वर्ष - 28
अंक - 48
16-11-2019

छत्तीसगढ़ में ऐपवा की एक टीम ने अंजली जैन और आर्यन आर्य उर्फ इब्राहिम सिद्दीकी द्वारा अंतरधार्मिक विवाह करने पर प्रताड़ना कीे 5-6 नवंबर 2019 को जांच की. जांच टीम ने वन स्टाप सेंटर ‘सखी’ रायपुर, महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर, कलेक्टर, रायपुर एवं पीड़िता के पति से मिलकर बातचीत की तथा पीड़िता से मोबाइल पर बात हो पाई. डा. लक्ष्मी कृष्णन के नेतृत्व में टीम अंजली जैन से मिलने वन स्टाप सेंटर सखी गई तो महिला एवं बाल विकास विभाग में भेज दिया गया फिर वहां से कलेक्टर से मिलने कहा गया. कलेक्टर ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर मिलवाने से मना कर दिया.

जांच टीम को अजंली एवं आर्यन ने बताया कि अंजली जैन की शादी आर्यन आर्य उर्फ इब्राहिम सिद्दीकी के साथ आर्य समाज में 25 फरवरी 2018 को हुई. शादी के पहले लड़के ने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया था. शादी का पता चलने पर पीड़िता को घर वालों ने घर में बंद कर दिया. इसके खिलाफ पीड़िता के पति ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कारपस) दायर की. उच्च न्यायालय में पीड़िता ने जोर देकर कहा कि उसने बिना किसी दबाव के आर्यन (इब्राहिम) से शादी की है, तब भी कोर्ट ने पीड़िता को सोचने के लिए हास्टल या माता-पिता के साथ रहने का आदेश दिया. पीड़िता ने बिलासपुर के हाॅस्टल में रहना स्वीकार किया जहां पर पिता ने समोसे में दवाई मिलाकर खिला दिया जिससे उसकी तबीयत खराब हो गई और पुलिस को बिना सूचित किए अंजली को गायब कर दिया.

इसके बाद पिता ने पीड़िता को छत्तीसगढ़ के बाहर भेज दिया. तब पीड़िता के पति ने सर्वाेच्च न्यायालय में केस कर दिया. वहां पर पीड़िता ने कुछ समय के लिए माता-पिता के साथ रहने की सहमति दी. इस दौरान पीड़िता के पति को झूठे केस में फंसा दिया गया जिसके कारण उसे दो महीने जेल में रहना पड़ा. घर वालों ने पीड़िता को पति के खिलाफ एफआईआर कराने को कहा, इंकार करने पर प्रताड़ित किया जाने लगा. पति द्वारा इसकी शिकायत पुलिस में की गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई. अंत में पीड़िता ने स्वयं डीजीपी छत्तीसगढ़ को फोन के माध्यम से शिकायत किया कि मेरी जान बचा लीजिये मेरे पिता मुझे मार डालेंगे.

उसके पश्चात पुलिस ने पीड़िता को घर से छुड़ाया और धमतरी के वन स्टाप सेंटर में रखा. जैन समाज द्वारा प्रदर्शन के कारण सुरक्षा के मद्देनजर रायपुर में शिफ्ट कर दिया गया जहां पीड़िता  को पिछले आठ महीने से रखा गया है.

टीम का मानना है कि पीड़िता और उसका पति बालिग हैं, इसलिए उन्हें साथ में रहने का संवैधानिक अधिकार है. यह हादिया केस में सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले से साबित हो चुका है. ऐपवा समाज से अपील करती है कि इसे प्रतिष्ठा व सम्मान का सवाल नहीं बनाया जाय बल्कि अंजली को उसके संवैधानिक अधिकार दिए जायें.

उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर ऐपवा मांग करती है कि सर्वाेच्च न्यायालय तत्काल कार्यवाही करे. पीड़िता को बुलाकर उसकी बात सुनी जाय और उसके स्वेच्छा से अपने पति के साथ रहने के अधिकार का सम्मान किया जाय. पीड़िता एवं उसके पति की सुरक्षा सुनिश्चित की जाय.

– लक्ष्मी कृष्णन