वर्ष - 31
अंक - 46
12-11-2022

भाकपा(माले) की उत्तराखंड राज्य कमेटी ने देश के राष्ट्रपति को श्रापन भेजकर किरण नेगी मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है.

महामहिम राष्ट्रपति को भेजे गये श्रापन में यह बताया गया है कि 9 फरवरी 2012 को दिल्ली में दफ्तर से लौट रही किरण नेगी का हनुमान चौक, कुतुब विहार छवाला से अपहरण कर लिया गया. तीन दिन बाद उसका षव बरामद हुआ. इसी बीच यह पुलिस जांच में सामने आया कि राहुल, उसके भाई रवि और एक अन्य व्यक्ति विनोद ने किरण नेगी का अपहरण किया और बलात्कार के बाद उसकी हत्या करके शव झज्जर में खेतों में फेंक दिया.

यह कहा गया है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई. परंतु उच्चतम न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया.

यह भी कहा गया है कि इससे तो इंकार नहीं किया जा सकता कि किरण नेगी का अपहरण करके हत्या कर दी गयी.

भाकपा(माले) ने यह सवाल उठाया है कि क्या इसे इंसाफ कहा जा सकता है कि एक युवती के अपहरण, बलात्कार और हत्या के प्रकरण में एक दशक के बाद सब आरोपी बरी कर दिये जाएं और किसी को कोई सजा न हो? क्या हत्यारे और बलात्कारियों को कानून की पेचीदगी का फायदा उठा कर खुला घूमने की अनुमति दी जानी चाहिए.

भाकपा(माले) ने राष्ट्रपति महोदय से इस प्रकरण में हस्तक्षेप करते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार को किरण नेगी को न्याय दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने समेत न्याय हेतु प्रभावी उपाय करने हेतु निर्देशिात करने की कृपा करने की मांग की है.

Kiran Negi case