वर्ष - 29
अंक - 1
30-12-2019

8 जनवरी 2010 को सभी केन्द्रीय टेड्र यूनियनों (संघ-भाजपा संचालित भारतीय मजदूर संघ, बीएमएस को छोड़कर) तथा बैंक व बीमा समेत सार्वजनिक क्षेत्र की कई यूनियनें/फेडरेशनों द्वारा आहूत राष्ट्रीय आम की हड़ताल की देश के विभिन्न हिस्सों में पुरजोर तैयारी चल रही है. आॅल इण्डिया सेंट्रल कौंसिल आॅफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) समेत विभिन्न राज्यों में कार्यरत राज्य कर्मचारियों, आशा-रसोइया जैसे स्कीम वर्कर्स, रेहड़ी-पटरी-फूटपाथ विक्रेता व रेलवे वेंडर्स, रिक्शा-ठेला-आॅटो चालक, बीड़ी मजदूर, निर्माण व मनरेगा मजदूर जैसे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के संगठनों ने इसकी पुरजोर तैयारी शुरू कर दी है.

दिल्ली में ऐक्टू ने 25 दिसम्बर से ही दिल्ली के अलग-अलग इलाकों व औद्योगिक क्षेत्रों में हड़ताल का प्रचार अभियान शुरू किया है. ‘गरीब-मजदूर विरोधी सीएए, एनसीआर व एनपीआर कानून वापस लो’, ‘श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश बंद करो’ तथा फैक्ट्री से लेकर सीवर तक मजदूरों को मारना बंद करो’ के नारे के साथ चलाए जा रहे इस प्रचार अभियान में, वजीरपुर व नरेला औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों के बीच पर्चे बांटे गए और सभाएं की गईं. मज़दूरों ने हड़ताल-कोष में योगदान भी दिया. आनेवाले दिनों में कुसुमपुर पहाड़ी, नेहरू कैम्प, मानसरोवर पार्क तथा ओखला औद्योगिक क्षेत्र समेत दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अभियान चलेगा.

खास बात यह कि सांस्कृतिक टीम ‘सांगवारी’ ने भी इस अभियान में शामिल होते हुए कई जगहों पर नुक्क्ड़ नाटक ‘मशीन’ की प्रस्तुति की, जिसे मज़दूरों द्वारा काफी सराहा गया. कैंपेन के दैरान मोदी सरकार द्वारा फैलाये जा रहे साम्प्रदायिक विभाजन के खतरों के विषय में भी बात की गई. का. राजीव, सूर्य प्रकाश, श्वेता समेत ऐक्टू राज्य परिषद के तमाम साथी इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. पार्टी की दिल्ली राज्य कमेटी भी इस हड़ताल की तैयारी में लगी है.

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