वर्ष - 34
अंक - 2
04-01-2025

देश का आजादी मिलने के महज साढ़े चार महीने बाद ही अंग्रेजी भारत में हुए जालियांवाला कांड की तर्ज पर ही आजाद भारत में खरसांवां गोलीकांड हुआ जिसे उड़ीसा के राजा और उनकी पुलिस ने अंजाम दिया था.

देश की आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में राज्य पुनर्गठन आयोग बना और करीब 500 से अधिक देशी रियासतों को मिलाकर देश के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई. इसके तहत सरायकेला और खरसांवां का उड़ीसा में विलय करने का समझौता हुआ. लोकप्रिय आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने इस समझौते का जोरदार विरोध किया और खरसांवां हाट मैदान में विशाल जनसभा आयोजित करने का आह्वान किया. जयपाल सिंह मुंडा को देखने-सुनने के लिए कोल्हान के विभिन्न इलाकों से चलकर और कई दिनों के लिए खाने-पीने का सामान भी अपने साथ लेकर 50 हजार से भी अधिक जनता सभा में जुट आयी थी. सरकार इस मूहाजुटान को देखकर घबरा गई और उसने तत्काल रांची में जयपाल सिंह मुंडा को नजरबंद कर दिया.

जयपाल सिंह मुंडा की अनुपस्थिति में ही जनसभा जब शुरू हुई तो पुलिस के जवानों ने उस पर अंधाधुंध फायरिंग की. शहीदों के शवों को पास के बड़े कुंए में भर कर ऊपर से मिट्टी डाल दी गयी थी और ट्रकों में भर-भर कर घने जंगलों में ले जाकर फेंक दिया गया था. पुलिस की अंधाधुंध फायरिंग व बर्बरता पूर्ण कार्रवाई में नौजवान पुरूष ही नहीं बल्कि महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों बुजूर्गों ने भी प्राण गंवाये. घटना की जांच के लिए ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) का गठन किया गया था जिसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुई. घटना में कितने लोग मारे गए हैं इसका कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है. अपने जीवन काल में एक सभा को संबोधित करते हुए जयपाल सिंह मुंडा ने इसमें करीब एक हजार आदिवासियों के शहीद होने की बात कही थी.

आजादी के बाद आयी सरकारें चाहती रहीं कि लोग इस वीभत्स व काले अध्याय को भूल जायें लेकिन खरसांवां गोलीकांड आज भी आदिवासियों के दिलों में ज्वालामुखी तरह धधकता रहता है.

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर इस वर्ष भी खरसावां गोली कांड के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दिया गया. आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदिया ने छोटकाकाना (रामगढ़) में, नागेश्वर मुंडा व बृजनारायण मुंडा की ने चुंबा में, रामबृक्ष बेदिया, भुनेश्वर बेदिया व लाका बेदिया ने जोबला में, जयवीर हांसदा ने हेसला में, सरयू बेदिया, नीता बेदिया व लाल कुमार बेदिया ने घुटूवा में और गौतम मुंडा ने रांची जिले के बुंडू में कार्यक्रमो की अगुआई की. सैकड़ों महिला-पुरुष आदिवासियों ने इनमें शरीक होकर खरसांवां के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

इस अवसर पर जल, जंगल, जमीन, पर्यावरण और संविधान की रक्षा करने का संकल्प लिया गया तथा पेसा कानून, संवैधानिक पांचवीं अनुसूची और सीएनटी/एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने तथा आरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यावरण सरंक्षण समेत आदिवासियों की समस्त अधिकारों को, जो संविधान में दर्ज है और भाजपा सरकार संविधान को खत्म करना चाहती है, की रक्षा करने की मांग सरकार से की गयी.

– देवकीनंदन बेदिया