गत 10 नवम्बर को नैनीताल-उधमसिंहनगर जिलों के कार्यकर्ताओं के एक कन्वेंशन आयोजित कर 11 नवंबर से 17 नवंबर तक ‘जन जागरण अभियान’ चलाने की घोषणा की गई. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि मोदी सरकार के लोगों को बांटो और अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करो अभियान को वर्गीय एकता व सामाजिक एकजुटता के दम पर ही चुनौती दी जा सकती है. मोदी सरकार खुलेआम बोल रही है कि देश की संपत्तियों को बेचा जायेगा, सार्वजनिक कम्पनियों का निजीकरण होगा, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था भी पूंजीपतियों के हवाले कर दी जायेगी यानी कि पूरे देश को बेचा जायेगा और जो विरोध करेगा उसे देशद्रोही करार दे दिया जायेगा. ऐसी सरकार को जवाब दिया जाना आज के समय की मांग है.
उन्होंने कहा कि यदि भाजपा अपने मंसूबों में सफल हो गई तो भारत का सामाजिक तानाबाना पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो जायेगा और देश की एकता और अखण्डता के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जायेगा. भाजपा ऐसा इसलिए करना चाहती है क्य़ोंकि वह न्याय, स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारा और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर बने भारत के संविधान की जगह महिला, दलित और अल्पसंख्यकों की गैरबराबरी पर आधारित एक सवर्ण जातिवादी धर्मान्ध मनुवादी हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती है ताकि वह बड़े बड़े कारपोरेट देशी-विदेशी पूंजीपतियों और सवर्ण सामन्ती ताकतों की सेवा खुल के कर सके.
किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि वन कानून-1927 में संशोधन के प्रस्ताव के नाम पर मोदी सरकार वनों में रहने वाले लोगों, आदिवासियों, जनजातीय समुदायों, खत्तावासियों, गुर्जरों और वनों पर निर्भर आबादी को बेदखल करना चाहती है. अगर यह संशोधन संसद से पारित हो गया तो देश की जनता जो कुछ भी बचे-खुचे वनाधिकार हैं वे खत्म हो जाएंगे. बिन्दुखत्ता समेत तमाम खत्तावासियों पर बेदखली का खतरा पैदा हो जायेगा.
पार्टी के नैनीताल जिला सचिव का. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि भारत के इतिहास में यह पहली सरकार है जो इतनी बेशर्मी से देश की जनता को बांट कर देश को लूटने में लगी है. आज सरकार के नौजवान, मजदूर, किसान, महिला, दलित, अल्पसंख्यक विरोधी फैसलों के खिलाफ और रोजगार, शिक्षा, दलित बराबरी, कर्जा मुक्ति, महिलाओं के सम्मान के लिए, अल्पसंख्यक समुदायों के सम्मान के लिए, जाति-धर्म में बांट कर देश को तोड़ने वाली साम्प्रदायिक उन्माद और दंगा-फसाद की राजनीति के खिलाफ एकजुट होने और जनसंघर्ष की राजनीति को आगे बढ़ाने की बेहद जरूरत है.
बैठक को कामरेड बहादुर सिंह जंगी, आनन्द सिंह नेगी, एडवोकेट दुर्गा सिंह मेहता, विमला रौथाण, ललित मटियाली, नैन सिंह कोरंगा, बसंती बिष्ट, डा. अचिंतो मंडल, कार्तिक सरकार, मोहम्मद यामिन ‘बिन्नी’, स्वरूप सिंह दानू, चंदन राम, पुष्कर दुबड़िया, राजेन्द्र शाह, गोपाल गड़िया, कमल जोशी, हरीश चंद्र सिंह भंडारी, विनोद कुमार, विज राम, त्रिलोक सिंह दानू, भास्कर कापड़ी, जगदीश राम, हरीश राम, नारायण सरकार आदि ने भी संबोधित किया.