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हम किसान आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं. इस आंदोलन के प्रति मोदी सरकार की निर्दयता और क्रूरता निकृष्टतम स्तर पर पहुँच चुकी है.

लखीमपुर-खीरी की घटना मोदी व योगी सरकार और भाजपा की किसान विरोधी घृणा और शत्रुता का प्रमाण है.

यह तो वक्त ही बताएगा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित न्यायिक जांच सही में न्याय करेगी या नहीं ! पर किसान आंदोलन को इन हत्याओं के लिए मुआवजे की रकम से नहीं बहलाया जा सकता- असल मुआवजा तो यह स्वीकारोक्ति होगा कि ये मौतें दरअसल सरकार की मिलीभगत से की गयी हत्याएं हैं.

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने लखीमपुर खीरी में किसानों को दो मिनट में सुधारने जैसी हिंसक धमकियाँ दी थी. जब किसानों ने ऐसी धमकियों के विरुद्ध प्रतिवाद किया तो मंत्री के बेटे की अगुवाई में तीन एसयूवी कारों के काफिले ने किसानों को गाड़ी के पहियों तले कुचल दिया. यह भी आरोप है कि उसके बाद मंत्री के बेटे ने एक किसान को मारने के लिए पिस्तौल से गोली चलायी. इस हमले में कुल चार किसानों की मौत हुई.

टेनी अकेले नहीं हैं जो किसानों को हिंसा की धमकी दे रहे हैं. हरियाणा के भाजपाई मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुलेआम किसानों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं. खट्टर कह रहे हैं, “लठियाँ उठाओ और इन आक्रामक किसानों का जवाब दो. बाकी हम देख लेंगे. दो-चार महीने जेल में रहोगे तो बड़े नेता बन जाओगे. जमानत की चिंता मत करो.”

लखीमपुर खीरी की घटना असम पुलिस द्वारा जमीन कब्जा करने के अभियान में की गयी मयनल हक की जघन्य हत्या के तुरंत बाद हुई वारदात है.  असम की घटना में एक बच्चे फरीद शेख का कत्ल भी पुलिस द्वारा किया गया. असम के भाजपाई मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्व सरमा ने बेहद इस्लाम द्वेषी शब्दावली में इस हिंसक बेदखली और हत्याओं को मारे गए, घायल और बेदखल किए गए लोगों को “बंग्लादेशी” कह कर जायज ठहराने की कोशिश की गई.

नरेंद्र मोदी को मंत्री पद से अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करना चाहिए और टेनी और उनके बेटे को अविलंब गिरफ्तार किया जाना चाहिए. और इससे पहले कि और किसानों का जीवन संकट में पड़े, मोदी सरकार को तुरंत काले कृषि क़ानूनों को वापस लेना चाहिए.

- केंद्रीय कमेटी, भाकपा(माले)