वर्ष - 29
अंक - 17
18-04-2020

कोरोना आपदा की वजह से हुए लाॅकडाउन के दौरान पार्टी से जुड़े हुए जनसंगठन उदयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों में जरूरतमंद लोगों की सूची बना कर उन तक राशन पहुंचाने की मांग कर रहे हैं. महिला संगठन ऐपवा के माध्यम से उदयपुर शहर की बस्तियों में राशन व अन्य राहत सामग्री का वितरण भी किया गया है. जो राहत लोगों तक पहुंची है वह हालात को देखते हुए पर्याप्त नहीं है और शहर में गरीबों, निर्माण मजदूरों व दिहाड़ी मजदूरों का बड़ा हिस्सा जो खाद्य सुरक्षा से बाहर है, उसकी स्थिति चिंतनीय है.

सलूम्बर के ग्रामीण इलाकों मे खाद्य सुरक्षा के तहत सिर्फ गेहूं का मुफ्त वितरण हुआ है. यदि पांच सदस्यों का परिवार है तो पच्चीस किलो अनाज पर प्रति किलो दो रुपये की दर से महज पचास रुपये की छूट ही ज्यादातर परिवारों को सरकार से मिली है. यह कहने की जरूरत नहीं कि इस लाॅकडाउन के दौरान जहां आबादी का बड़े हिस्से के आय के तमाम साधन बंद है, यह राहत कितना अपर्याप्त है.

ऐक्टू नेता का. सौरभ नरूका जो औद्योगिक इलाकों मे प्रवासी मजदूरों से संपर्क कर उनको राशन व राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं, बताते हैं कि ज्यादातर प्रवासी मजदूरों तक जो ठेके पर या दिहाड़ी मजदूर हैं, सरकारी राहत नहीं पहुंचा है. वे अपना राशन या तो अपनी बचत से जुगाड़ कर रहे हैं या मालिक/ठेकेदार द्वारा दिये गए ‘खर्चे’ से जो इनके नाम पर लिख दिया जाता है और हिसाब के समय जोड़ लिया जाएगा. ऐक्टू ने मजदूरों को संगठित होने और अपने अधिकारों के लिए हेल्पलाइन का उपयोग कर राहत हासिल करने की जानकारी भी दे रहा है ताकि मालिक/ठेकेदार द्वारा लाॅकडाउन का बोझ पूरी तरह से उन पर ही न डाल दें.

केंद्रीय कमिटी सदस्य प्रोफेसर सुधा चौधरी ने बताया कि भाजपाई लोग केंद्र सरकार की विफलता से ध्यान हटाने के लिए इस राष्ट्रीय आपदा के समय भी तबलीगी मरकज मामले पर दुष्प्रचार चला रहे हैं. वे अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो वायरल कर रहे हैं और पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग देने में लगे हैं. जनता को इससे सजग करने की भी जरूरत है.

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उदयपुर जिले में भाकपा(माले) ने लोगों से इस संकट के दौर मे जाति-धर्म से ऊपर उठने और सचेत नागरिक की तरह एकताबद्ध होकर अपने जन प्रतिनिधियों – सांसद, विधायक, सरपंच, पार्षद आदि से यह मांग करने को कहा है कि वह क्षेत्र के गरीबों, मजदूरों, किसानों व वंचित तबकों को दी जानेवाली राहत सामग्री में खाद्यान्न के साथ ही खाद्य तेल, चावल, चीनी, नमक, चाय, मसाले आदि को भी शामिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव डाले. तभी जनता को कुछ वास्तविक राहत मिल पायेगी. साथ ही, यह राहत सामग्री खाद्य सुरक्षा से बाहर रह रहे सभी जरूरतमंद लोगों तक भी पहुंचे यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. लाॅकडाउन की अवधि में विस्तार होने के बाद अब केंद्र सरकार को हर जनधन खाते मे 5000 रु. की राहत राशि डालने की मांग भी जोर पकड़ रही है.

कोरोना आपदा से निपटने के लिए टेस्टिंग को युद्धस्तर पर बढ़ाना, डाॅक्टरों के लिए मास्क, ग्लव्स व अन्य सुरक्षा उपकरणों के इन्तेजाम के लिए गंभीर प्रयासों और शारीरिक दूरी को बरकरार रखने के लिए के लिए घर-घर खाद्य और जरूरत की आवश्यक सामग्री पहुंचाने का प्रबंध करने की मांग केन्द्र-राज्य सरकारों से लगातार की जा रही है.

पार्टी ने जनता से संकल्प, एकता और वैज्ञानिक-तार्किक सोच पर मजबूती से खड़ा होकर इस संकट का मुकाबला करने और कोरोना आपदा को परास्त करने का आह्वान किया है. इस महामारी में जिन परिवारों ने अपने करीबियों को खोया है उनके साथ सहानभूति व्यक्त की है और इस दुःखद दौर में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर थाली-ताली और मोमबत्ती-दीये जलाने जैसे शर्मनाक कृत्यों की तीखी भर्त्सना की है. पार्टी का आह्वान है – ‘सामाजिक एकजुटता के साथ शारीरिक दूरी’ न कि सामाजिक दूरी’.