वर्ष - 29
अंक - 4
18-01-2020

पार्टी की बिहार राज्य कमेटी की ओर से विगत 13 जनवरी 2020 को राज्य कार्यालय, पटना में पार्टी कतारों के अंदर जेंडर संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए एक राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई. इस कार्यशाला में महिलाओं के साथ भेदभाव, यौन हिंसा सहित अन्य कई प्रकार की दूसरी हिंसा आदि सवालों पर विस्तार से चर्चा करते हुए इस मामले में पार्टी सदस्यों, नेताओं व कमेटियों की भूमिका को जवाबदेह बनाने विचार-विमर्श हुआ. पार्टी पोलित ब्यूरो की सदस्य और ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव का. कविता कृष्णन ने कार्यशाला में आधार पत्र प्रस्तुत किया और उसमें उठाये गए प्रश्नों के जवाब दिए. कार्यशाला का संचालन ऐपवा की महासचिव का. मीना तिवारी ने किया.

इस कार्यशाला में पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्यों तथा किसान महासभा, खेग्रामस, ऐक्टू, ऐपवा समेत सभी जनसंगठनों व अन्य मोर्चों के सौ से भी अधिक नेतृत्वकारी साथियों ने हिस्सा लिया.

kavita

 

कार्यशाला को संबोधित करते हुए का. कविता कृष्णन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा, बलात्कार व हत्या की घटनाएं दिन-ब-दिन भयावह रूप लेती जा रही हैं. देश की सत्ता भी अभी जिन ताकतों के हाथ में हैं, वे यौन हिंसा व बलात्कार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही कुख्यात रही हैं और अभी हम इसका नतीजा भी देख रहे हैं.

लेकिन देश व दुनिया भर में सामाजिक बराबरी, सम्मान और अधिकार हासिल करने के लिए महिलाओं का संघर्ष भी तेज हुआ है. बलात्कार व यौन हिंसा की घटनाओं के विरोध में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के हर हिस्से – खेत मजदूर महिलाओं, गृहणियों, कामकाजी महिलाओं व स्कूल-काॅलेज की छात्राओं का बड़ा हिस्सा न्याय मांगने के लिए सड़कों पर उतर रहा है. पिछले दिनों सामने आये ‘मी टू’ और ‘बेखौफ आजादी’ आंदोलनों की रोशनी में भी हमें इस प्रश्न पर अपनी पार्टी के नेतृत्व व कतारों भीतर खुलकर बातचीत करने के जरिए संवेदनशीलता बढ़ाने व अपने आधार में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

hall

 

उन्होंने यह भी कहा कि हमारी पार्टी ने हर दौर में इन सवालों पर गंभीरता से विचार किया है और एक सच्ची कम्युनिस्ट पार्टी की आदर्श स्थिति पर खड़ी हुई है. पार्टी साहित्य व दस्तावेजों में बहुत ही स्पष्टता के साथ इसे प्रकट भी किया गया है. लेकिन, यह भी एक सच्चाई है कि उस आदर्श स्थिति व व्यवहार के बीच अभी भी भारी असंतुलन की स्थिति मौजूद है और इसे दूर किए बगैर हम पार्टी संगठन के भीतर आधी आबादी के सहज प्रवेश का उत्साहजनक माहौल नहीं बना पायेंगे. हमें पार्टी के अंदर मौजूद पितृसत्तात्मक विचारों, जो निश्चित रूप से हम जिस समाज में काम रहे हैं उसके आम असर का नतीजा है, के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ना होगा. हमें पार्टी के अंदर इन तमाम सवालों को उठाना होगा, इन पर खुलकर चर्चा करनी होगी और सही कदम उठाने होंगे.

कार्यशाला में वरिष्ठ पार्टी नेता का. स्वदेश भटटाचार्य, राज्य सचिव का. कुणाल, धीरेन्द्र झा, अमर, राजाराम सिंह, केडी यादव, शशि यादव, सरोज चैबे आदि उपस्थित थे.

कार्यशाला में कई प्रतिभागियों ने भी अपने विचारों, अनुभवों व सवालों को सबके साथ साझा किया. आनेवाले दिनों में इस विषय पर जिलास्तरीय कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगीं.