रामनवमी हिंसा: धार्मिक उत्सवों को वोट बटोरने वाले सांप्रदायिक नफरत के मंच में तब्दील करने की भाजपाई साजिश को शिकस्त दें!

एक बार फिर, रामनवमी उत्सव के मौके पर राज्य-दर-राज्य मुस्लिमों को निशाना बनाकर हिंसा और तोड़फोड़ की कार्रवाइयां की गईं. हिंसा की बड़ी घटनाओं की रिपोर्ट भाजपा-शासित राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और चुनाव की तैयारी कर रहे कर्नाटक से तथा बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा राज्यों से आई हैं. जिन उत्सवों को शांति, सामंजस्य और हर्ष के माहौल में मनाया जाना चाहिए, उन्हें लगातार तोड़फोड़ और हिंसा के अखाड़े में तब्दील कर दिया जा रहा है और उसका निशाना भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिमों को बनाया जा रहा है.

लोकतंत्र पर मोदी निजाम के सर्जिकल स्ट्राइक को शिकस्त दें !

विपक्ष के खिलाफ मोदी सरकार का अभियान भारतीय संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ तीखे होते युद्ध की शक्ल लेता जा रहा है. जहां अडानी घोटाले की जांच करने के लिए विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग उठाई है और राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं मोदी सरकार विपक्ष को निशाना बनाकर अंधाधुध बदले की कार्रवाई कर रही है.

मोदी, अडानी, किरण पटेल: ‘गुजरात माॅडल’ का खुलता खेल

ढिंढोरा पीटे गए ‘गुजरात माॅडल’ की कहानी ज्यादा से ज्यादा अजीबोगरीब बनती जा रही है, और 2023 की शुरूआत से इसके यात्रा-पथ में जो घुमाव आ रहे हैं, वे भी कम सनसनीखेज नहीं हैं.

मोदी शासन द्वारा थोपी गई बेलगाम इमर्जेंसी का प्रतिरोध करें

त्रिपुरा में किसी तरह सत्ता बचा लेने के बाद मोदी सरकार ने अब सड़क की ताकत, प्रचार और राज्य सत्ता की मिलीजुली शक्तियों के सहारे विपक्ष के खिलाफ चौतरफा आक्रमण छेड़ दिया है, और यह इस फासिस्ट शासन का प्रतीक-चिन्ह बन गया है. त्रिपुरा में सापेक्षिक रूप से शांतिपूर्ण चुनावों के बाद संघ ब्रिगेड ने उस राज्य में अब आतंक, बदले की कार्रवाई और हिंसा की नई मुहिम छेड़ दी है और वह विपक्षी पार्टियों, उनके मतदाताओं और यहां तक कि वामपंथी व कांग्रेसी सांसदों व विधायकों के जांच दल को भी अपना निशाना बना रहा है जो उस आतंक-प्रभावित राज्य में दौरा करने गया था.

जोशीमठ और बनफूलपुरा : लापरवाह सरकार और कॉरपोरेट लोभ से उत्तराखंड को बचाओ!

जोशीमठ, उत्तराखंड की सीमाओं पर स्थित अंतिम शहर, अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. पूरे शहर में हर दिन सड़कों और घरों में नई दरारें उभर रही हैं जिससे वह जगह पूरी तरह असुरक्षित और निवास के लिए अयोग्य बनती जा रही है. चेतावनी की हर घंटी तथा संकेत को सुनने से इनकार करने वाला लापरवाह प्रशासन अब हैरान-परेशान होकर उन घरों और होटलों की निशानदेही कर रहा है जिन्हें तुरंत खाली कराना जरूरी हो गया है.

असमानता जानलेवा है : अमीरों पर टैक्स लगाओ, गरीबों पर नहीं

ऑक्सफैम द्वारा 16 जनवरी, 2023 को जारी वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022 का शीर्षक “सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट” है.  ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम’ में दुनियाभर के रईसों और ताकतवर लोगों के होने वाले सालाना जलसे के समय आयी यह रिपोर्ट इस तथ्य का खुलासा करती है कि रईसों की बढ़ती आय और लोगों के बीच धन की असमानता कोविड-19 महामारी के दौरान खतरनाक रूप से बढ़ी है. नवउदारवादी जमाने की प्रतिगामी टैक्सों के जरिये ऐसे हालात कायम कर दिए गए हैं कि जहां गरीबों पर भारी टैक्स का बोझ डाल दिया गया है, वहीं अमीरों से बहुत कम टैक्स वसूला जा रहा है.

2023: एकताबद्ध और शक्तिशाली फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध की ओर बढ़ें !

नए साल की शुरूआत आम तौर पर नए लक्ष्य निर्धारित करने और नए संकल्प ग्रहण करने का वक्त होता है. मोदी सरकार के लिए यकीनन इसका मतलब है पुराने वादों को रद्दी की टोकरी में डालना और नए लक्ष्यों के साथ नए विमर्श रचना.

मोदी मीडिया के बाद क्या सरकार अब मोदी न्यायपालिका भी चाहती है

हाल के अतीत में हमने सर्वोच्च न्यायालय पर मोदी सरकार के कई संगठित हमले देखे हैं. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड और केंद्रीय विधि मंत्री किरन रिजिजू को बारी-बारी से सार्वजनिक तौर पवर जजों की नियुक्ति की काॅलेजियम प्रणाली की भत्र्सना करते सुना गया है, तबकि उपराष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय को इस बात के लिये बुरा-भला कहा कि उसने 2015 में पारित ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम’ को निरस्त कर दिया. उपराष्ट्रपति ने इस फैसले को ‘जनता के जनादेश’ का अपमान बताया है. इसके जवाब में, सर्वोच्च न्यायालय ने इसपर अपनी नाराजगी जताई और महाधिवक्ता आर.

हिमाचल, दिल्ली और गुजरात चुनावों से मिले संकेत और सबक

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों और दिल्ली में नगर निगम चुनाव के नतीजे आशानुरूप दिशा में ही आए हैं; अलबत्ता, गुजरात में भाजपा को जितने भारी पैमाने पर जीत मिली है वह निश्चय ही गहरी छानबीन का विषय है. इन तीनों चुनावों में भाजपा ही सत्तासीन पार्टी थी, और अब वह इनमें से दो में सत्ता खो चुकी है. इस लिहाज से भाजपा को ही नुकसान हुआ है, किंतु गुजरात में वोट शेयर (52 प्रतिशत से ज्यादा) और सीट शेयर (85 प्रतिशत से ज्यादा) दोनों लिहाज से भाजपा को मिली भारी जीत के तले उसका यह नुकसान दब-सा गया है.

भाजपा के उद्दंड और नफरत से भरे चुनावी विमर्श को शिकस्त दें!

हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधान सभा तथा दिल्ली नगर निगम चुनावों के परिणाम आ रहे हैं (चुनाव परिणाम आ चुके हैं – सं.), तो आइये, हम इन चुनावों में भाजपा द्वारा चलाई गयी मुहिम पर एक करीबी नजर डाल लेते हैं.