वर्ष - 28
अंक - 9
16-02-2019

रामगढ़ में ऐपवा का 25वां स्थापना दिवस मनाया गया जिसमें जिले के पतरातू, रामगढ़, माण्डू आदि प्रखंडों से 30 महिलाएं शामिल हुई। ऐपवा जिला अध्यक्ष कांति देवी ने बैठक की अध्यक्षता और जिला सचिव नीता बेदिया ने संचालन किया। बैठक में धनमति देवी, झूमा घोषाल, पार्वती देवी, गीता देवी, सविता देवी, सुलोचना देवी, नीलम देवी, कमला देवी, अमती देवी, रंजना देवी, रेखा देवी, मिनता देवी, सुबासो देवी, कुन्ती देवी एवं अन्य महिलाएं शामिल थीं।

रामगढ़ ऐपवा सचिव नीता बेदिया ने आधी जमीन के स्मृति आलेख ‘अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) : एक परिचय’ का पाठ के बाद उसकी विस्तृत व्याख्या की। ऐपवा का स्थापना सम्मेलन 1994 में हुआ था. बैठक में शामिल महिलाओं को ऐपवा की स्थापना के परिप्रेक्ष्य एवं उसके संघर्षों से अवगत कराया गया. उन्होंने झारखंड राज्य व रामगढ़ जिला में महिलाओं की स्थिति और ऐपवा के संघर्षों के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा कि रामगढ़ में महिलाओं पर हिंसा व बलात्कार की दर्जनों घटनाओं में राज्य सरकार एवं पुलिस प्रशासन अपराधी लोगों को खोज निकालने में असफल रही है। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार बलात्कारियों व हत्यारों की संरक्षक है और उसका ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं’ का नारा एक ढ़कोसला है।

झारखंड के गिरिडीह जिले के बिरनी के सिमराढाब पंचायत भवन में मंगलवार को ऐपवा का 25 वां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में ऐपवा नेता व जिला परिषद सदस्य किरण कुमारी (बिरनी), जयंती चौधरी (राजधनवार), पूनम महतो (बगोदर), बगोदर की उप प्रमुख सुनीता साव और सिमराढाब पंचायत की मुखिया मुनावती बैठा सहित  जिले की कई ऐपवा कार्यकर्ता मौजूद थीं।                                 

हजारीबाग जिला के डाडी प्रखण्ड के ग्राम बुंडू में ऐपवा का स्थापना दिवस मनाया गया इसमें बतौर मुख्य अतिथि ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष सविता सिंह ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता बुधनी देवी और संचालन पुष्पा हांसदा ने किया.                    

कोडरमा जिला के झुमरीतिलैया  में ऐपवा जिला अध्यक्ष नीलम शाहाबादी एवं जिला सचिव मनीषा सिंह, रामगढ में नीता बेदिया और रांची के बुंडू में ऐपवा नेत्री शांति सेन व आईती तिर्की और सोनी तिरिया के नेतृत्व में ऐपवा 25वां स्थापना दिवस मनाया गया।

महिला नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य की रघुवर दास सरकारें ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हुए महिलाओं के सशक्तिकरण करने की बात कहती हैं। लेकिन उनके राज में महिलाओं को रोजगार, सुरक्षा, सम्मान, समानता व आजादी खतरे में पड़ गई है. बच्चियों व महिलाओं के साथ छेड़खानी, बलात्कार व हत्या की घटनायें राज्य व पूरे देश में आम बन गई हैं। ये सरकारें स्कीम वर्कर महिलाओं को कर्मचारी का दर्जा देने से भी इनकार कर रही है। इन्होंने मनरेगा में रोजगार पाने का अवसर ही समाप्त कर दिया है तथा समान काम के लिए समान मजदूरी की नीति को भी लागू नहीं कर रही है। इस अवसर पर ऐपवा के संगठन और संघर्ष का विस्तार करने का आह्वान किया गया.                            - सुखदेव प्रसाद