वर्ष - 30
अंक - 11
13-03-2021

 

राजस्थान के उदयपुर में ‘चयन की आजादी और वर्तमान का परिवेश” विषय पर संगोष्ठी और राशन-मैक्रोफाइनेंस की लूट के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन हुआ.

उदयपुर में ‘चयन की आजादी और वर्तमान का परिवेश’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में ऐपवा की नेता रेहाना ने कहा कि 8 मार्च दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक अहम् दिन है जो हमें अपने नागरिक अधिकारों को हासिल करने की क्रांतिकारी विरासत की याद दिलाता है और अपनी जिंदगी के सवालों से जूझने की ताकत और हौसला देता है. यह दिन  महिलाओं के आर्थिक अधिकार, सामाजिक गरिमा व राजनीतिक न्याय हासिल करने के संघर्ष का प्रतीक है.

फरहत बानू ने कहा कि आज के जन-महिला विरोधी लूटतंत्र में संघर्ष से हासिल हमारे ये अधिकार खतरे में हैं और पूरी दुनिया में महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रही हैं. वर्गीय-लैंगिक भेदभावपूर्ण सामाजिक यथार्थ में आज भी श्रमिक महिला से लेकर हर तबके की महिला अपने इन्हीं बुनियादी नागरिक अधिकारों के लिए लड़ रही है, बहस कर रही है.

विशिष्ट अतिथि इतिहासकार डा. कुसुम मेघवाल ने कहा कि सरकार अपनी सांप्रदायिक राजनीति के लिए महिलाओं को हथियार बना रही है. जाति-धर्म की राजनीति और महिलाओं की आजादी का ढकोसला करने वाली भाजपा के असली चेहरे को बेनकाब करने की जरूरत है.

शहजाद ने कहा कि देश की महिलाएं जब रोजगार मांग रही हैं तब सरकार मातृशक्ति की पूजा करने का ढकोसला कर महिलाओं पर होनेवाले हर किस्म के जातीय दमन, हिंसा व उत्पीड़न को संस्कृति के नाम पर जायज ठहराती है. कठुआ-उन्नाव से लेकर हाथरस तक की घटनाएं और उन पर भाजपा नेताओं के बयान दिखाते हैं कि वह किस प्रकार से लैंगिक अपराधों का न केवल महिमामंडन करती है बल्कि बलात्कार के लिए भी महिलाओं को ही कटघरे में खड़ा कर अपराधियों को संरक्षण देती है. इसलिए महिलाओं के लिए यह जरूरी बन गया है कि वे संगठित होकर इन स्थितियों का पर्दाफाश करें और अपने रोजी-रोटी-सुरक्षा-सम्मान के सवालों को मजबूती से उठाएं. उन्होंने देश की सभी संघर्षरत महिलाओं, खास तौर पर बार्डर पर डटी किसान महिलाओं का अभिनंदन करने और उनकी आवाज को पूरे देश में गुंजायमान करने का आह्वान किया.