वर्ष - 30
अंक - 9
27-02-2021


किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली बिल 2020 को वापस लेने की मांग पर मुख्यतः पंजाब के किसानों द्वारा शुरू किया गया किसान आंदोलन जो दिल्ली के बोर्डरों – सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बोर्डर पर जारी किसान धरनों के तीन महीने पूरी कर चुकने के साथ ही ऐतिहासिक दर्जा हासिल कर चुका है, वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत देश के अन्य राज्यों में भी किसान आंदोलन की लहर पैदा हो रही है. इस क्रम में बिहार में किसान संगठनों ने अखिल भारतीय किसान महासभा समेत एआइकेएसएससी के घटक अन्य किसान संगठनों ने जबरदस्त विधानसभा घेराव किया और भाकपा(माले) व महागठबंधन में शामिल राजद, कांगेस समेत अन्य वाम दलों ने राज्यव्यापी ऐतिहासिक मानव श्रृंखला खड़ी की. झारखंड में भी शहीद काॅ. महेन्द्र सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर विगत 16 जनवरी को कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर मानव श्रृंखला बनाई गई और अब ‘विधानसभा मार्च’ की तैयारी चल रही है. उत्तरप्रदेश में योगी सरकार के पुलिसिया राज से संषर्घ करते हुए किसान आंदोलन आगे ही बढ़ता जा रहा है और वहां खासकर उसके पश्चिमी जिलों में छोटी-बड़ी किसान पंचायतों का सिलसिला-सा चल पड़ा है. ये किसान पंचायतें बिहार व झारखंड राज्य में भी लगाई जा रही हैं और हर बड़े आंदोलनात्मक कार्यक्रम की तैयारी में बहुत अहम् भूमिका अदा कर रही हैं.

झारखंड में किसान पंचायतों का दौर

भाकपा(माले) नेता काॅ. रमेश कुमार वर्मा की 9वीं बरसी पर विगत 22 फरवरी को गिरिडीह सदर प्रखंड के कोवाड़ में किसान-मजदूर पंचायत लगाई गई. इसकी तैयारी के लिए प्रखंड के बेड़मुका, दुर्गापहरी, तिगोजोरी व कोदयडीह समेत दर्जनों गांवों में किसान बैठकें आयोजित हुईं.

किसान पंचायत में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए किसान विरोधी तीनों काले कानूनों का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की गई. इस मौके पर भाकपा(माले) के स्थानीय कार्यालय का उद्घाटन किया गया और लोकल कमेटी का सम्मेलन कर 15 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. काॅ. मनोज कुमार यादव को इसका सचिव चुना गया.

किसान पंचायत में विभिन्न जन सवालों पर विस्तार से चर्चा की गई. दुर्गापहरी में 2 महीने से राशन वितरण नहीं किया गया है, वहीं बेड़मुका में 90 प्रतिशत निर्माण मजदूर रहने के बावजूद श्रम विभाग के भ्रष्टाचार के कारण एक भी मजदूर का निबंधन नहीं हुआ है. काले कृषि कानूनों के खिलाफ तथा स्थानीय जन सवालों पर आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया गया.

24 फरवरी को जमुआ के कन्दाजोर में किसान महापंचायत और दिवंगत काॅ. डाॅ. मुनोव्वर अली की 5वीं पुण्यतिथि मनाई गई. किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो के सदस्य काॅ. मनोज भगत ने कहा कि काॅ. डाॅ. मनोवर अली ने 80-90 के दशक में सामन्ती ताकतों के खिलाफ संघर्ष किया. हम उनको ऐसे वक्त में याद कर रहे हैं जब देश मे किसान आंदोलन चल रहा है. हमें किसान आंदोलन के पक्ष में गांव-गांव में किसानों को एकजुट करने हेतु किसान पंचायत लगाना है, जनता को जागरूक करना है. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के जमुआ विधानसभा प्रभारी काॅ. अशोक पासवान, जिला कमिटी के सदस्य काॅ. विजय पांडेय, ऐपवा नेत्री काॅ. मीना दास, मनोव्वर हसन बंटी, असगर अली, ललन यादव, मोहम्मद राजा, राजेश दास, रंजीत यादय, अरुण वर्मा, भगीरथ पंडित समेत सैकड़ों ग्रामीण किसान उपस्थित थे.

20 फरवरी को किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर और बगोदर में अपराधी-पुलिस गठजोड़ के विरोध में भाकपा(माले) और किसान महासभा के बैनर तले गोपालडीह (बेको) में किसान पंचायत आयोजित हुई.

28 फरवरी की पेशम में किसान मजदूर महापंचायत की तैयारी हेतु 21 फरवरी का बिरनी प्रखंड के चैंगाखार पंचायत के चरगो गांव में भाकपा(माले) एवं झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा की बैठक हुई. बैठक में विभिन्न जन मुद्दों एवं सांगठनिक पहलूओं पर बातचीत की गई.

22 फरवरी को गिरिडीह सदर प्रखंड के बुढ़ियाटांड़ गांव में किसान पंचायत आयोजित की गई.

24 फरवरी को कुश्माई में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया जिसमें भाकपा(माले) की प्रखंड कमिटी के सदस्य इजराइल अंसारी, मोईन अंसारी, कुश्माई पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि रियासत अंसारी, मुजाहिद अंसारी, पंसस प्रतिनिधि रामदेव यादव, आबिद अंसारी, जमाल अंसारी, नियाजुल अंसारी, मिनहाज अंसारी, डाॅ. मकबूल अंसारी, मुस्लिम अंसारी आदि सैकड़ो महिला-पुरुष शामिल थे.

24 फरवरी को बिरनी प्रखंड के केंदुआ पंचायत के औरवाटांड पंचायत भवन प्रांगण में किसान महापंचायत आयोजित हुई. पंचायत में लोगों ने जमीन दाखिल-खारिज, राशन कार्ड, पेंशन, आवास, बिजली, मीटर, पेयजल (इलाके में कई चापाकल खराब हैं) समेत विभिन्न तरह की जन समस्याओं को रखा. तमाम तरह के सवालों को लेकर लोग ब्लॉक अंचल का चक्कर काटते रहते हैं लेकिन यह भ्रष्टाचार के आड़ में आम जनता का कोई काम हल नहीं हो पा रहा है. यह तमाम मुद्दा एकत्रित करने के लिए महापंचायत आयोजित थी लोगों ने निर्णय लिया है ब्लाॅक व अंचल कार्यालय तथा पुलिस थाना का भ्रष्टाचार भी एक बड़ा सवाल है.

महापंचायत में मुख्य रूप से बिरनी मध्य जोन जिला परिषद सदस्य कैलाश यादव, भाकपा(माले) प्रखंड कमेटी के सदस्य सहदेव यादव, पिंटू यादव, इजराइल अंसारी, नारायण यादव, रंजीत यादव, बंधन रविदास, प्रदीप दास दयानंद पांडे आदि सैकड़ों महिला-पुरुष उपस्थित थे.

21 फरवरी को औरा बाजार कांड में अपराधी-पुलिस गठजोड को खिलाफ किसानों की महापंचायत सम्पन्न हुई. इस महापंचायत की अध्यक्षता अलगडीहा पंचायत के मुखिया मोहम्मद अख्तर अंसारी व संचालन औरा पंचायत के उप मुखिया तीरभुवन महतो ने किया. महापंचायत को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सचिव पुरन महतो ने कहा कि मोदी सरकार रेलवे, कल-कारखना, हवाई अड्डा बेचने के बाद अब किसानों की जमीन भी अडानी-अम्बानी को देने पर तुली हुई है. यदि कोई इसका विरोध करेगा तो देशद्रोही कहा जाएगा. जबकि देश का पूरा खजाना लुट कर भाजपा में शामिल होनेवाला देशभक्त कहा जाएगा. उन्होंने गोपालडीह के योगेश कुमार महतो और बालक के कलीम खान हत्याकांड के दोषियों की अब तक गिरफ्तारी नहीं होने पर आक्रोश जताते हुए कहा कि बगोदर पुलिस अपराधियों को बचाने के लिए योगेश कुमार महतो की हत्या को दुर्घटना और कलीम खान की हत्या को आत्महत्या करार देने पर अमादा है. कह कर लिया है कहकर भरमाने कि कोशिश कर रही है. पुलिस की इस घिनौनी साजिश के खिलाफ गांव-गांव के किसान संगठित हो रहे हैं.

 

Kisan Panchayats are being organized UP

उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतें

किसान विरोधी कृषि कानून वापस लेने की मांग पर विगत 21 फरवरी 2021 को सीतापुर जिले के गांव छवनि मुजरा व रामपुर घेरवा में किसान पंचायत लगाई गई. अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले लगी किसान पंचायत को किसान महासभा के जिला प्रभारी काॅ. संतराम ने मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया. उन्होंने कहा कि किसान पिछले 3 महीने से दिल्ली को घेर कर बैठे हैं लेकिन भाजपा सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही है. इससे यह साबित होता है कि भाजपा सरकार पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो कर किसानों के साथ गद्दारी कर रही है. केंद्र सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना ही होगा. किसानों ने गांव-गांव में पंचायत लगाने का फैसला लिया है. अगले चुनाव में किसान इसका जवाब उसे दिल्ली की कुर्सी से उखाड़ फेंक कर देंगे. पंचायत में काॅ. रामदास, राजेश यादव, रामचंद्र, देबीदयाल, बृजलाल, राहुल, सतीश आदि उपस्थित रहे.

22 फरवरी को सीतापुर जिले की हरगांव ब्लाक के तीर्थ पर गांव में संयुक्त किसान मोर्चा का सम्मेलन आयोजित हुआ. सम्मेलन से गांव-गांव में किसान पंचायत लगाने की योजना बनी. सम्मेलन में भाकपा(माले) के जिला सचिव काॅ. अर्जुन लाल तथा किसान महासभा के जिला कमेटी सदस्य काॅ. रामसनेही वर्मा भी शामिल हुए. सम्मेलन को काॅ. रामसनेही वर्मा, काॅ. अर्जुन लाल, किसान मंच से शिवप्रकाश सिंह, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पिंदर सिंह सिद्धू, संगतिन मजदूर संगठन की रिचा सिंह. टिकैत गुट के उमेश पांडे, अल्पना सिंह, मनरेगा मजदूर सभा से कन्हैया लाल कश्यप और पूर्व जिला पंचायत सदस्य आशीष रस्तोगी ने संबोधित किया. तीनों कृषि कानूनों वापस लेने तक संघर्ष जारी रखने और मार्च के पहले हप्ते में जिला मुख्यालय पर भारी जुटान के साथ किसान पंचायत करने का आह्वान किया गया.

25 फरवरी को बलिया जिले के सिकंदरपुर प्रखंड के सीसोटार गांव में किसान पंचायत आयोजित हुई. पंचायत को किसान महासभा के नेता नेयाज अहमद, इंनौस के जिला संयोजक व भाकपा(माले) के सिकंदरपुर एरिया सचिव भागवत बिंद, खेग्रामस नेता धर्मेंद्र राजभर व जितेन्द्र पासवान ने संबोधित किया.

मध्यप्रदेश के भिंड में किसान महापंचायत

विगत 25 फरवरी 2021 को मध्यप्रदेश के भिंड जिलांतर्गत के पीठनपुरा गांव में किसानों की महापंचायत आयोजित हुई.

गांव के किसानों के बीच में किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड देवेंद्र सिंह चौहान ने मुख्य रुप से किसान विरोधी तीनों काले कानूनों, बिजली बिल 2020 और दिल्ली में चल रहे आंदोलन के संबंध में चर्चा की.

किसान पंचायत में किसान सभा के नेता काॅ. निल डोनेरिया, अटेर क्षेत्र के किसान नेता एवं सपा नेता बृजेश कुमार बोहरे, किसान नेता नाथूराम बघेल, काॅ. रामकिशोर ओझा, काॅ. प्रभु दयाल सेजवार व अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे.

पंचायत में शामिल एक किसान की बातें

पिछले दिनों अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव का. रामाधार सिंह ने जहानाबाद जिले के कई गांवों में किसान पंचायतें लगाईं. इन पंचायतों से प्राप्त एक खास अनुभव को वे साझा कर रहे हैं.

किसान पंचायत में उपस्थित हैं किसान लोग. यह गांव है जहानाबाद सदर प्रखंड का गौरा पुर. इस पंचायत में एक निम्न मध्यम किसान बनवारी महतो बैठे हुए हैं. बनवारी महतो धान, गेहूं और अन्य तरह की फसलों का उत्पादन करते हैं. बनवारी महतो 1 एकड़ में फसल उगाने में जो लागत पूंजी लगती है, उस पर अपनी बात रख रहे हैं.

1 एकड़ धान उत्पादन में लागत मूल्य

रोपाई के दौरान रोपनी, कबरिया व बोझवाह के रूप में कुल 20 मजदूर, जिनकी औसत मजदूरी या दिए जानेवाले चावल की कीमत जोड़कर कर कुल 3500 रुपये. दूर का नाश्ता-खाना 1500 रुपए. जुताई 2450 रूपये.

गोहट देने वाले मजदूर का मजदूरी खाना सहित 1500 रूपये. डीएपी खाद की कीमत 1400 रुपये. जाइम खद की कीमत 800 रुपये. 3 बार नेत्रजन खाद देने की कीमत 1400 रुपये. दो बार दी जानेवाली दवा की कीमत 1500 रुपये.

खाद और दवा छींटने वाले की मजदूरी 3000 रुपये, 1 एकड़ में सोहनी करने में मजदूरी 3000 रुपये.

बीज की कीमत 1000 रुपये, बीज में दी जानेवालकी कीमत 100 रुपये. धान काटने का मजदूरी 7000 रुपये. धान की पिटाई करने में मजदूरी 4000 रुपये. खेत का पट्टा देने में खेत मालिक को दी जाने वाली राशि 16000 रुपये. धान से गेहूं तक एक व्यक्ति का पारिवारिक श्रम 9000 रुपये.

धान की कुल उपज 19 क्विंटल 20 किलो. अगर इसे पैक्स वाले ले लेते तो 1 क्विंटल नमी काटने के बाद शेष 18 क्विंटल 20 किलो बचेगा जिसका दाम 1868 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 33997 रूपये होगा.

1 एकड़ गेहूं उत्पादन में लागत मूल्य

खेत की जुताई 2450 रुपये. बीज 4500 रुपये. खाद 2800 रुपए. तीन बार पटवन का खर्च 3000 रुपये. कटनी में मजदूरी 3000 रुपये. थ्रेसिंग 2400 रुपए.

गेहूं उत्पादन में कुल खर्च 18150 रुपये. कुल गेहूं का उपज 10 क्विंटल जिसका सरकारी दाम नमी काटकर 18000 रुपये होगा.

खुल धान की कीमत - 33950 रुपये
कुल गेहूं की कीमत - 18000 रुपये
बिजली बिल 4000 रुपये. गेहूं का भूसा 2500 रुपये
कुल आमदनी 58450 रुपये
कुल खर्च 67750 रुपय

बनवारी महतो कहते हैं “नेताजी हम तो समझते हली कि घाटा लागत. जोड़ने से 9300 के घाटा आयेल. बनवारी महतो कहते हैं “कईसे खेती हम करब, मनी पट्टा कैसे लें, घर-वह तो बिक जाए.

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