अप्रैल और मई 2024 में भारत के सामने एक चुनौती थी और पूरी दुनिया इस पर नजर रखे हुए थी. 4 जून को जब भाजपा का रथ 240 पर रूका तो पूरी दुनिया में लोकतंत्र समर्थकों ने राहत की सांस ली. हालांकि, जैसे ही भारत ने फासीवादी ताकतों को आंशिक रूप से पीछे धकेल दिया, यूरोपीय संसद के चुनावों में पूरे महाद्वीप में जेनोफोबिक अति दक्षिणपंथी पार्टियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी. जर्मनी में एएफडी, फ्रांस में आरएन, सत्तारूढ़ ब्रदर्स ऑफ इटली और यूरोप भर में अन्य अति दक्षिणपंथी पार्टियों ने जून की शुरूआत में यूरोपीय चुनावों में महत्वपूर्ण जीत हासिल की.