वर्ष - 29
अंक - 1
30-12-2019

छात्र संगठन आइसा ने 25 दिसंबर 2019 को पटना के बारी पथ स्थित नूरी मस्जिद के बाहर सड़क पर आम नागरिकों व छात्रों की एक सभा आयोजित की. सभा में भारत के संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बचाने तथा सीएए-एनआरसी-एनपीआर की पूर्णतः वापसी तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प दुहराया.

वक्ताओं ने कहा कि आज जब पूरे देश में एनआरसी के खिलाफ बड़ा आंदोलन उठ खड़ा हुआ है, तब देश के प्रधानमंत्री यह झूठ बोलकर कि एनआरसी पर कोई चर्चा ही नहीं हुई, देश की जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं. जबकि, गृहमंत्री अमित शाह के सैंकड़ों बयान एनआरसी पर बहुप्रचारित है. अब ये लोग एनपीआर यानि राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर की बात कर रहे हैं जो कि एनआरसी की दिशा में पहला कदम है. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

वक्ताओं ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह धार्मिक भेदभाव पर आधारित, देश के मूल चरित्र, संविधान की मूल आत्मा व उसकी मौलिक संरचना तथा आजादी के आंदोलन के संपूर्ण मूल्यबोध के खिलाफ है. देश के करोड़ों नागरिकों को नागरिकता विहीन करने की इस साजिश के खिलाफ पूरे देश में जो जनप्रतिरोध उठ खड़ा हुआ है, उसे मजबूत बनाना होगा और भाजपा व संघ के लोगों द्वारा इस आंदोलन के खिलाफ किए जा रहे सांप्रदायिक दुष्प्रचार का पर्दाफाश करना होगा. हकीकत यह कि आजादी के आंदोलन के बाद आज पहली बार देश के हिंदु-मुसलमान और अन्य धर्मों के लोग एक साथ मिलकर इन काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं. यह देश गांधी, मौलाना अबूल कलाम, अंबेदकर, नेहरू और भगत सिंह का देश है और यह यह उनके सपने को पूरा करने की लड़ाई है.

आज के कार्यक्रम में आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष का. मोख्तार, प्रियंका प्रियदर्शिनी, पूनम यादव व कार्तिक पासवान, इंसाफ मंच के मो. मुश्ताक, आस्मां खां, मो. रियाज, मो. रिजवान, मो. सद्दाम, अनवर हुसैन, मो. अराफात, मो. फरहान तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

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