वर्ष - 29
अंक - 7
07-02-2020

पार्टी की पोलित ब्यूरो की बैठक कोलकाता में 27-28 जनवरी को हुई. का. सुखदेव प्रसाद, मोहन प्रसाद, मथुरा पासवान, अशीम बनर्जी, लालू ओराँव, मुजीबुर रहमान, खगेन ठाकुर समेत हाल-फिलहाल दिवंगत हुए कम्युनिस्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देने के साथ बैठक शुरू हुई. सीएए विरोधी आंदोलनों में शहीद हुए लोगों को भी बैठक ने श्रद्धांजलि दी. बैठक के मुख्य निर्णयों का सार यहां प्रस्तुत है:

सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ जन-जागरण

सीएए के खिलाफ देश भर में जनांदोलनों की अभूतपूर्व लहर उठ खड़ी हुई है. शहरी युवा, मुस्लिम समुदाय और खासकर मुस्लिम महिलाएं, उत्तर-पूर्व की आम अवाम और प्रगतिशील बौद्धिक तबके आंदोलनों की इस लहर के अगुवा मोर्चे पर हैं. इन आंदोलनों ने न सिर्फ बर्बर फासीवादी दमन को नकारने का साहस दिखाया है बल्कि वे संघ-भाजपा के नफरती अभियान को ध्वस्त करने के लिए नए-पुराने गीतों और कविताओं को लोकप्रिय करने के साथ ही नए नारे भी विकसित कर रहे हैं. ये आंदोलन प्रतिरोध के नए रूप और मंच लेकर आ रहे हैं. इन आंदोलनों को हमें फासीवाद-विरोधी जन-प्रतिरोध की दिशा में मजबूत करना होगा और अपनी राजनीतिक भूमिका, सांगठनिक नेटवर्क और दावे को बढ़ाना होगा.

यह भी ध्यान रखना होगा कि शिक्षित शहरी युवा और प्रगतिशील बौद्धिक तबके से बाहर सीएए विरोधी आंदोलन को अभी भी व्यापक हिंदू अवाम के भीतर ले जाना बाकी है. संघ-भाजपा गिरोह भरपूर कोशिश में है कि इस मुद्दे का सांप्रदायीकरण कर दिया जाय. उनकी कोशिश है कि पूरे मामले को सिर्फ मुसलमानों का मामला बना दिया जाय और आम हिंदू अवाम को मुस्लिम-विरोधी दिशा में संगठित कर दिया जाय. हालांकि अभी भाजपा सीएए के समर्थन में आम अवाम को नहीं गोलबंद कर सकी है फिर भी व्यापक हिंदू अवाम के भीतर अभी भी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खतरनाक नतीजों के बारे ना-जानकारी और उदासीनता भरी हुई है. हमें सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खतरनाक नतीजों के बारे जानकारी को आम लोगों तक पहुंचाना होगा. आम हिंदू अवाम को बताना होगा कि वे एनआरसी के तहत बाहर किए जा सकते हैं जैसा कि असम में हुआ. उन्हें एनपीआर के तहत संदेहास्पद नागरिक की कोटि में डाला जा सकता है और ऐसी हालात में सीएए से उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी क्योंकि सीएए तो सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आए हुए लोगों के लिए है. आगे आने वाले ऐपवा, ऐक्टू व एआईकेएम के सम्मेलन सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी दिशा में अपने कार्यभार को बढ़ाने के लिहाज से बेहतरीन मौके हैं.

मुस्लिम समुदाय और खासकर मुस्लिम महिलाएं बेमिसाल ऊर्जा, साहस और दृढ़ता के साथ बड़ी तादाद में सड़कों पर हैं. हमने इस उभार का स्वागत किया और शाहीन बाग जैसे धरनों में लगभग हर जगह हमारे साथी आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं. पर यहाँ भी हमें प्रतिरोध की इन जगहों पर पार्टी, एआईपीएफ, और विभिन्न जन संगठनों के झंडे तले लोगों को गोलबंद कर सक्रिय जन भागीदारी करनी होगी. शिक्षित शहरी युवाओं का बड़ा तबका सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से मुक्त है, ऐसे में हमें महिलाओं, मजदूरों और किसानों को संघ-भाजपा की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की योजना के खिलाफ गोलबंद करने के लिए गम्भीर प्रयास करने होंगे.

हमारे साथियों ने यंग इंडिया के बैनर तले युवाओं और विद्यार्थियों को गोलबंद करने की पहलकदमी ली है और इस पहलकदमी को कई राज्यों व प्रमुख शहरी केंद्रों से अच्छी प्रतिक्रिया हासिल हुई है. हमें अपने काम-काज के सभी इलाकों में इसको प्रोत्साहित करना चाहिए और इस मंच और आंदोलन की पूरी सम्भावना को विकसित करना चाहिए. ज्यादा गोलबंदी की सम्भावना की स्थिति में इंसाफ मंच और एआईपीएफ के बैनरों को और अध्कि लोकप्रिय और मजबूत बनाया जाना चाहिए. जहाँ कहीं भी सम्भव हो, हमें अन्य वाम व विपक्षी पार्टियों, प्रगतिशील और उदार संगठनों/ पहलकदमियों/ व्यक्तियों के साथ जहाँ कहीं भी सम्भव और जरूरी हो, साझा पहल लेनी होगी.

व्यावहारिक रूप से अब केंद्रीय मुद्दा एनपीआर है, जो राजसत्ता के हाथों में कुछ लोगों को ‘संदेहास्पद’ नागरिक बना देने का औजार बन जाएगा और सरकार को अखिल भारतीय एनआरसी का आधार मुहैया कराएगा. कुछ राज्य सरकारों ने विधानसभाओं में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पास किए हैं और दो राज्य सरकारों ने सीएए के खिलाफ न्यायालय में गुहार लगाई है. हमें विपक्ष की अगुवाई में चल रही राज्य सरकारों पर एनपीआर को रोकने के लिए पर दबाव बनाना होगा और जहाँ कहीं भी सम्भव हो, जनता को इसके बहिष्कार के लिए प्रेरित और गोलबंद करना होगा. बिहार में इसी मुद्दे पर 25 फरवरी को विधानसभा मार्च है.

राज्य चुनाव:

दिल्ली विधनसभा चुनाव में हम कोई प्रत्याशी नहीं उतार रहे हैं. हमें इस चुनाव में दिल्ली के मुख्य मुद्दों, सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलनों के समर्थन में और सीएए के पक्ष में संघ-भाजपा द्वारा चलाए गए विषभरे साम्प्रदायिक प्रचार के खिलाफ, स्वतंत्र भाजपा-विरोधी प्रचार अभियान चलाना होगा. दिल्ली में दो सीटों को छोड़कर, जहां माकपा और भाकपा चुनाव लड़ रही हैं, हम आप का समर्थन कर रहे हैं.