मोदी आपदा का अंत करने के लिए हर जुमले को खारिज करें ! हर तिकड़म को नाकाम करें और हर वोट को अहमियत दें !

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले कई अहम राजनीतिक घटनाक्रम उभर कर आए हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री और भुगतान के डेटा मुहैया कराने के लिए भारतीय स्टेट बैंक के ज्यादा समय मांगने की अर्जी को खारिज कर दिया है. ज्यादा वक्त की मांग लोकसभा चुनाव के पहले डेटा का खुलासा न करने की मोदी सरकार और एसबीआई की मंशा और उनकी हताश कोशिशें नाकाम हो चुकी है. अब भारत निर्वाचन आयोग से यह उम्मीद की जाती है कि वह इस जानकारी को सार्वजनिक करे.

चुनावी बाॅन्ड घोटाले का खुलासा कर असली मोदी परिवार के कारपोरेट सहयोगियों का पर्दाफाश करो !

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बाॅन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे जारी करने वाले भारतीय स्टेट बैंक से कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रवर्तन निदेशालय मामले के लंबित रहने के दौरान जारी किए और भुनाए बाॅन्ड के बारे में पूरी जानकारी को उजागर करे. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआइ को चुनावी बांड के दानकर्ताओं और प्राप्तकर्ताओं  के नाम और भुनाई गयी राशि के पूरे विवरण का खुलासा 6 मार्च तक देने का समय मुकर्रर किया था, जबकि चुनाव आयोग को 13 मार्च तक इस जानकारी को सार्वजनिक करना था.

चुनावी बॉन्ड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट फैसले के मद्देनजर

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आखिरकार मोदी सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है- हकीकत में यह योजना हाल के सालों में सबसे बेशर्म घोटालों में से एक रही है- यह देखना सुखद है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार एक फैसला सुनाया जो आज के भारत में खासकर लोकतंत्र में कॉरपोरेट सत्ता के खिलाफ असमान लड़ाई में जनता के अधिकारों की हिमायत कर दिलासा देने वाला है.

लोकसभा चुनाव -2024 में मोदी सरकार की रणनीति बनाम जनता का मुद्दा

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी संसद सत्र 10 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए खुद को मुबारकबाद देने के ‘प्रस्ताव’ को पारित करने के साथ समाप्त हो गया.  इसके पहले यूपी की योगी सरकार ने 5 फरवरी को वहां के विधानसभा में मंदिर निर्माण के लिए खुद को और मोदी को मुबारकबाद देते हुए इसी तरह के ‘प्रस्ताव’ पारित किया था. निश्चित तौर पर योगी आदित्यनाथ सिर्फ अयोध्या का श्रेय लेने से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि न्यायपालिका के समर्थन से उनकी सरकार अब काशी और मथुरा को नया रणभूमि बनाने पर जोर दे रही है.

चंडीगढ़ के महापौर चुनाव में लोकतंत्र की हत्या

नरेंद्र मोदी ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ नारे के साथ 10 साल पहले सत्ता में आए थे. अपने वजूद के इन दस सालों में मोदी सरकार ने हर तरीके अपनाकर सारी शक्तियों का केंद्रीयकरण अपने पास कर लिया है. मोदी निजाम अब ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे से आगे ‘विपक्ष मुक्त लोकतंत्र’ के अपने एजेंडे को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रहा है. गैर-भाजपा सरकारों को गिरा दिया जा रहा है, और इच्छानुसार पार्टियों और गठबंधनों को तोड़कर, दलबदल करा भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों को उनकी जगह बिठा दिया गया है. कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, और अब बिहार में हमने यही देखा है. हमने भाजपा को चुनाव हारने के बाद भी बार-बार सत्ता हथियाते देखा है.

मतदाता दिवस 2024 : सार्विक वयस्क मताधिकार के ढांचे और भावना की रक्षा करें

25 जनवरी 2024 को भारत का निर्वाचन आयोग अपनी स्थापना की 74वीं सालगिरह मनाएगा. निर्वाचन आयोग का स्थापना दिवस ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में चुनाव करवाने की जिम्मेदारी निभानेवाली स्थायी संवैधानिक संस्था के बतौर ईसीआई का सांस्थानिक महत्व सचमुच बहुत ज्यादा है.

अयोध्या : जब राम के नाम पर मंदिर आरएसएस के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए मोदी स्मारक बन गया

भारत को एक गहरा धक्का लगा था जब तीन दशक पहले संघ ब्रिगेड ने दिन-दहाड़े ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. लेकिन उस कार्रवाई की हिंसा और नतीजतन सैकड़ों लोगों की जान जाने के बावजूद अनेक भारतीय उसे महज मस्जिद-मंदिर विवाद के बतौर ही देखते रहे थे. हाल-हाल तक सर्वोच्च न्यायालय विध्वंस की उस कार्रवाई को अपराध, कानून के राज का जबर्दस्त उल्लंघन, मान रहा था; किंतु आश्चर्यजनक ढंग से उसने उन्हीं अपराध-कर्ताओं को उस भूमि पर स्वामित्व दे दिया और उस शहर में मस्जिद के प्रतिस्थापन के लिए एक दूसरी जगह आवंटित कर दी.

महिलाओं के खिलाफ भाजपा का बढ़ता युद्ध

साल 2023 के अंतिम दिन देश भर में खबर फैली कि दो माह पूर्व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आइआइटी की एक 20-वर्षीय बी.टेक. छात्रा का बंदूक की नोंक पर गैंगरैप करने वाले तीन आरोपी नौजवानों को अंततः गिरफ्तार कर लिया गया. ये तीनों नौजवान - कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान - भाजपा की बनारस आईटी सेल से जुड़े हुए हैं. इनमें से पहले वाले दो नौजवान तो उस आईटी सेल के संयोजक और सह-संयोजक ही थे.

22 जनवरी बनाम 26 जनवरी : भारतीय गणतंत्र के भविष्य की जंग

गणतांत्रिक भारत केवल और केवल एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में जिन्दा रह सकता है. हमारे पूर्वज 26 जनवरी 1950 को एक स्वतंत्र गणराज्य की स्थापना के अग्रदूत बने थे, आइए हम भारत के लोग उसी सपने को पूरी शक्ति, साहस और दृढ़निश्चय के साथ आगे बढ़ाने का आज संकल्प लें.

बहस को भटकाने और जनता को बांटने के संघ ब्रिगेड के हताशोन्मत्त प्रयासों को चकनाचूर करें

जब से व्यापक आधर वाला एकताबद्ध विपक्ष सामने आया है, मोदी सरकार और संघ ब्रिगेड की चूलें हिल गई हैं. यह सरकार अच्छी तरह जानती है कि 2019 में पुलवामा संहार-कांड से उत्पन्न जुनूनी राष्ट्रवादी लहर की पृष्ठभूमि में भी राजग (एनडीए) का साझा वोट प्रतिशत 45% से ज्यादा नहीं जा सका था, जबकि भाजपा का अपना वोट प्रतिशत 40 से भी कम था.