वर्ष - 29
अंक - 3
11-01-2020

ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम, ग्वालियर के पहले जिला सम्मेलन के मौके पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि सीएए कानून सीधे-सीधे भाजपा की मुसलमानों के खिलाफ चरम नफरत का प्रतीक है. धर्म के आधार पर जिस तरह से चुनिंदा मुस्लिम बहुल देशों को चुना गया वह इस बात का स्पष्ट संकेत है. उन्होंने कहा कि यह देश और संविधान को खत्म करने का षडयंत्र है. भाजपा नेता एनपीआर और एनआरसी के विषय में संबंध न होने की बात कह रहे हैं. यह निरा झूठ है. जो राज्य सरकारें भी एनआरसी के विरोध में बोल रही हैं और एनपीआर लागू कर रही है वे जनता को बरगला रही हैं. एनपीआर में डेटा बनाकर यदि केंद्र के पास चला जाएगा तो एनआरसी रोकी नहीं जा सकती क्योंकि फिर नागरिकता के बहाने केंद्र का अधिकार हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि इसीलिए इस पूरी जनविरोधी कवायद को अभी रोका जाना आवश्यक है. इसके लिए संविधान और लोकतंत्र पर विश्वास करने वाले सभी नागरिकों को एकजुट संघर्ष में उतरना होगा. कश्मीर में धारा 370 को खत्म किए जाने और केंद्र के बर्बर दमन पर देश में जनता की चुप्पी को देखते हुए ही मुझे लगा कि सरकार के इस खतरनाक मंसूबे की सच्चाई बताने के लिए जनता के बीच जाना जरूरी है. आज कश्मीर के साथ जब पूरे देश में यह कोशिशें शुरू हो गईं. हमें और मजबूती से संघर्ष में उतरना होगा.

आईसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ‘यंग इंडिया’ के नेतृत्वकारी  एन र्साइं बालाजी ने कहा कि भाजपा सरकार ने खाने के नाम पर दादरी से जो राजनीति शुरू की, वह दलित-आदिवासियों पर दमन के रास्ते गुजरते हुए आज तमाम नागरिकों के नागरिकता साबित करने के सवाल तक आ पहुंची है. वह यहीं नहीं रूकने जा रहा है. धर्म, भाषा व लिंग के सवाल पर ये फासीवादी ताकतें इसे आगे बढ़ाने वाली हैं. इसलिए इस सवाल को जी-जान से रोकने और मुल्क को बचाने के लिए हमें आज ही संगठित होना और संघर्ष में उतरना होगा.

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एआईपीएफ राष्ट्रीय परिषद के सदस्य व समाजवादी नेता डा. सुनीलम ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश का नौजवान लगातार मोदी सरकार को चुनौती दे रहा है और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय इस चुनौती का प्रतीक है. आज जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने इस चुनौती को आगे बढ़ाया है. नया साल नई चुनौतियों व संभावनाओं के साथ  हमारे सामने आया है. इस बार एक बड़ी चुनौती हमारे सामने है लेकिन इसके खिलाफ जगह जगह बढ़ते संघर्ष से नई संभावना भी साफ दिख रही है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद नागरिकता के सवाल पर हिंदू-मुसलमानों में फिर एका हुआ है. यह देश के लिए  ऐतिहासिक मौका है. एआईपीएफ के संयोजक का. गिरिजा पाठक ने कहा कि आज मोदी-शाह की जोड़ी इस देश को सीएए-एनपीआर-एनआरसी के माध्यम से जिस रास्ते पर ले जा रही है वह देश के संविधान, नागरिकता और लोकतंत्र पर हमला है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. यह देश की जनता विशेषकर छात्र-नौजवानों ने साबित भी किया है कि हिंदू-मुसलमान के रूप में देश के विभाजन की भाजपा को कतई इजाजत नहीं दी जा सकती. पूरे देश में सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ आंदोलनों की श्रृंखला ने इस बात को साबित भी किया है.

संगोष्ठी को भाकपा(माले) के जिला सचिव विनोद रावत, माकपा के नरेंद्र पांडे, भाकपा के अखिलेश यादव, एसयूसीआई के सुनील गोपाल ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम के दौरान चेतराम सिंह भदौरिया ने जनगीत प्रस्तुत किए. संगोष्ठी का संचालन का. गुरूदत्त शर्मा ने किया.