वर्ष - 32
अंक - 2
07-01-2023

रामगढ़-हजारीबाग जिला में भाकपा(माले) के संस्थापक कामरेड भैयालाल बेसरा का निधन विगत 2 जनवरी 2023 को हो गया. कामरेड भैयालाल बेसरा की उम्र 75 वर्ष थी. वे अभी लंबे समय से बिमारी से जुझ रहे थे. उनके पैतृक गांव बुंडू में उनको अंतिम विदाई दी गई.

भाकपा(माले) के हजारों नेता कार्यकर्ता-समर्थकों की मौजूदगी में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. उनके शव के समक्ष हजारों महिला-पुरुषों की भागीदारी में एक शोक सभा की गई. ऐक्टू सह भाकपा(माले) के नेता कामरेड बैजनाथ मिस्त्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कामरेड भैयालाल बेसरा हजारीबाग-रामगढ़ जिला में भाकपा(माले) और कोल माइंस वर्कर्स यूनियन के संस्थापकों में से एक थे. 1967 के नक्सलवाड़ी की विद्रोह की चिंगारी हजारीबाग की धरती में भी कामरेड जयंत गांगुली के आगमन के साथ पहुंची थी. का. भैयालाल बेसरा ने क्रांतिकारियों की टीम में शामिल होकर काम करना शुरू किया और रेलीगढ़ा व गिद्दी सहित बुंडू क्षेत्र में भाकपा(माले) को स्थापित किया. उनके पिताजी भी वाम धारा एवं प्रगतिशील विचारों से प्रभावित थे. वे जनता व पार्टी की सेवा में जीवन पर्यन्त समर्पित रहे. उनके परिवार में सिर्फ उनकी पत्नी थी जिनका पहले ही निधन हो चुका था.

अंत में उन्हें एक मिनट का मौन श्रद्धांजलि दी गई. भाकपा(माले) के रामगढ़ जिला सचिव भुनेश्वर बेदिया, हजारीबाग जिला सचिव पाचु राण, हीरा गोप, सोहराय किस्कू, मनाराम मांझी, देवकीनंदन बेदिया, बंशी राम, बद्री सिंह, जगरनाथ उरांव, बिगेन्द्र ठाकुर, नरेश बड़ाइक, अमल कुमार, चौहान, शशी, मझहर, हरदयाल यादव आदि नेताओं समेत हजारों शोकाकुल महिला पुरुषों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

कामरेड भैयालाल बेसरा का जन्म हजारीबाग जिला के सुदूर जंगल आदिवासी क्षेत्र के बुंडू गांव में हुआ था. उनके पिता संजूल बेसरा और माता ढुनी देवी थे. तीन भाई एक बहन –  चार भाई-बहनों में वे मंझला थे. उनके पिता प्रगतिशील विचार के थे, वे अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते थे. भैयालाल बेसरा ने बुंडू में ही 7वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की और गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ कर सिरका कोलियरी में यशवंत सिंह ट्रांसपोर्ट गाड़ी मालिक के यहां खलासी का काम करने लगे. खलासी का काम करते-करते गाड़ी ड्राइवर का काम सीख गए.

1967 में लक्ष्मण सिंह (गंझू) जब जयंत गांगुली से जब संपर्क में आये तब उनके साथ जुड़कर पार्टी का काम करने लगे और 1969 में वे जंयत गांगुली, बैजनाथ मिस्त्री, भैयालाल बेसरा, सुरेंद्र बरुआ की टीम के साथ पूर्णकालिक कार्यकर्ता के बतौर काम करने लगे. उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और कठोर दमन भी झेला. 1972 में कामरेड जयंत गांगुली की गिरफ्तारी पुलिस के द्वारा दनिया में होने के बाद भी का. भैयालाल बेसरा पार्टी के काम में लगे रहे और का. जयंत गांगुली के जेल से बाहर आने के बाद पार्टी को धक्के से उबारने के लिए साथियों को संगठित कर पार्टी काम में तेजी लाने में लग गये. 1975 में सीसीएल – रेलीगढ़ा गिद्दी सी में वेकेंसी आया जिसमें पार्टी के निर्णयानुसार भैयालाल बेसरा को डम्फर ड्राईवर में बहाली हुई और वे नौकरी करने लगे. लेकिन नौकरी करते हुए वे पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने रहे. उनके क्वार्टर में साथियों का आना-जाना व ठहरना लगा रहा. उनका आवास नपार्टी का का गुप्त सेंटर बना रहा. भैयालाल बेसरा पार्टी के भूमिगत काल में भी दिन-रात एक-एक कर जंगल-पहाड़ व नदी-नाला लांघ कर गांव-गांव जाकर ग्रामीण गरीबों, दलितों-आदिवासियों को संगठित करने का काम करते रहे और कोलियरियों में कार्यरत मजदूरों को भी संगठित करते रहे. 1978-79 में वे सीएमडब्लूयूका निर्माण कर यूनियन की मुख्य जिम्मेदारी के साथ नेतृत्व करते रहे. 2015 में नौकरी से रिटायर हुए लेकिन पार्टी से जुड़े रहे. उम्र के साथ सुनने की क्षमता कमजोर होने लगी व अन्य बिमारियां भी बढ़ी और अंततः 2 जनवरी 2023 को वे नहीं रहे.