वर्ष - 34
अंक - 2
04-01-2025

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की पीटी परीक्षा में व्यापक धंधली और भ्रष्टाचार की खबरों ने राज्य भर में भारी आक्रोश उत्पन्न किया है. 13 दिसंबर 2023 को आयोजित बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा में पेपर लीक, देर से प्रश्नपत्र मिलने, और कई परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी खामियों के चलते परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए थे. इसके खिलाफ बीपीएससी अभ्यर्थियों ने आंदोलन शुरू किया, जो अब बिहार की राजनीति और प्रशासन के लिए चुनौती बन चुका है.

आंदोलन की मांग है कि बीपीएससी की पूरी परीक्षा को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित की जाए. सरकार ने केवल पटना केंद्र की परीक्षा को रद्द किया, जबकि अन्य केंद्रों पर भी गड़बड़ियों की शिकायतें मिली थीं. आंदोलनकारियों का कहना था कि ये गड़बड़ियां और पेपर लीक के आरोप परीक्षा की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हैं और अगर सरकार ने इस पर ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह न केवल एक अन्याय होगा बल्कि बिहार के युवा वर्ग के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी होगा.

आंदोलन की शुरुआत और बढ़ता जन समर्थन

बीपीएससी के अभ्यर्थियों ने पटना के गर्दनीबाग में धरना स्थल पर बैठकर अपनी आवाज उठाई. इस आंदोलन का समर्थन आइसा (आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) और आरवाइए (रिवाल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन) ने किया. आंदोलनकारियों का कहना था कि जब तक पूरी परीक्षा रद्द कर पुनः परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाता, वे संघर्ष जारी रहेंगे. 27-28 दिसंबर 2023 को आइसा-आरवाइए के नेतृत्व में राज्यव्यापी विरोध आंदोलन की घोषणा की गई. इस दौरान पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार और राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पालीगंज के छात्र सोनू कुमार के गांव का दौरा किया, जो बीपीएससी की मनमानी के खिलाफ आत्महत्या कर चुका था. सोनू कुमार की शहादत को सलाम करते हुए परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई. 29 दिसंबर को पूरे राज्य में उनकी याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. आंदोलन ने तब और तीव्रता पकड़ ली, जब 29 दिसंबर को पटना में प्रदर्शनकारियों पर एक बार फिर से कड़ाके की ठंड के बावजूद बर्बर लाठीचार्ज किया गया, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया और कई छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. घटना की जानकारी मिलते ही विधायक गोपाल रविदास ने पीएमसीएच में जाकर घायल छात्रों से मुलाकात की. वे गिरफ्तार छात्रों से भी मिले और अपना समर्थन व्यक्त किया.

दमन के विरोध में चक्का जाम 

आइसा-आरवाइए ने 29 दिसंबर के दमन के खिलाफ अगले दिन राज्यव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया. यह आंदोलन बिहार के विभिन्न हिस्सों में फैल गया. छात्र-युवाओं ने पटना, दरभंगा, आरा, समस्तीपुर, सिवान, मुजफ्फरपुर और अन्य जिलों में प्रमुख चौराहों, रेलवे ट्रैक और सड़कों को जाम कर दिया. पटना में जीपीओ गोलंबर से छात्रों का एक मार्च शुरू हुआ, जो डाकबंगला चौराहे तक पहुंचा और दो घंटे तक चौराहा जाम रहा. सिवान और समस्तीपुर में भी चक्का जाम और सड़क पर प्रदर्शन किए गए.

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पूरे राज्य में अपनी एकजुटता दिखाते हुए सरकार से बीपीएससी के पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और पुनः परीक्षा की मांग की. राज्यव्यापी चक्का जाम का खासा असर आरा, दरभंगा, समस्तीपुर, सिवान, मुजफ्फरपुर में देखने को मिला.

पटना में आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार, अध्यक्ष प्रीति कुमारी, आरवाइए के विनय कुमार, जाहन्वी राय, ज्योति कुमारी, आदि ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया. पटना विश्विद्यालय कैंपस में आइसा नेता नीरज यादव, अनिमेष चंदन, कुमार दिव्यम और अन्य छात्रा संगठन के कार्यकर्ताओं ने घंटों अशोक राजपथ को जाम किया और नीतीश सरकार की बर्बरता के खिलाफ नारेबाजी की.

दरभंगा में संपर्क क्रांति का परिचालन बाधित किया गया. रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए और पीटी परीक्षा फिर से आयोजित करने की मांग की. आरा में अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन के नेतृत्व में सैकड़ों युवाओं ने पटना-बक्सर पैसेंजर को रोक दिया, जिसके कारण पटना-आरा रेलखंड पर ट्रेन परिचालन कुछ समय के लिए बाधित रहा. बाद में शहर में मार्च करते हुए प्राइवेट बस अड्डा को भी जाम किया गया. अरवल में प्रदर्शनकारियों ने पटना-औरंगाबाद रोड को भगत सिंह चौक के पास जाम कर बड़े वाहनों का परिचालन रोक दिया.

बीपीएससी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ समस्तीपुर में आइसा-आरवाइए आदि संगठनों से जुड़े छात्र-युवाओं ने समस्तीपुर ओवरब्रिज चौराहा जाम किया. सिवान शहर में भी कई जगह सुबह से ही जाम रहा. लहेरियासराय से बहेड़ी राज्य मार्ग को मिर्जापुर कोयाही चौक पर जाम किया गया. मुजफ्फरपुर में आरवाइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम के नेतृत्व में शहर में मार्च निकला. छपरा, सुपौल, बेगूसराय,  बक्सर, मधेपुरा गोपालगंज आदि जिलों में भी चक्का जाम का असर दिखा.

विधायकों का राजभवन मार्च और प्रशासन का दमन

आंदोलन को अब एक व्यापक जन आंदोलन के रूप में देखा जाने लगा. 31 दिसंबर 2024 को भाकपा(माले), भाकपा, माकपा और कांग्रेस के विधायक एकजुट होकर राजभवन मार्च पर निकल पड़े. मार्च में भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, आरवाइए के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन और अन्य विपक्षी दलों के विधायक शामिल हुए. इन विधायकों ने बीपीएससी की पीटी परीक्षा के परिणाम को रद्द करने, पेपर लीक की निष्पक्ष जांच और मृतक छात्र सोनू कुमार के परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की.

प्रशासन ने इस मार्च को रोकने के लिए कई बैरिकेड्स लगाए थे. लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने इन्हें पार कर लिया. राजभवन तक पहुंचने से पहले प्रशासन ने उन्हें कई बार रोकने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद, राज्यपाल के कार्यालय से वार्ता का प्रस्ताव आया और विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला. उन्होंने अपनी चार सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपाः

1. बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द कर पूरी राज्य में पुनः परीक्षा आयोजित की जाए.
2. आंदोलनकारी अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और अभ्यर्थियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं.
3. मृतक अभ्यर्थी सोनू कुमार के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए
4. पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और परीक्षा माफिया के खात्मे के लिए सख्त कानून बनाया जाए.

विधायकों ने कहा कि केवल बापू सभागार परीक्षा केंद्र के 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुनर्परीक्षा आयोजित करना अन्य अभ्यर्थियों के साथ असमानता पैदा करेगा. एक परीक्षा का परिणाम दो प्रश्नपत्रों के आधार पर तय होना साफ तौर पर असंगत और अन्यायपूर्ण है. इससे परिणाम में समानता की कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाएगी? क्या सरकार इसके लिए विवादास्पद हो चुके ‘नॉर्मलाइजेशन’ की कोई प्रक्रिया लेने वाली है जो परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को पूरी तरह समाप्त कर देगा?

नए साल में भी जारी है आंदोलन

आंदोलनकारियों ने आंदोलन जारी रहने की ठानी. आइसा-आरवाइए ने अन्य छात्र-युवा संगठनों की बैठक बुलाई और संयुक्त रूप से 1 जनवरी को सभी जिलों में मशाल जुलूस निकाला. 2 जनवरी को पटना में एआइपीएफ के बैनर से नागरिक समाज का विरोध प्रदर्शन हुआ.

3 जनवरी को पटना में मुख्यमंत्री के घेराव का ऐलान किया गया, जिसमें हजारों छात्र-युवाओं ने भाग लिया. प्रदर्शनकारियों ने कारगिल चौक से लेकर रामगुलाम चौक तक मार्च निकाला, और प्रशासन ने इसको रोकने के लिए कई बार बैरिकेड्स लगाए. हालांकि, छात्रों ने इन बैरिकेड्स को तोड़ते हुए डाक बंगला चौराहे तक पहुंचने में सफलता पाई, जहां उन्होंने चौराहे को पूरी तरह से जाम कर दिया. आरवाइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम और आइसा के नेताओं ने इस आंदोलन को जारी रखने का ऐलान किया और 6 जनवरी को संयुक्त रूप से विरोध दिवस मनाने की घोषणा की. भाकपा(माले) विधायक दल नेता महबूब आलम ने कहा कि यह संघर्ष सिर्फ बीपीएससी पेपर लीक के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे बिहार में न्याय और लोकतंत्र की बहाली के लिए है. यह सरकार भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे मामलों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि बिहार के छात्र-युवा इस तानाशाही शासन को बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसे बदलने का समय आ गया है. आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने छात्रों की आवाज को कुचला है और उन्हें न्याय से वंचित किया है.

आंदोलनकारियों के समर्थन में भाकपा(माले), भाकपा, माकपा व कांग्रेस के कई विधायक भी पहुंचे. विधायक दल के नेता महबूब आलम सहित भाकपा(माले) के कई विधायकों – पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, अगिआंव विधायक व आरवाइए के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा, विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम व फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास – छात्र-युवा प्रदर्शनकारियों के साथ रहे. भाकपा के विधायक सूर्यकांत पासवान, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद व माकपा के विधायक सत्येन्द्र यादव आंदोलन के समर्थन में पहुंचे. प्रदर्शन का नेतृत्व विधायक शिवप्रकाश रंजन, आरवाइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी, सचिव सबीर कुमार, राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, नीरज यादव, आरवाइए राज्य सह सचिव विनय कुमार आदि नेताओं ने की.

बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन एक ऐसी घटना बन चुकी है, जो बिहार की राजनीति, प्रशासन और युवाओं के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. सरकार की ओर से दमन और संवेदनहीनता के बावजूद आंदोलनकारियों का संघर्ष जारी है और यह एक बड़े आंदोलन में बदलता जा रहा है. इस आंदोलन ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के छात्र-युवा अपने लिए न्याय की इस लड़ाई में किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक उन्हें पूरी तरह से न्याय नहीं मिल जाता.

– कुमार परवेज

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