असम व मिजोरम की सीमा पर उत्तर—पूर्व में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद हुये खूनी टकराव में असम के पांच पुलिसकर्मी मारे गये और दोनों पक्ष के कई लोग घायल हुए हैं. असम में भाजपा की सरकार है और मिजोरम में भाजपा के सहयोगी दल एमएनएफ की सरकार है.
अमित शाह ने अपनी यात्रा के दौरान दोनों राज्यों के नेताओं से शिलांग में मुलाकात कर घोषणा की थी कि सभी पुराने विवादों को नॉर्थ ईस्टर्न डेमोक्रेटिक एलायंस — भाजपा की अगुवाई में 2016 में बना कांग्रेस विरोधी पार्टियों का गठजोड़ — की भावना के अनुरूप हल किया जायेगा. तब क्यों असम पुलिस की टीम असम—मिजोरम बॉर्डर पर विवादित क्षेत्र में गृहमंत्री के दौरे के तत्काल बाद पहु्ंच गई? क्या असम के मुख्यमंत्री द्वारा अधिकृत किये बगैर कोई पुलिस टीम इस प्रकार जा सकती है? दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तनाव को कम करने और हिंसा रोकने के लिए तालमेल बना कर कुछ क्यों नहीं किया?
वैसे तो भाजपा 'डबल इंजन सरकारों' की बात करती है, लेकिन केन्द्र एवं दो पड़ोसी राज्यों में भाजपा—राजग की सरकारें हैं तब ऐसी शर्मनाक हिंसा हो रही है. वास्तव में उत्तर पूर्व में एकाधिकार जमाने की भाजपा की महत्वाकांक्षा का ही सीधा परिणाम यह सीमा विवाद है. इसके लिए केन्द्रीय गृहमंत्री और असम व मिजोरम के मुख्यमंत्री पूरी तरह जिम्मेदार हैं. राज्यों के बीच सीमा विवाद बगैर किसी उकसावे और हिंसा के, सौहार्दपूर्ण वातावरण में हल होने चाहिए.
— प्रभात कुमार द्वारा
भाकपा माले केन्द्रीय कमेटी की ओर से जारी