वर्ष - 28
अंक - 48
16-11-2019

विगत 5 नवंबर को अरवल जिला के बम्भई ग्राम (कसौटी पंचायत ,कलेर प्रखंड) निवासी का. देवनंदन राम (90 वर्ष) का निधन हो गया. का. देवनंदन राम साठ के दशक से ही, जब उनके गांव व इलाके में सामंती दबदबा चरम पर था, भाकपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे. तब गरीबों को बेगारी करनी पड़ती थी, मजूरी मांगना, अपने दुआर-दालान पर भी खटिया पर बैठना और अपनी मर्जी से वोट देना सांमतों के शान के खिलाफ बड़ा गुनाह होता था.

1975 में जब बसन बिगहा के भाकपा नेता का. राजाराम सिंह कसौटी पंचायत से मुखिया प्रत्याशी बने तो पहली बार का. देवनंदन राम और नंद प्रजापति की अगुआई में कसौटी, पान बिगहा, बसन बिगहा, अबगिला समेत कई गांवों के लोग पान बिगहा जुटे और लाठी, भाला, गड़ासा आदि परम्परागत हथियारों से लैस होकर बम्भई गांव में (जहां पर बूथ था) वोट देने गए. सामंती ताकतों ने मतदान के दौरान गोलीबारी की, पिफर भी लोगों ने अपनी मर्जी से वोट दिया और भाकपा प्रत्याशी का. राजाराम सिंह को जिताया.

आगे चलकर, अस्सी के दशक में, जब भाकपा कमजोर होने लगी और भाकपा(माले) का फैलाव तेजी से होने लगा, का. देवनंदन राम भाकपा(माले) से जुड़े. उनके पुत्र का. मधेश्वर प्रसाद (भाकपा-माले की जिला कमेटी के सदस्य व पूर्व जिला पार्षद) उस वक्त हाई स्कूल में पढ़ते थे. पार्टी के कार्यक्रमों में का. मधेश्वर प्रसाद की बढ़ती रूचि को उन्होंने प्रोत्साहित किया. उनके प्रयासों से ही कसौटी गांव में गरीबों-दलितों की जबरदस्त एकता कायम हुई, सामंती ताकतों व दबंगों का बर्चस्व कमजोर हुआ और सभीं दलित-गरीब भाकपा(माले) के साथ जुड़ गए.

1996 से 2000 के बीच जब गरीबों की बढ़ती दावेदारी रोकने के लिए सरकार-सामंत गठजोड़ के जरिए दमन व जनसंहार का दौर चल रहा था और का. मधेश्वर प्रसाद भी  भी कई फर्जी मुकदमों के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए थे, का. देवनंदन प्रसाद ने मेहनत-मजूरी कर उनके छोटे-छोटे बच्चों समेत पूरे परिवार का पोषण किया. वे आज नहीं है, लेकिन हमेशा याद किए जाएंगे.