वर्ष - 31
अंक - 1
01-01-2022

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा, बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन और बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वावधान 30 दिसम्बर 2021 को पटना के आईएमए हाल में खेत व ग्रामीण मजदूरों का संयुक्त राज्यस्तरीय कन्वेंशन आयोजित किया गया.

इस कन्वेंशन का उद्घाटन केरल से राज्य सभा सदस्य और एआइएडब्ल्यूयू (AIAWU) के नेता बी. शिवदासन ने किया. पूर्व सांसद नागेंद्र नाथ ओझा और खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा सहित जानकी पासवान, सत्यदेव राम, बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, भोला प्रसाद दिवाकर, देवेंद्र चौरसिया और रमाकांत अकेला अध्यक्ष मण्डल में शामिल थे.

कन्वेंशन का उद्घाटन करते हुए बी. शिवदासन ने केरल में खेत मज़दूरों की स्थिति पर व्यापक चर्चा की और कहा कि केरल की तरक्की का बड़ा कारण खेत मजदूरों की जीवन स्थिति में सुधार है. केरल मजदूरी, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, पेंशन आदि मोर्चे पर देश में अग्रणी पंक्ति में है. आज जरूरत है कि बिहार में भी केरल की तर्ज पर एक व्यापक कानून बनाया जाए, तभी बिहार में खेत व ग्रामीण मजदूरों की जीवन दशा में सुधार सम्भव है.

नागेंद्र नाथ ओझा ने कहा कि बिहार में जमींदारी उन्मूलन के बाद खेत मजदूरों ने जमीन, मजदूरी, मान-सम्मान, वास-आवास को लेकर बड़े संघर्ष को सामने लाया. आज उस पर एक बार फिर हमले हो रहे हैं, हमें इसका मजबूती से जवाब देना होगा.

समापन वक्त्व्य में खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि नीतीश राज में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं. बकाया मजदूरी मांगने पर समस्तीपुर में सफाई मजदूर रामसेवक राम की पीट-पीट कर हत्या थाने में कर दी गई. उन्होंने कहा कि गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ पूरे बिहार में प्रतिरोध आंदोलन तेज होगा. सरकार को नया वास-आवास कानून बनाना होगा और बिना वैकल्पिक व्यवस्था के दलित-गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगानी होगी.

उन्होंने कहा कि बिहार में मनरेगा लूट की योजना बना दी गयी है. किसान आंदोलन की जीत से ऊर्जा लेते हुए मनरेगा में 200 दिन काम, 600 रुपये दैनिक मजदूरी और कार्यस्थल पर मजदूरी भुगतान को लेकर खेत मजदूरों-ग्रामीण मजदूरों का आंदोलन तेज होगा.

अन्य वक्ताओं ने कहा कि नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट ने बिहार के विकास की पोल खोल दी है. 51.91 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. गरीबों के कल्याण की सारी योजनाओं में भ्रष्टाचार है. नीतीश जी का विकास का दावा पूरी तरह खोखला है.

कन्वेंशन में खेत-ग्रामीण मजदूरों के लिए केंद्रीय कानून बनाने, भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट लागू करने, बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन काम व नयूनतम 600 रुपया मजदूरी देने, दलित-गरीबों-महिलाओं-अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले पर रोक लगाने, रामसेवक राम-योगेंद्र पासवान व चन्देश्वर ट्टषिदेव के हत्यारों की गिरफ्तारी व पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने, भोजन अधिकार कानून को सख्ती से लागू करने, प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराने, स्वास्थ्य केंद्रों को सही ढंग से चालू करने, समान स्कूल प्रणाली को लागू करने, गरीबों की योजनाओं में मची लूट पर रोक लगाने, सांप्रदायिक उन्माद पर रोक लगाने आदि मांगें उठाई गईं और इन पर आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया.

उपर्यक्त मांगों से सम्बंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री और विधायकों-सांसदों को सौंपने, 1 से 15 जनवरी तक जिलों में संयुक्त बैठकें आयोजित करने, 27 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने और 23-24 फरवरी को प्रस्तावित राष्ट्रीय हड़ताल को जोरदार तरीके से सफल बनाने का भी आह्वान किया गया. कन्वेंशन में बड़ी संख्या में खेत व ग्रामीण मजदूर संगठनों के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे.

rural labor organizations in Patna