वर्ष - 31
अंक - 39
24-09-2022

आजादी के आंदोलन के दुश्मन आज सत्ता पर काबिज हैं जो अपने हिसाब से देश चलाना चाहते हैं :  दीपंकर भट्टाचार्य

आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर गया के बगीचा लॉन में विगत 22 सितंबर को ‘आजादी आंदोलन की विरासत और मौजूदा चुनौतियां’ पर एक नागरिक कन्वेंशन का आयोजन किया गया. भाकपा(माले) के महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य इसमें मुख्य वक्ता के बतौर शामिल हुए.

कार्यक्रम में उनके अलावा मिर्जा गालिब कॉलेज की राजनीति विभाग की शिक्षिका मधुबाला, गया कॉलेज की अवकाश प्राप्त शिक्षिका तनवीर अख्तर, मगध विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक पिंटू कुमार, गौतम बुद्ध महिला कॉलेज के सहायक प्राध्यापक प्यारे मांझी, गया कॉलेज के शिक्षक प्रोफेसर कृष्णनंदन यादव आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता गया शहर के जाने-माने एडवोकेट फैयाज अली ने किया जबकि संचालन उर्दू कथाकार सगीर अहमद ने किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-नौजवान-महिलाएं शामिल थे.

का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारे देश की आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों को भगाने के साथ-साथ आने वाला भारत कैसा होगा, इसकी भी चिंता थी. राष्ट्रीय आंदोलन में कई धाराओं का महागठबंधन था. आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, महिलाएं, किसान, मजदूर सब के सब लड़ रहे थे. लेकिन एक खास विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई के दुश्मन थे, जो आज  सत्ता पर काबिज हैं और अपने हिसाब से देश को चलाना चाहते हैं.

1857 में लगभग पूरे भारत में गांव-गांव में बगावत हुए. अंग्रजों को लगा था कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर उनके खिलाफ उठेंगे नहीं, लेकिन झांसी की रानी और बेगम हजरत महल ने साथ मिलकर लडा. मगध में रजवार लोगों की बगावत धधकते रही. तब अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति शुरू की और कुछ सफलता भी मिली और उसी आधार पर भारत में आज फासीवाद फलना चाहता है.

उन्होंने कहा कि भगत सिंह जी ने उस वक्त जो आशंका व्यक्त की थी कि कहीं गोरे अंग्रेजों की जगह काले अंग्रेज तो देश में नहीं आ जाएंगे, आज सही साबित हो रही है. आज देश में जो ताकतें सत्ता पर काबिज हैं, उन्होंने देश में स्वतंत्रता की कोई लड़ाई तो नहीं ही लड़ी. वे आज स्वतंत्रता आंदोलन के तमाम मूल्यों – बराबरी, आजादी और भाईचारा को नष्ट करने में लगी हुई हैं. हमें उनके खिलाफ भी अपना संघर्ष तेज करना होगा. आजादी बराबरी और लड़ाई के संघर्ष को आगे बढ़ाना ही हम सबका दायित्व है.

कार्यक्रम में अन्य लोगों ने भी देश के संविधान व लोकतंत्र पर हो रहे हमले के खिलाफ एकता को मजबूत बनाने पर जोर दिया. कहा कि एक तरफ नफरत और जहर फैलाने वाले लोग इसे अमृत काल बता रहे हैं, वहीं आजादी आंदोलन के खिलाफ रहने वाली और माफी मांगने वाली जमात आजादी के जश्न में शामिल है.

वक्ताओं ने कहा कि आजादी आंदोलन की विरासत को हड़पने और झुठलाने की नापाक इरादों का मजबूती से मुकाबला किया जायेगा.

कार्यक्रम में भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य व मगध जोन प्रभारी का. अमर, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर, वरिष्ठ कर्मचारी नेता श्यामलाल प्रसाद, भाकपा(माले) के गया जिला सचिव निरंजन कुमार, ऐपवा जिला सचिव रीता वर्णवाल, रवि कुमार, आमिर तुफैल, रामानंद सिंह, रामचंद्र, सिद्धनाथ सिंह समेत अन्य लोग शामिल रहे. कार्यक्रम में सीनियर एडवोकेट व भाकपा नेता मसूद मंजर, एहसान ताबिश भी उपस्थित रहे.

– तारिक अनवर

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