वर्ष - 31
अंक - 33
19-08-2022

महंगाई, बेरोजगारी, तानाशाही, बुलडोजर राज और मुस्लिमों व महिलाओं पर हमले के खिलाफ तथा बिहार को सूखाग्रस्त राज्य घोषित करने की मांग पर 7 अगस्त 2022 को महागठबंधन द्वारा आहूत जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध मार्च में जनता के विभिन्न तबकों की ऐतिहासिक भागीदारी रही. राजधानी पटना सहित सभी जिला मुख्यालयों पर भाकपा(माले) व महागठबंधन के अन्य दलों के कार्यकर्ता और आम जनता ने बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर भाजपा सरकार को चेताने का काम किया.

 भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने आज के कार्यक्रम में जनता की ऐतिहासिक भागीदारी व समर्थन पर बिहार की जनता को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि आज बिहार ने एक बार फिर दिखला दिया कि फासीवादी भाजपा सरकार के खिलाफ पूरा बिहार उठ खड़ा हुआ है.

भाकपा(माले) ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि खाद्य पदार्थों पर भी टैक्स लगा दिया गया है. गरीबों के घर उजाड़े जा रहे हैं. मुसलमानों व महिलाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. बिहार की धरती से ही जेपी के नेतृत्व में तानाशाही के खिलाफ क्रांति की शुरूआत हुई थी. एक बार फिर आज जब देश अघोषित आपातकाल झेल रहा है, हम सड़कों पर आकर मोदी-शाह की तानाशाही को चुनौती दे रहे हैं.

राजधानी पटना में आज के कार्यक्रम के तहत शगुना मोड़ से शुरू हुए प्रतिरोध मार्च में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ भाकपा(माले) विधायक दल नेता महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ,  फुलवारी विधायक गोपाल रविदास व जिरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा शामिल थे. इनकम टैक्स पर सभी जत्थे आकर मिले और जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण के उपरांत फिर कारवां डाकबंगला चौराहे की तरफ बढ़ा.

प्रतिरोध मार्च में भाकपा(माले), राजद, कांग्रेस, सीपीआई व सीपीएम के नेता-कार्यकर्ता शामिल थे. मुख्य रूप से माले राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, माले के वरिष्ठ नेता राजाराम, अभ्युदय सहित सैकड़ों की संख्या में माले के कार्यकर्ता इनकम टैक्स से प्रतिरोध मार्च में शामिल हुए.

डाकबंगला चौराह पर एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ. माले नेताओं ने कहा कि महागठबंधन देश में बढ़ती तानाशाही, अभिव्यक्ति व विचारों की आजादी को कुचल देने की साजिशों, मुस्लिमों के खिलाफ घृणा प्रचार, मुंहबाए खड़े बुलडोजर, महंगाई-बेराजगारी की लगातार गंभीर होती स्थिति के खिलाफ निर्णायक तौर पर संघर्ष चलाने को संकल्पबद्ध है. हम राज्य की जनता से अपील करेंगे कि वे दिल्ली-पटना की सरकारों के खिलाफ निर्णायक जंग का ऐलान करें.

सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने कहा कि 5 जून को जारी हमारे रिपोर्ट कार्ड ने इस बात की शिनाख्त की थी कि प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार सहित मानव विकास सूचकांक के तमाम पैमाने पर राज्य की स्थिति बदतर बनी हुई है. बेरोजगारी, गरीबी, शिक्षा व स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, बिजली, स्कूलों में छात्रों की भागीदारी, महिला सुरक्षा आदि सभी मानदंडों पर भाजपा-जदयू के शासन में बिहार रसातल में चला गया है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार बिहार में 51.9 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. अफसरी लूट और संस्थागत भ्रष्टाचार नित्य नए रिकार्ड बना रहे हैं. मॉब लिंचिंग, अपराध का लगातार बढ़ता ग्राफ, दलितों-महिलाओं पर हिंसा, दलित-गरीबों की जमीन से बेदखली, जहरीली शराब के जरिए जनसंहार, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों के जरिए युवा जीवन की तबाही, बेरोजगार युवकों की लगातार बढ़ती फौज, कमरतोड़ महंगाई, मजदूरों का पलायन, कृषि की तबाही, पर्यावरण का विनाश, आदि ही आज के बिहार का सच हैं. विद्यापतिनगर (समस्तीपुर) और पातेपुर (वैशाली) में गरीबी और कर्ज से तंग आकर परिवार के 5-5 सदस्यों ने आत्महत्या कर ली है. बिहार में यह एक खतरनाक शुरूआत है, लेकिन सरकार कान में तेल डालकर बैठी हुई है.

राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर महागठबंधन के बैनर से विशाल प्रतिवाद मार्च निकाले गए. सभी विधायक अपने संबंधित जिला मुख्यालयों के प्रतिरोध मार्च में शामिल रहे.

Crowds gathered on the streets on the call of Grand Alliance