वर्ष - 31
अंक - 31
30-07-2022

फुलवारीशरीफ और मुसलमानों को बदनाम करना बन्द करो

फुलवारीशरीफ को आतंक का केंद्र बताकर बदनाम करने व मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित करने के खिलाफ, और गिरफ्तार संदिग्धें के आतंकी कनेक्शन के ठोस सबूत देने और मामले को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग पर 23 जुलाई 2022 को पटना के कारगिल चौक पर भाकपा(माले), एआईपीएफ और इंसाफ मंच की ओर से नागरिक प्रतिवाद आयोजित किया गया. इस प्रतिवाद में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया.

नागरिक प्रतिवाद को मुख्य रूप से भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य राजाराम सिंह, एआइपीएफ के गालिब, पीयूसीएल के राज्य सचिव सरफराज, पटना महानगर के सचिव व माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य अभ्युदय, ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे और माले के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज ने संबोधित किया.

इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता केडी यादव, राजाराम, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, अनुराधा सिंह, राखी मेहता, विभा गुप्ता, इंसाफ मंच के नसीम अंसारी, आसमा खान, मुश्ताक राहत, माले के राज्य कार्यालय सचिव प्रकाश कुमार, ऐक्टू नेता जितेंद्र कुमार, माले नेता अशोक कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता अशर्फी सदा, आइसा के राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, माले के युवा नेता पुनीत कुमार, आरवाइए के विनय सहित कई लोग उपस्थित थे.

अपने संबोधन में राजाराम सिंह ने कहा कि पुलिस जानबूझकर फुलवारी को बदनाम कर रही है. अब तक वह किसी भी आरोपित के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी है, लेकिन माहौल ऐसा बनाया जा रहा है मानो फुलवारी आतंक का गढ़ हो. अब यह कहा जा रहा है कि इन लोगों के निशाने पर भाजपा के नेता थे. यह बिल्कुल हास्यास्पद है. देशद्रोह से मामला भाजपा तक पहुंच गया. यह पूरी कार्रवाई भाजपा के इशारे पर हो रही है. भाजपा इसके जरिये मुसलमानों को टारगेट कर रही है और महंगाई-बेरोजगारी से त्रस्त जनता का ध्यान भटकाने के लिए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल खेल रही है.

जांच टीम में शामिल गालिब ने कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है और भाजपा के मिशन 2024 का हिस्सा है. इस मसले पर नीतीश कुमार की चुप्पी सबको खल रही है. यह मसला फुलवारी और मुसलमानों को बदनाम करने भर की नहीं है बल्कि संवैधानिक मूल्यों की हत्या है. 2-3 सन्दिग्ध मामलों को लेकर पूरे मुस्लिम कौम को क्यों टारगेट किया जा रहा है, जबकि पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है?

सरफराज ने अपने सम्बोध्न में कहा कि अल्पसंख्यकों का कट्टरपंथ और बहुसंख्यकों का कट्टरपंथ एक नहीं होता. देश को आज बहुसंख्यक कट्टरपंथ से खतरा है, लेकिन फुलवारी के मसले पर नीतीश कुमार तो क्या, अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों की भी जुबान नहीं खुल रही है. उन्होंने इस मसले की सच्चाई सामने लाने और डटकर मुकाबला करने के लिए भाकपा(माले) को ध्न्यवाद दिया.

अभ्युदय ने कहा कि मामला अब फुलवारी से बाहर निकल चुका है और जगह-जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों को टारगेट किया जा रहा है. इस अन्याय का हम हर स्तर पर विरोध जारी रखेंगे.

नागरिक प्रतिवाद से मांग की गई कि प्रशासन गिरफ्तार सभी 5 आरोपितों के बारे में जनता के सामने सबूत पेश करे, ताकि भ्रम की स्थिति खत्म हो. किसी भी निर्दोष को गिरफ्तार न किया जाए.

साथ ही, पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारीशरीफ को टारगेट करने वाले विचारों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर कार्रवाई की जाए. गैरजिम्मेवराना हरकत करने वालों और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए.