वर्ष - 28
अंक - 9
16-02-2019

पंजाब के मानसा जिला कलेक्ट्रेट में पंजाब किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले 11 फरवरी को किसानों की एक विशाल रैली हुई। रैली को मुख्य रूप से किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदूसिंह और राष्ट्रीय सचिव कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने संबोधित किया।

रैली में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए का. पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि आज देश में चले साझा किसान आंदोलन ने किसानों के एजेंडे को देश की राजनीति के केंद्र में ला दिया है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में किसान विरोधी मोदी सरकार को परास्त कर ज्यादा से ज्यादा किसान हितैषी ताकतों को संसद में भेजने की अपील की।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकारों की कॉरपोरेट परस्त नीतियों के कारण देश की खेती-किसानी तबाह हो रही है। जिस पंजाब को खेती में पूंजीवाद के विकास के मॉडल के तौर पर दिखाया जाता था, वही आज तबाह होती खेती-किसानी का भी मॉडल बन गया है। मोदी सरकार की नीतियां देश के छोटे-मंझोले किसानों को खेती से बाहर कर कॉरपोरेट खेती के लिए जमीन तैयार कर रही है.

आवारा गोवंश की समस्या के स्थाई समाधान के लिए गोरक्षा कानून को खत्म करने की मांग करते हुए उन्होंने गोरक्षा कानून को कृषि अर्थव्यवस्था पर एक और हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान कृषि संकट का समाधान अब इन पूंजीवादी सरकारों के पास नहीं है। इसका समाधान वामपंथ के नेतृत्व में मजदूर-किसानों के आंदोलन की ताकत से लाए जाने वाले क्रांतिकारी बदलाव से ही निकल सकता है।

का. रुलदू सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह चुनाव पूर्व किसानों से किए कर्ज माफी के वायदे से मुकर रहे हैं। अब कर्ज लौटाने के अपने वायदे से मुकरने की बारी किसानों की है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर किसानों को कर्ज से मुक्ति दें। उन्होंने कहा कि पंजाब में 16 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अकेले मानसा जिले में आत्महत्या कर चुके किसानों के 14 सौ परिवारों को अब तक कोई राहत नहीं दी गई है। सरकार इन सभी पीड़ित परिवारों को तत्काल 3 लाख रुपए का मुआवजा दे। किसानों से अंधविश्वास से बाहर निकलने और पूंजीवाद के खिलाफ समाजवाद का झंडा बुलंद करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि मजदूर-किसानों के संघर्ष के प्रतीक लाल झंडे के साथ खड़े होकर ही किसानों के संघर्ष को विजय तक ले जाया जा सकता है।

लगभग पांच हजार किसान, जिनमें आत्महत्या के शिकार हुए किसानों की सैकड़ों विधवाएं भीं शामिल थी, कर्ज माफी का फार्म भरकर अपने हाथों में लाए थे। सभा के मंच पर ही कर्ज मुक्ति के दसियों हजार फार्म अपर जिलाधिकारी, मानसा को सौंपे गए। पंजाब किसान यूनियन की यह किसान रैली जिले की अब तक की सबसे बड़ी रैली थी। इसमें सिर्फ गरीब किसानों को ही गोलबंद किया गया था। इस रैली में ग्रामीण मजदूरों को शामिल नहीं किया गया था।

कर्ज मुक्ति, आवारा पशुओं से फसलों की रक्षा, आत्महत्या किए किसानों के परिजनों को मुआवजा और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम जैसी किसानों की प्रमुख मांगों पर यह रैली आयोजित हुई थी। रैली में गांव-गांव से किसानों के जत्थे लगातार पहुंचते रहे। किसानों की भीड़ के आगे रैली का मैदान भी छोटा पड़ने लगा था। सभा को माले नेता का. राजविंदर सिंह राणा, किसान महासभा नेता का. गुरुनाम सिंह, का. गोरा सिंह, का. बालकरन बल्ली, भोला सिंह समाऊँ, नछत्तर सिंह खीवा, रामफल सिंह, चक्क अलीशेर, जसवीर कौर नत, बंत सिंह ग्रवाल, मोहन सिंह रूड़के, बलराज सिंह गुरूसर सहित कई किसान नेताओं ने संबोधित किया। मंच संचालन गोरा सिंह भेणीबाघा ने किया. धरना के दौरान सुखवीर सिंह खारा और अन्य कई गायकों ने जनगीतों की प्रस्तुति दी.

पिछले 22 जनवरी से ही अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. रुलदू सिंह के नेतृत्व में उपरोक्त मांगों पर लगातार यह धरना चल रहा है। आन्दोलनकारियों ने यहां पर एक अस्थायी निवास बना दिया है। जहां दिन भर गावों से किसान आते हैं. कई प्रमुख कार्यकर्ता रात को भी यहीं डेरा डाले रहते हैं। जिनके दिन का खाना और दूध गांवों से किसान और रात का खाना शहर के लोग पहुंचाते हैं।