वर्ष - 31
अंक - 5
29-01-2022

1857 के जहानाबाद के शहीद और बाबू कुंवर सिंह के अनन्य सहयोगी काजी जुल्फीकार अली की शहादत को याद करते हुए विगत 17 जनवरी 2022 को जहानाबा के भाकपा(माले) के जिला कार्यालय परिसर में ‘आजादी के 75 साल : जन अभियान’ के बैनर से संगोष्ठी का आयोजन किया गया और जहानाबाद जिले में इस अभियान की शुरुआत की गई. आजादी के 75 वें साल में इतिहास, साझी संस्कृति-साझी विरासत, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता पर हो रहे हमलों के खिलाफ यह जन अभियान अगस्त 2023 तक चलेगा.

संगोष्ठी को मुख्य रूप से अरवल विधायक महानन्द सिंह, एएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ ओमप्रकाश सिंह, एआईपीएफ के का. कमलेश शर्मा, जन अभियान के संयोजक का. कुमार परवेज, शिक्षाविद राजकिशोर शर्मा, दिनेश प्रसाद, डॉ. अजय सिंह आदि ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन किसान नेता रामाधार सिंह ने किया. इस मौके पर भाकपा(माले) के जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा व वरिष्ठ भाकपा(माले) नेता वसी अहमद सहित कई शिक्षक व मुस्लिम समुदाय के कई बुद्धिजीवी सुल्तान अहमद, हसनैन दीवाना, मो. सकलैन, रफीक जमाली, मो. फुरकान, मो. शहाबुद्दीन अंसारी, हारून राशिद आदि शामिल हुए.

प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह ने अठारह सौ सत्तावन के नायक जुल्फिकार अली की शहादत को याद किया और कहा कि 1857 के पहले पूरे राज्य और इस इलाके में लगातार लड़ाइयां चल रही थीं, तब जाकर 1857 की लड़ाई सामने आई. इन गुमनाम क्रांतिकारियों को खोजना हमारा काम हैजब-जब राजसत्ता आत्म सुख में संलग्न होती है, क्रांति का शंखनाद होता है.

विधायक महानंद सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर भाजपा सरकार देश को विभाजित करने में लगी हुई है. वह चाहती है कि हम अपने इतिहास को भूल जाएं. 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मना कर वह 15 अगस्त के महत्व को कम करना चाहती है. देश की गंगा-जमुनी तहजीब पर हो रहे इस खतरे के खिलाफ हमें अट्ठारह सौ सत्तावन की महान विरासत को याद करना है और जहानाबाद-अरवल में आजादी के आंदोलन के इतिहास को सामने लाना है.

का. कुमार परवेज ने कहा कि चाहे हम कुंवर सिंह-जुल्फिकार अली की बात करें या राम प्रसाद बिस्मिल-अशफाक उल्ला खान की या फिर सावित्राबाई फुले-फातिमा शेख की, हमारा पूरा इतिहास साझी संस्कृति और साझी विरासत का इतिहास है और आज इसी पर खतरा है. आजादी के गर्भ से पैदा हुए संविधान पर खतरा है, इसलिए इसे बचाने के लिए जनता के बीच जाना जरूरी है और उसी दिशा में यह एक प्रयास है.

का. कमलेश शर्मा ने कहा कि 1857 इतिहास पर बहुत कम काम हुआ है. उस दौर में एक-एक गांव में लड़ाई छिड़ी थी, एक-एक गांव में हमारे शहीद हैं, लेकिन हम उन्हें नहीं जानते, हमें उनके बारे में पता नहीं है. हमें प्रयास करके इस स्वर्णिम इतिहास को ढूंढना है और भाजपा द्वारा इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की साजिशों व कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब देना है.

शिक्षाविद राजकिशोर शर्मा ने अठारह सौ सत्तावन के महानायक बाबू कुंवर सिंह द्वारा जुल्फिकार अली को कैथी लिपि में लिखे गए तीनों पत्रों का पाठ किया और कहा कि इससे साबित होता है अठारह सौ सत्तावन की पहली बगावत को योजनाबद्ध तरीके अंजाम दिया गया था.

अजय कुमार सिंह ने कहा कि इतिहास को बचाना हम सबकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

संगोष्ठी से प्रस्ताव लिया गया और अपील की गई कि जिन लोगों के पास भी आजादी की लड़ाई से संबंधित जो भी डॉक्यूमेंट या कागज हो उसे जरूर सामने लाएं ताकि हम अपने इतिहास से रूबरू हो सकें, सच्चे इतिहास को उजागर कर सकें.

martyr Zulfikar Ali of 1857