वर्ष - 28
अंक - 9
16-02-2019

रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी करने, 1250 रुपये तुच्छ मासिक पारिश्रमिक के बजाए 18 हजार रुपये मानदेय, साल में 10 के बजाए 12 माह का पारिश्रमिक भुगतान करने, समाजिक सुरक्षा का लाभ, सरकारी कर्मी का दर्जा देने सहित 14 सूत्री मांगों की पूर्ति के लिए पिछले 7 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रही बिहार की रसोइयों ने हड़ताल के 36वें दिन पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज यहां बिहार विधानसभा का घेराव किया।

बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोइया संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर हजारों-हजार की संख्या में पूरे बिहार से पहुंची रसोइयों ने स्थानीय गेट पब्लिक लाइब्रेरी से विधान सभा घेराव के लिए प्रदर्शन निकाला जो गर्दनीबाग धरना स्थल तक गया. आक्रोशित रसोइया विधानसभा की ओर बढ़ना चाहती थी परन्तु पुलिस द्वारा रोक दिये जाने के कारण रसोइयों ने बंद गेट को हिलाना शुरू कर दिया। वहां भारी तादाद में तैनात पुलिस के साथ उनकी नोंकझोंक हुई। आक्रोशित रसोइया ‘केन्द्र-राज्य का बहाना बंद करो, रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी करो’, ‘नीतीश-भाजपा शर्म करो, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण का ढोंग बंद करो’, ‘1200 में दम नहीं, 18 हजार से कम नहीं’ का नारा लगा रही थीं।

विधानसभा घेराव कार्यक्रम का नेतृत्व रसोइया संयुक्त संघर्ष समिति से जुड़े संगठनों के नेताओं - बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) अध्यक्ष सरोज चौबे, बिहार राज्य मिड डे मिल वर्कर्स (रसोइया) यूनियन (सीटू) अध्यक्ष विनोद कुमार, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐटक) अध्यक्ष डा. रामाकांत अकेला तथा बिहार राज्य मध्याह्न भोजन कर्मचारी यूनियन (एआईयूटीयूसी) अध्यक्ष अनामिका कर रही थीं। विधानसभा घेराव में केन्द्रीय टेªड यूनियन सीटू के नेता गणेश शंकर सिंह, ऐक्टू के नेता रणविजय कुमार, ऐटक के नेता नारायण पूर्वे, एआइयूटीयूसी के नेता सूर्यकर जितेन्द्र, ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष रामबली प्रसाद, आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) की अध्यक्ष शशि यादव आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।

धरना स्थल गर्दनीबाग में पुलिस के साथ हुई नोक-झोंक के बाद संघर्ष समिति से जुड़े चारों संगठनों के नेताओं विनोद कुमार, सरोज चौबे, अनामिका, डा. रमाकांत अकेला की संयुक्त अध्यक्षता में हुई आम सभा को भी इन नेताओं ने संबोधित किया। नेताओं ने नीतीश-भाजपा सरकार पर सामाजिक न्याय-महिला सशक्तिकरण के नाम पर राजनीतिक अत्याचार करने का गंभीर आरोप लगाया और मुख्यमंत्री से सवाल किया कि सामाजिक न्याय व महिला सशक्तिकरण वाली यह आपकी कैसी सरकार है, जो दलित अति-पिछड़ा समुदाय से आने वाली समाज के सबसे हाशिये की ताकत रसोइयों, जिनमें ज्यादातर विधवा महिलाएं शामिल है, को जीने लायक न्यूनतम मजदूरी, समाजिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक व कानूनी अधिकार नहीं देना चाहती? नेताओं ने नीतीश के कानून का राज के दावे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि खाना बनाने के एक ही काम में घरेलू कामगारों के लिए राज्य में 6109 रुपये मासिक न्यूनतम मजदूरी और विद्यालय रसोइयों को मासिक 1250 रुपये मजदूरी देने को ही क्या कानून का राज कहते हैं? नेताओं ने कहा कि बकौल नीतीश कुमार दिल्ली पटना में जब एक सरकार है तब नीतीश रसोइयों को उन्हें उनकी मांग पूरा करने में केन्द्र की असहमति का बहानाबाजी क्यों कर रहे हैं? नेताओं ने सवाल किया कि जब नीतीश सरकार बिहार के लाखों शिक्षकों को वेतनमान व सेवा का नियमितीकरण कर सकती है तो समाज के सबसे कमजोर वर्ग से आने वाली रसोइया, जो सामाजिक न्याय व महिला सशक्तिकरण की प्रबल दावेदार व हकदार है, को 18 हजार वेतन और सरकारी कर्मी के दर्जे का अधिकार क्यों नहीं देना चाहती? नेताओं ने नीतीश-भाजपा पर एमडीएम को समाप्त करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए नीतीश सरकार को चेतावनी दिया कि उनकी यह भूल उन्हें सत्ता से हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने का कारण बनेगी। नेताओं ने कहा कि पिछले 36 दिनों से हड़ताल कर रही बिहार की लाखों रसोइयों की न्यायपूर्ण मांगों पर नीतीश सरकार संवेदनहीन बनी हुए है। नेताओं ने एमडीएम योजना को सशक्त बनाने व आधुनिक किचेन प्रणाली विकसित करने तथा रसोइया सहित एमडीएम से जुड़े सभी कर्मियों को सरकारी कर्मी घोषित करने का मांग किया।

- रणविजय कुमार