वर्ष - 31
अंक - 1
01-01-2022

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ऐके मिश्रा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक हो - रू नंदकिशोर

खांनपुर गोलीकांड में शहीद रामजन्म बिंद और डाक्टर रमेश बिंद के हत्यारों को फांसी तक पहुंचना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी - रू रामप्यारे

विगत 29 दिसंबर 2021 को गाजीपुर (उप्र) के खानपुर में भाकपा(माले) की ओर से खांनपुर गोलीकांड की 22वां वर्षगांठ मनाई गई. इस मौके पर खानपुर नयी बाजार से मार्च निकालकर बहेरी डगरा पर डाक्टर रमेश बिंद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया.

वहां आयोजित सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष नंदकिशोर बिंद ने कहा कि 29 दिसंबर 1999 को पतरहीं बाजार में ईट भठ्ठा मजदूर दुखन्ती बिंद की बुलेट गाड़ी से रौंद कर बर्बर तरीके से हत्या करने वाले भठ्ठा मालिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की शान्ति पूर्ण तरीके से मांग कर रहे आंदोलनकारियों की जायज मांगों को पूरा करने के बजाय पुलिस और सवर्ण सामंती ताकतों ने हमला कर दिया थापुलिस और सामंती ताकतों की ओर से फायरिंग हुई जिसमें डाक्टर रमेश बिंद और रामजन्म बिंद मौके पर शहीद हो गए थे और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. 22 साल बाद भी हत्यारे, जिनको जेल में होना चाहिए था और फांसी की सजा होनी चाहिए थी, सरकारों की आपराधिक लापरवाही से खुलेआम घूम रहे हैं. उन्होंने एके मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और विधानसभा के पटल पर लाकर गोलीकांड के दोषी पुलिसकर्मियों और आरएसएस-भाजपा के संरक्षण में फल-फूल रहे अपराधियों को दंडित करने की मांग उठाई.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव रामप्यारे राम ने कहा कि पुरे जिले और प्रदेश में चले जुझारू प्रदर्शन-आन्दोलन के दबाव में तत्कालीन सरकार को जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एके मिश्रा आयोग का गठन करना पड़ा. आयोग के समक्ष तमाम लोगों के बयान दर्ज हुए. तब से अब तक सपा, बसपा व भाजपा समेत कई सरकारें आईं-गईं लेकिन एके मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को सदन में नहीं रखा गया. दोषियों को आज तक सजा नहीं दिलायी जा सकी. सभी सरकारों ने उन हत्यारों को बचाने का काम किया जिनमें एक तत्कालीन भाजपा सांसद का प्रतिनिधि भी था. प्रतिरोध संघर्ष के बल पर हत्यारों को फांसी तक पहुंचाना ही शहीद डाक्टर रमेश बिंद और दुखन्ती बिंद को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

कार्यक्रम को एपवा जिला उपाध्यक्ष सरोज यादव, रामकरन राम, कन्हैया बिंद, महेंद्र राजभर, मुराही देवी, आजाद यादव, मूलचंद प्रजापति, आशुतोष पाण्डेय, सुमित्रा देवी, जोखू प्रसाद, रविन्द्र कश्यप आदि ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता श्याम नारायण व संचालनआजाद यादव ने की.