वर्ष - 28
अंक - 36
24-08-2019

ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) की राष्ट्रीय परिषद की दो दिवसीय बैठक 17-18 अगस्त 2019 को दुर्ग में संपन्न हुई. बैठक में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा आदि राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में अगले एक माह सतत रूप से जम्मू-कश्मीर संबंधी केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक निर्णयों के खिलाफ जन प्रतिरोध अभियान चलाने और 2 अक्टूबर को देश भर में “गांधीजी को जानो” कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया, ताकि गांधी जी के राष्ट्रीय एकजुटता, हिन्दू मुस्लिम एकता, विकास की अवधारणा, तथा देश के बंटवारे का विरोध संबंधी विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके.

राष्ट्रीय परिषद ने नागरिकता संबंधी जनसंख्या रजिस्टर करने हेतु 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच स्थानीय रजिस्टर के माध्यम से देश भर में घर-घर जाकर गणना करने संबंधी 31 जुलाई को गृह मंत्रालय द्वारा निकाली गई अधिसूचना का विरोध करते हुए कहा कि  नागरिकता संशोधन कानून के साथ यह प्रक्रिया धर्म के आधार पर नागरिकता की परिभाषा की ओर ले जाती है, जिसका भारत के हर नागरिक को विरोध करना चाहिए.

बैठक में बस्तर समस्या के हल के लिए तुरंत राजनीतिक संवाद शुरू करने, कश्मीर से 370 और 35-ए हटाने, किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति एवं लाभकारी मूल्य की गारंटी संबंधी कानूनों को संसद में पारित कराने, आने वाले सभी चुनाव ईवीएम हटाकर मतपत्रों से कराने, 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 कोड पर आधारित श्रमिक-विरोधी कारपोरेट-मुखी कानून बनाने, लगातार धीमी पड़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था और लगातार बढ़ती बेरोजगारी, मद्रास हाईकोर्ट के एक जज द्वारा मद्रास क्रिश्चियन काॅलेज के एक टीचर पर यौन उत्पीड़न के मामले में किए गए सांप्रदायिक टिप्पणी, वन अधिकार कानून की आड़ में 1 करोड़ आदिवासियों को जंगल से खदेड़ देने, 600 रेलवे स्टेशनों तथा 5 हवाई अड्डों का निजीकरण करने, काले कानूनों के तहत गिरफ्तार सभी राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा करने, देश में बाढ़ और सुखाड़ के परिणाम स्वरूप पैदा होने वाले अन्न संकट, मूल्य वृद्धि और कालाबाजारी जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किये गये.

राष्ट्रीय परिषद में प्रमुख तौर पर वरिष्ठ पत्रकार जाॅन दयाल, पूर्व विधायक एवं समाजवादी नेता डा. सुनीलम, मानव अधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, सामाजिक कार्यकर्ता विजय प्रताप, महिला संगठन ऐपवा की सचिव कविता कृष्णन और राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव, कर्नाटक के दलित और वामपंथी चिंतक डा. लक्ष्मीनारायण, बैंगलोर से आई अधिवक्ता अवनी चोकसी, किसान महासभा के नेता प्रेम सिंह गहलावत, विप्लवी किसान संदेश पत्रिका के सम्पादक पुरुषोत्तम शर्मा, इन्साफ मंच के नियाज अहमद, रिहाई मंच के मोहम्मद सलीम, भुवनेश्वर से एआईसीसीटीयू के महेंद्र परिदा, दिल्ली से नदीम, डा. शंभू श्रीवास्तव, झारखंड से जावेद इस्लाम, देवकीनंदन बेदिया, छत्तीसगढ़ के अखिलेश एडगर और संघर्ष मोर्चा के ललित सुरजन एवं महेंद्र मिश्रा, बंगाल से अम्लान और अबू रिदा और एआईसीसीटीयू के बृजेंद्र तिवारी प्रमुख रूप से शामिल रहे.