साथ देशव्यापी कार्यक्रम आयोजित किए. इके तहत मार्च, धरना, सभा, बैठक, ज्ञापन देने के कार्यक्रम हुए.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐपवा ने बीकेटी तहसील तक मार्च निकालकर सभा की और बराबरी, इंसाफ, आजादी के लिए महिला-अधिकार का नारा बुलंद किया.

इस अवसर पर महिलाओं को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य सह सचिव तथा लखनऊ की संयोजिका मीना सिंह ने कहा कि आज के दौर में पूरे देश में, विशेषकर उत्तर प्रदेश में, महिलाओं के सम्मान, उनकी आजादी और अधिकारों पर जबरदस्त हमला है. इसका इससे बड़ा सुबूत क्या हो सकता है कि महिला दिवस जैसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों को आयोजित करने पर भी बंदिशें लगाई जा रही हैं, यह सरकार की मनुवादी सोच को दिखाता है.

उन्होंने कहा शहर में धारा 144 लागू है और महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की अनुमति नहीं है. इसका साफ अर्थ है कि लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है और महिला अधिकारों की लड़ाई को पीछे धकेलने की साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि कितनी भी पाबंदी क्यों न हो, महिलाएं पितृसत्ता की कैद और राज्यसत्ता की मिलीभगत से महिलाओं की मर्यादा और आजादी पर हमले को कभी स्वीकार नहीं करेंगी और हमेशा अपने अधिकारों के लिये संवैधानिक ढंग से लड़ती रहेंगी.

ऐपवा नेता सालेहा सिद्दीकी ने कहा कि गैस, पेट्रोल, डीजल के अंधाधुंध बढ़ते दाम और चौतरफा मंहगाई ने आम लोगों, खासकर औरतों का जीना मुहाल कर दिया है. महिलायें इसके खिलाफ आंदोलन में उतरेंगी.

कार्यक्रम का संचालन करते हुए ऐपवा राज्य कार्यकारिणी की सदस्य कमला गौतम ने किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त किया. कार्यक्रम में शामिल मंजू गौतम, उर्मिला, रामकली, राम देवी, शांति, विमला, दुलारा, दुर्गा देवी व मन्नो आदि भी शामिल थीं.

अयोध्या में ऐपवा ने शहर के गांधी पार्क मे धरना-प्रदर्शन कर महिलाओं की आवाज बुलंद की. ऐपवा संयोजिका सुनीता गौड़ के नेतृत्व मे हुए कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश में बढ़ती महिला हिंसा, बलात्कार और हत्या की घटनाओं को रोक पाने मे विफल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की गई.

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए महिला नेताओं ने कहा कि आज किसान महिलाएं दिल्ली के बार्डर पर और पूरे देश मे कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रही हैं. अंबानी, अडानी और बड़े पूंजीपतियों के लिए बनाए गए ये कानून किसानों की गुलामी के दस्तावेज हैं. इन कानूनों के जरिए सरकार धीरे-धीरे राशन व्यवस्था को खत्म कर देगी. यह देश भर की गरीब महिलाओं के हितों पर हमला है.

वक्ताओं ने कहा कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से महिलाएं परेशान है. निजीकरण का विरोध और कीमतो पर नियंत्रण हमारी मुख्य मांगों में शामिल है. माइक्रो फाइनेंस कंपनियां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कर्ज के जाल मे फंसाकर शोषण कर रही हैं. देश में पुनः साहूकारी व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कार्यक्रम को ऐपवा संयोजिका सुनीता गौड़, महिला कार्यकर्ता सुधा सागर, शकुंतला, भाकपा(माले) जिला प्रभारी अतीक अहमद, राज्य कमेटी सदस्य कामरेड राम भरोस और पप्पू सोनकर ने संबोधित किया.

इस अवसर पर शांति, सुमन, रजिया बानो, मालती यादव, शारदा सागर, दामिनी, आशा, संगीता, गीता साहू, कांति, उर्मिला, अनीता, फुलारा देवी, रीता, चंद्रकला, प्रेमा देवी, सरोजा यादव, खुशियाली, रंजना, विट्टन, दुखना सहित बड़ी संख्या मे महिलाएं शामिल रहीं.

गाजीपुर में इस मौके पर ऐपवा की ओर से कामरेड सरजू पाडेय पार्क में आयोजित प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा जिलाध्यक्ष चंद्रावती देवी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को पूरी दुनिया की महिलाएं अपने संघर्ष और अधिकार के दिन के रूप में मनाती हैं. लेकिन, आज पूरे देश में महिला दिवस किसान आंदोलन को समर्पित करते हुए मना रहीं हैं. उत्तर प्रदेश के योगी राज में महिलाओं के ऊपर हिंसा, बलात्कार, गैंगरेप, छेड़छाड़ व दलित उत्पीड़न की घटनाएं दिन दूना, रात चौगुना बढ़ रही हैं. हाथरस, बदाऊं, उन्नाव, अलीगढ़, गोरखपुर में हुई निर्मम घटनाएं इसका ज्वलंत प्रमाण हैं. प्रदेश में आये दिन दलित महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाएं घटित हो रहीं हैं. इन घटनाओं के प्रति सरकार का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना है. हम महिलाएं मांग कर रहीं हैं कि पीड़ित महिलाओं को न्याय मिले और अपराधियों-बलात्कारियों को कड़ी सजा दी जाए.

एपवा जिला सहसचिव मंजू गोंड ने योगी सरकार से  पुलिस और प्रशासन को महिला प्रश्नों पर संवेदनशील और जवाबदेह बनाने की मांग उठाई. साथ ही, गाजीपुर शहर में कोतवाल और गोराबाजार चौकी प्रभारी की मिलीभगत से चल रहे हैं शहर में गैरकानूनी धंधे पर रोक लगाने और उसमें पुलिस के संरक्षण की जांच कराने की मांग उठाई.

सुकरा देवी की अध्यक्षता व सरोज यादव के संचालन में हुए कार्यक्रम को सरोज यादव, रिंकू देवी, चंद्रावती देवी, श्यामप्यारी देवी, पुष्पा देवी, शकुंतला देवी, रीता वनवासी आदि ने संबोधित किया. अंत में तहसीलदार सदर को राज्यपाल को संबोधित 13 सुत्रीय मांग पत्र सौंपा गया.

आजमगढ़ जिले के गंजोर (मेहनगर) में इंद्रपति देवी की अध्यक्षता व मीना देवी के संचालन में महिला कन्वेंशन आयोजित किया गया. कन्वेंशन में किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन देते हुए जनद्रोही कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई. सर्वसम्मति से महिलाओं को महिला संगठन ऐपवा में संगठित करने का संकल्प लिया गया. कन्वेंशन को अनीता देवी, रीता देवी, नीरा, अस्मिता, इंदु, पुष्पा, गीता सहित अन्य महिलाओं ने संबोधित किया. कन्वेंशन में लगभग सत्तर महिलाएं शामिल हुईं.

चंदौली में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) तथा जनवादी महिला समिति के बैनर तले स्थानीय परिसर से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाला गया. मार्च के दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा राज्य कार्यकारिणी सदस्य व चंदौली जिलाध्यक्ष का. मुन्नी देवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हिंसा, बलात्कार व हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और दलित महिलाएं विशेष रूप से यौन हिंसा का शिकार बन रही हैं.

ऐपवा जिला सचिव प्रमिला मौर्य ने कहा कि चिंता की बात यह है कि इन घटनाओं के प्रति प्रदेश सरकार का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना और निंदनीय रहा है. हाथरस में जिस प्रकार से रात के अंधेरे में परिवार के सदस्यों की गैर मौजूदगी में पीड़िता की लाश जला दी गई उससे दलितों और महिलाओं के प्रति सरकार का घृणित और मनुवादी चेहरा उजागर हुआ है. योगी सरकार के ‘सबका साथ और कानून के राज’ की यही वास्तविकता है?

मार्च तथा सभा को शिखा मौर्य, सुनीता देवी, गुड़िया खान, चंद्रकला आदि ने संबोधित किया. राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन चंदौली के जिलाधिकारी को सौंपा गया.

सीतापुर जिले की हरगांव ब्लाक के राही गेस्ट हाउस में आयोजित महिला दिवस कार्यक्रम को ऐपवा की जिला अध्यक्ष सरोजिनी. अर्चना, गीता, सरोजिनी बिष्ट आदि महिला नेताओं ने संबोधित किया. जिले की बिसवां ब्लाक में जय देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने धरना-प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित मांग पत्र सौंपा. कार्यक्रम में सुनीता रावत, सुनीता वर्मा, सुष्मा वर्मा, लक्ष्मी शर्मा, वीना शर्मा, चंद्रकली, रामरानी, कुसमा देवी, प्रेमवती, जसोदा आदि दर्जनों महिलाएं शामिल रहीं.

मथुरा में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को महिलाओं के संघर्ष और अधिकार के दिन के रूप में मनाते हुए सिटी मजिस्ट्रेट, मथुरा के कार्यालय  को राज्यपाल के नाम 12 सूत्रीय  ज्ञापन सौपा गया. प्रतिनिधि मंडल में ऐपवा की राज्य परिषद सदस्य ममता चौधरी, जिला कमेटी सदस्य एडवोकेट अलविना शाह, दुलारी रावत, मोनिका सिंह के साथ ही इंनौस नेता नईम शाह व कामिल भी शामिल थे.

देवरिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या में  ऐपवा के बैनर तले ‘किसान आंदोलन और महिलाओं की भूमिका’ विषय पर महिला सम्मेलन हुआ. भाटपार रानी तहसील के सोहनपुर बाजार स्थित भृगु राशन यादव इंटरमीडिएट काॅलेज में आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता पूनम यादव ने की. सम्मेलन को प्रेमलता पांडे, रामकिशोर वर्मा, श्रीराम कुशवाहा सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया.

झारखंड के गढ़वा में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एशोसिएशन (ऐपवा) जिला कमिटी के नेतृत्त्व में गल्र्स हाई स्कूल के मैदान से मुख्य सड़क होते हुए अंबेडकर चैक तक संकल्प मार्च निकाला गया और डाॅ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद रंका मोड़ पर सभा आयोजित की गई. प्रदर्शन व सभा में हाथों में तख्ती, बैनर व झंडा लिए हुए तथा सरकार बिरोधी नारे लगाती भारी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं. महिलाएं ‘तीनों कृषि कानून रद करो, महिलाओं के अधिकार पर हमला बंद करो, जेल में बंद आंदोलनकारी महिलाओं व लड़कियों को रिहा करो, मनु स्मृति नहीं, संविधान से देश व समाज चलाओ, पढेगी बेटी-बढ़ेगी बेटी-लड़ेगी बेटी’ आदि नारे लगा रही थीं.

सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य उपाध्यक्ष सुषमा मेहता ने सभी महिलाओं को महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह दिन महिलाओं के लिए खास है और इस बार तो और ही खास है. पूरे देश में महिलाएं अपने अधिकार के लिए लड़ रही हैं. केंद्र सरकार द्वारा कुछ प्रतिकात्मक कार्य होंगे कि महिलाओं को हवाई जहाज, चलाते, तीरंदाजी करते, कोविड 19 की वैक्सीन लगाते हुए प्रचारित कर महिला सशक्तिकरण का ढिंढोरा पीट रही है. लेकिन जो महिलएं वास्तव में सशक्तिकरण की लड़ाई लड़ रही हैं उनको जेल में रखा गया है.

महिलाओं पर सत्ता के संरक्षण चौतरफा दमन किया जा रहा है. श्रम कानून में संशोधन कर महिलाओं पर आर्थिक हमला जारी है. देश को मनुस्मृति से चलाने की कोशिश हो रही है और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाएं भी महिलाओं की आजादी व अधिकार छीनने में लगी हुई हैं. लेकिन, लंबी लड़ाई के बाद हम महिलाओं को जो अधिकार मिला है, हम उसे कत्तई छीनने नई देंगे.

कार्यक्रम को डंडा पूर्व प्रमुख रहिना बीबी, गायत्री देवी, गीता देवी, ऐपवा के जिला कमिटी सदस्य अनिता तिवारी बबिता देवी, फूलमती देवी, मैत्री कुंवर, चमेली देवी आदि ने संबोधित किया. कार्यक्रम में लीलावती, चम्पा, शीला, करिश्मा, देवकीर्ति टोप्पो, सोनम, नेहा, शालिनी मेहता, कामिनी मेहता, कल्पना मेहता, आरती तिवारी, सुजाता तिवारी, मार्टिना, रेखा, चिंता, देवंती, रिंकी देवी, अनिता देवी, मजलृम बीबी, प्रतिमा, सोनम, समुद्री सहित काफी संख्या में महिलाएं और लड़कियां शामिल थीं.

बगोदर (गिरिडीह) में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ऐपवा की बगोदर ईकाई ने सरिया रोड स्थित शहीद महेंद्र सिंह भवन में महिलाओं की आजादी, न्याय, समानता और अधिकारों की लड़ाई को बुलंद करने तथा आगामी 15 मार्च को स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं की कर्ज माफी, सत्ता-संरक्षित हमलों से महिलाओं की सुरक्षा और विभिन्न अन्य मांगों को लेकर आयोजित ‘विधानसभा घेराव’ को सफल करने का संकल्प लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व ऐपवा प्रखंड सचिव सह बगोदर उप प्रमुख सरिता साव, बगोदर पश्चिमी जिला पार्षद पूनम महतो, बगोदर मध्य जिला पार्षद सरिता महतो, पंचायत समिति की पूर्व सदस्य खगिया देवी, मंजू देवी समेत अन्य ने किया.

कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के बेहराडीह समुदायिक भवन में ऐपवा द्वारा महिला दिवस मनाया गया. मौके पर पंचायत सचिव कौशल्या देवी और भाकप(माले) के प्रखंड सचिव राजेन्द्र मेहता भी मौजूद थे.

रामगढ़ में ऐपवा नेत्रियों नीता बेदिया, कांति देवी व झूमा घोषाल के नेतृत्व में शहर के मेन रोड स्थित भाकपा(माले) कार्यालय से एक रैली निकाली गई जो फुटबाॅल मैदान होते हुए वापस लौटकर सुभाष चौक पहुंची. वहां आयोजित  सभा को संबोधित करते हुए नीता बेदिया ने कहा कि मजदूर महिलाएं मोदी सरकार द्वारा पारित श्रम कानूनों के खिलाफ लड़ रही है, स्कीम वर्कर्स लड़ रही है कि उन्हें कर्मचारी की मान्यता और न्यूनतम वेतन मिले, पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से महिलाएं परेशान हैं इसलिए वे निजीकरण को रोकने और कीमतों पर नियंत्रण करने की मांग कर रही हैं. माइक्रो फाइनांस संस्थाओं से छोटे कर्ज लेने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाएं की कर्ज माफी, ब्याज दरों को कम करने और अन्य राहतों की मांग कर रही है. झारखंड में लंबे समय तक भाजपा की सरकार रही. अब सरकार तो बदल गई है लेकिन नौकरशाहों के कारनामों में बदलाव नहीं हुआ है. लड़कियों-छात्राओं के साथ बलात्कार व व उनकी हत्या बदस्तूर जारी है और हेमंत सरकार मौन है.  8 मार्च के अवसर पर महिलाओं की बराबरी और सम्मान की थोथी बातों और भाषणों की कोई जरूरत नहीं है. सरकार हमारी बराबरी और आजादी का सम्मान करे और हमारे अधिकारों को कुचलना बंद करे.

अन्य वक्ताओं ने कहा कि किसान महिलाएं दिल्ली के बार्डर पर और पूरे देश में कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रही है. अंबानी, अडानी और बड़े पूंजीपतियों के फायदे के लिए बनाए गए ये कानून किसानों की गुलामी का दस्तावेज हैं. इन कानूनों के जरिए सरकार धीरे-धीरे जन वितरण प्रणाली को खत्म कर देगी. इसलिए यह देश भर की गरीब महिलाओं के हितों पर हमला है. तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग देश की तमाम महिलाओं की मांग है.

कार्यक्रम में सरिता, पंचमी, रीमा, फूलो, धनमति, जंयती, सुरती, सोनू, तिनकी, सुमनी, सीता, लालकी, उर्मिला, अलवा, रेखा, सांजवा, गीता, कांचो, सुमन्ती, लीला, ललिता, मोगी, उपासी, संजोज्योति, सरिता, सावित्री, कांति देवी सहित सैकड़ों महिलाओं की भागीदारी थी.

छत्तीसगढ़ के कोरबा में ऐपवा के बैनर से आयोजित महिला दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐपवा नेत्री उमा नेताम ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की बराबरी और अधिकारों की घोषणा का दिन है. अतीत में महिलाओं ने बहुत कुछ लड़कर हासिल किया है. आइए, हम उनके संघर्षों को याद करें और आगे की लड़ाई तेज करें; उन्होंने कहा कि लैंगिक बराबरी, न्याय व आजादी के लिए महिला विरोधी फैसलों और कानूनों के खिलाफ साझा जरूरी है. भारतीय संविधान में हर क्षेत्र में महिला आरक्षण का प्रावधान है. महिलाओं के लिए कानून बनाया गया है जिससे महिलाओं की सुरक्षा हो सके. उसके बावजूद भी क्या महिलाएं समाज में सुरक्षित हैं? क्या समाज में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है? क्या उनको परिवार में और समाज में सम्मान और समानता मिल रही है? नहीं, आज भी महिलाएं-बच्चियां सुरक्षित नहीं है. यह एक गंभीर सामाजिक चिंतन का विषय है.

इस मौके पर महिलाओं ने किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के द्वारा कर्ज वसूली पर और कमरतोड़ महंगाई पर रोक लगाने की मांग की. कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष संतोषी दीवान, एडवोकेट ममता दास, अनीता तिवारी. शशि श्रीवास्तव, गौरी चंद्रा, नीतू सिंह, संजू देवी, उषा राठौर, श्वेता पांडे शामिल हुईं. अंत में सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पटना में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन ने गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के समक्ष समारोह का आयोजन किया जिसमें महिलाओं और छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया. आरंभ में महिला आंदोलन और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई.

आयोजन को संबोधित करते हुए ऐपवा की सचिव अनीता सिन्हा ने कहा कि महिला दिवस मनाने का अवसर हासिल करने के लिए अतीत में महिलाओं को लंबा संघर्ष करना पड़ा है. पूरी दुनिया में काम के घंटे कम करने, मताधिकार, संपत्ति पर महिलाओं के अधिकार और आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने आगे बढ़ कर भूमिका निभाई और महिलाओं के लिए बराबरी का संविधान बनवाया. लेकिन आज हमारे संविधान प्रदत अधिकार खतरे में है. आज भी महिलाओं के साथ भेदभाव और अत्याचार जारी है. आज हमारे लिए अपने संघर्षों को जारी रखने का संकल्प लेने का दिन है.

सभा को ऐपवा नेता अनुराधा, विभा गुप्ता, अफ्शां जबीं, नसरीन बानो, रीना प्रसाद, डा. इंदु, आस्मां खानम, मंजू देवी, नीतू, राखी मेहता, रूपम झा, शाहिना, नसीमा खातून, कौशर, पूजा, आरफा, नाजनीन असरफ व अन्य छात्राओं ने भी अपने विचार रखे. कोरस की संयोजक समता राय और रिया ने गीत प्रस्तुत किया. आयोजन स्थल को महिला अधिकारों की घोषणा करते पोस्टरों से सजाया गया था.

मुजफ्फरपुर में ऐपवा ने महिला अधिकार कन्वेंशन का आयोजन किया. इस अवसर पर महिलाओं ने न्याय, आजादी और अधिकार के लिए आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया और महिला दिवस को किसान आंदोलन के प्रति समर्पित करते हुए गांव-पंचायतों में महिला किसान आंदोलन फैलाने की घोषणा की. हरिसभा चौक स्थित भाकपा(माले) कार्यालय में आयोजित कन्वेंशन की शुरुआत किसान आंदोलन में अब तक शहीद और मौत के शिकार हुए 250 किसानों की स्मृति में दो मिनट मौन कर शोक श्रद्धांजलि देने के साथ की गई.

कन्वेंशन को संबोधित करते हुए महिला नेताओं ने कहा कि सामाजिक मान-सम्मान, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार के लिए महिलाओं का आंदोलन जारी है. लेकिन शहर से गांव तक महिलाओं पर हिंसक हमला, यौन बर्बरता और आंदोलनकारी महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल में बंद करने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. सीएए-एनआरसी आंदोलन हो या किसान आंदोलन, महिला कार्यकर्ताओं को सरकारी दमन का निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने ने कहा कि कोरोना लाॅकडाउन से तबाह महिलाओं को मोदी या नीतीश सरकार ने किसी तरह की सहायता नहीं की है. स्कूल रसोईयों, आशाकर्मियों, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मांगों पर सरकार का रवैया निराशाजनक है. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा सिर्फ नारा बन कर रह गया है. महिलाओं के बीच भी सांप्रदायिक नफरत फैलाने की साजिश तो और भी खतरनाक है और रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल और उपभोग की वस्तुओं की बेतहाशा बढ़ती कीमत और जानमारू महंगाई से महिलाएं त्रास्त हैं. महिला अधिकार कन्वेंशन को ऐपवा नेत्री रानी प्रसाद, निर्मला सिंह, चंद्रकला, प्रमिला, चिंता कुमारी, शंकर देवी, रसीदा खातून, अंजली कुमारी, सरस्वती, रेणु, चंदा, सीता, संजू, सावित्री सहित कई महिलाओं ने संबोधित किया.

मुंगेर में ऐपवा के नेतृत्व में स्कीम वर्कर्स व अन्य महिलाओं ने दिलावरपुर काली ताजिया से जुलूस निकाला और रेलवे प्रांगण में सभा की. महिला मार्च का नेतृत्व ऐपवा राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, शाहीन बाग मुंगेर की नेता राशिद आफरीन, चिकित्सा स्वास्थ्य उपसमिति की सम्मानित अध्यक्ष गीता यादव, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की जिला सचिव सुनीता देवी, संध्या देवी अफीफा, तलत मलिक, समीक्षा खातून आदि ने किया.

ताजपुर (समस्तीपुर) ऐपवा जिला अध्यक्ष महिला अधिकार कार्यकर्ता सह ऐपवा जिलाध्यक्ष वंदना सिंह की अगुआई में जुलूस निकाल कर गांधी चौक पर सभा की गई.

इससे पूर्व भ्रूण हत्या, दहेज हत्या, पुलिस-सामंती जुल्म, अश्लीलता व बलात्कार रोकने, किसान विरोधी तीनों कानून वापस लेने, डीजल-पेट्रोल व रसोई गैस समेत आवश्यक सामानों की मूल्यवृद्धि पर रोक लगाने, महिलाओं का लोन माफ करने आदि मांगों के साथ अपने हाथों में झंडे, बैनर एवं नारे लिखे तख्तियां लेकर महिलाओं ने मोतीपुर खैनी गोदाम से जुलूस निकाला जो मुख्य मार्ग से नारे लगाते हुए बाजार क्षेत्र का भ्रमण करने के गांधी चौक पहुंचा.

वहां आयोजित सभा की अध्यक्षता ऐपवा प्रखंड अध्यक्ष सोनिया देवी व संचालन प्रखंड सचिव रंग कुमारी ने किया. अनीता, नीलम, रजिया, रामदुलारी, सुनीता, पुनम, बेबी, रीता, माला, चम्पा, कविता, गायत्री, पिंकी, शिवकुमारी, नीलम, रजनी, रुबी, सुशीला, मंजू, सविता, संजू, व मुन्नी समेत कई महिलाओं ने सभा को संबोधित किया. आंदोलनों में शहीद महिलाओं को मौन श्रद्धांजलि देने और महिलाओं की बेहतरी हेतु संघर्ष करने के संकल्प लेने के साथ सभा समाप्त हुई.

नवादा में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ऐपवा नेत्री सावित्री देवी की अगुआई में मार्च निकाला गया. जहानाबाद में ऐपवा नेता कुंती देवी के नेतृत्व में स्टेशन परिसर से डीएम कार्यालय (कारगिल चौक) तक मार्च निकाल कर सभा की गई. नालंदा के इसलामपुर में ऐपवा के द्वारा भाकपा(माले) कार्यालय से जूलुस निकाला गया जो शहर के काली स्थान, पुरानी बस स्टैन्ड, केवी चौक, सब्जी मंडी आदि विभिन्न मार्गाे से गुजरा. मार्च के दौरान महिलाओं पर अत्याचार बंद करने, स्वंय सहायता समूह की महिलाओं का कर्ज माफ करने, एक-एक लाख रूपया ब्याज मुक्त कर्ज देने की मांग के नारे लग रहे थे. ऐपवा नेत्री शान्ति, नगीया, रिंकु कुमारी, पूजा, सुशीला, संगीता, ललिता, लालमनी आदि दर्जनों महिलाओं कार्यक्रम का नेतृत्व किया.

पूर्णियां में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा की ओर से रूपौली में महिलाओं का कन्वेंशन हुआ एवं मार्च निकाल कर नुक्कड़ सभा की गई. कन्वेंशन की अध्यक्षता सुलेखा देवी व वीना देवी ने किया. मार्च के बाद नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा नेत्री कामरेड सुलेखा देवी ने कहा कि भाजपा राज में महिलाओं पर उत्पीड़न बढ़ गया है. सामाजिक और आर्थिक असमानता की खाई चौड़ी हो गई है और हिंसा, यौन उत्पीड़न व हत्या की घटनायें आम बन गई हैं. नेताओं ने पूर्णिया जिले में महिलाओं पर पर अत्याचार की भी चर्चा की. महिला नेत्री वीणा देवी ने रूपौली में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार व हत्या, धोबगिद्धा में एक लड़की के साथ बलात्कार एवं छप्पन संथाली में एक लड़की के अपहरण की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि रुपौली की विधायिका ने इस पर चुप्पी साध् रखी है. मार्च में संजू देवी, मंती, शिखा, घानो, गीता, गैना देवी, चंपा देवी सहित सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया.

भागलपुर में ऐपवा के बैनर से स्टेशन चैक पर डाॅ. अम्बेदकर गोलम्बर के नजदीक बराबरी, न्याय, सुरक्षा व आजादी की रक्षा के लिए एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. महिला अधिकारों से संबंधित पोस्टरों व झंडे-बैनरों के साथ ऐपवा व ऐक्टू से जुड़ी महिलाओं ने महिला हिंसा को रोकने और महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान की गारंटी करने में विफल केंद्र-राज्य सरकारों के खिलाफ नारे लगाए और सड़कों के आंदोलनों से सीख लेकर संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया. प्रदर्शन का नेतृत्व उषा शर्मा, नगर संयोजक बुधनी देवी, ऐक्टू नेत्री पूनम देवी, रानी देवी व गुंजा भारती ने किया.

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा जिला अध्यक्ष उषा शर्मा ने कहा कि आज महिलाओं को जो कुछ भी हासिल है उसके लिए महिलाओं ने लंबी लड़ाई लड़ी है. हमारे लिए आज का दिन अपनी मजबूती, महिलाओं के लिए बराबरी, न्याय, सुरक्षा-सम्मान व आजादी की लड़ाई को जारी रखने के संकल्प का दिन है.

अन्त में महिलाओं ने जन विरोधी कृषि कानून को वापस लेने, मजदूरों की गुलामी के 4 लेबर कोड बिल को रद्द करने, महंगाई पर रोक लगाने, महिलाओं के सुरक्षा-सम्मान की गारंटी करने आदि की मांग करते हुए महिला व मजदूर आंदोलन के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

प्रदर्शन में राधा, सुनीता, शीला, सुनैना, कौशल्या, सोनी, अप्सरा, चांदनी, अंजुम निशां, रेहाना, सजनी, कारी, खोखा, लुखो, सुमन, रीना, अनिता, अर्चना, रीता, गुड़िया, पुष्पा, रोहिणी, पुरनी, बीबी अरशदी, नंदनी आदि शामिल थीं.

सुपौल के मेला ग्राउंड में दायरणी देवी की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक को संबोकध्त करते हुए महिला नेत्री वीणा देवी ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव में महिलाओं का जीवनयापन मुश्किल होता जा रहा है. अपनी जमीन नहीं होने के वजह से शौचालय योजना का लाभ महिलाओं को नहीं मिल रहा. बैठक में पूनम, भुल्ली, अनाड़ी, मूर्ति , रीना, मुलकी, सुमित्रा, गीताआदि मौजूद थीं.

भोजपुर के आरा में ऐपवा की ओर से महिला मार्च निकाला गया जो श्रीटोला से निकल कर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए रेलवे स्टेशन परिसर पहुंचा, जहां सभा आयोजित की गई. जगदीशपुर में मार्च निकाल कर महिलाओं ने आर्थिक अधिकार, सामाजिक सम्मान और राजनीतिक न्याय के लिए अपनी एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया. यह मार्च भाकपा(माले) कार्यालय होते हुए झंझरिया पोखरा पर सभा में तब्दील हो गया. सभा को ऐपवा जिला सचिव इंदू सिंह, प्रखंड अध्यक्ष लक्ष्मीना देवी, बिमवा पंचायत सरपंच ज्ञान्ति देवी, नूरी, शैल कुमारी, विमला व कंचन कुमारी आदि ने संबोधित किया. संदेश में ऐपवा नेत्री नीलम कुंवर व बरुणा (अगिआंव) में ऐपवा नेत्री देवंती देवी की अगुआई में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया.

असम के गुवाहाटी, नौगांव, जोरहाट, बिश्वनाथ, बिहाली व तिनसुकिया में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस आयोजन हुए. नौगांव के कहुआवटी में ऐपवा व सदऊ असम ग्रामीण श्रमिक संस्था के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐपवा की कार्यकारी सचिव आयफा बेगम, अध्यक्ष परी कुमारी बरूआ, बारदोलोई प्रखंड अध्यक्ष जुनामनी ने गरीब महिलाओं की कर्जमुक्ति के लिए संघर्ष करने व आगामी चुनावों में महागठबंधन के पक्ष में सक्रिय होकर मतदान करने का आह्वान किया.

पष्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत हुगली, चौबीस परगना, बर्दमान कई जगहों पर महिला दिवस आयोजन हुए. पुदुच्चेरी, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी महिला दिवस आयोजन हुए. देश की राजधानी दिल्ली में टिकरी, गाजीुपर व सिंघु बोर्डर समेत कई किसान धरनास्थलों पर महिला दिवस मनाया गया. ओडिशा के रायगड़ा व पुद्दुचेरी में भी इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित हुए.

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